इन आम चिंताओं के बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं
चिंता चिता के समान होती है, इसलिए ऐसी बातों के बारे में बिलकुल सोचना ही नहीं चाहिए जो आपको चिंति कर दें, आइए ऐसी ही कुछ बातों के बारे में हम आपको बताते हैं।

हमारी समस्या क्या है? बगल वाली आंटी क्या सोचेगी, छुट्टी ले ली तो बॉस क्या कहेगा, अगर ये नहीं कर पाया तो करियर का क्या होगा... आदि। ऐसे अनेक सवाल हमारी समस्या है जिनके बारे में जितना सोचो ये उतने ही उलझते जाते हैं। फिर रात दिन अपने दिमाग पर जोर क्यों डालना। चिंता, बहुत सारे काम करने के विकल्प तो जरूर देती है लेकिन पहुंचने कहीं नहीं दती। इसलिए सोचो कम, काम ज्यादा करो। जहां पहुंचना होगा पहुंच जाओगे।

ये अधिकतर लोगों का, खासकर ऑफिस में काम करने वाले सबसे दुखी और परेशान लोगों का तकियाकलाम होता है कि - “मैं छुट्टी नहीं ले सकता और मैंने पिछले कई सालों से छुट्टी नहीं ली।”, और ये बोलते हुए काफी गर्व महसूस करते हैं। लेकिन ये गर्व कुछ समय का होता है और हमेशा चिंता सताए रहती है कि मैंने छुट्टी ले ली तो क्या होगा? इसी चिंता में अपनी सारी ऑफिस की तरफ से दी गई छुट्टी को फालतू खराब होने देते हैं और साथ में अपने मानसिक स्वास्थ्य को भी। आप कल नहीं भी रहेंगे तो भी ऑफिस चलेगा। तो आऱाम से छुट्टी ले और चिंता की चिता में जलना बंद करें।

अधिकतर लोगों को यह डर होता है कि वो भीड़ में अच्छे से नहीं बोल पाते या उन्हें बोलने नहीं आता। ऐसा जो लोग सोचते हैं उनको सोचना चाहिए कि, कितने लोगों को बोलने आता है? कितने लोगों से बोलते हुए बिल्कुल भी गलती नहीं होती? कोई नहीं ऐसा। इस दुनिया में कोई परफेक्ट नहीं है। लोगों से आराम से मिले। आऱाम से बातें करें। ज्यादा से ज्यादा लोगों को पसंद नहीं आएगा तो वे बात नहीं करेंगे। लेकिन कम से कम आपका डर तो खत्म होगा।

अधिकतर लोगों को डर होता कि वे अपना ड्रीम जॉब नहीं कर पाएंगे और ये डर होना भी चाहिए। क्योंकि इसी डर की वजह से हम अपने ड्रीम जॉब के लिए मेहनत करते हैं। लेकिन डर इतना ज्यादा भी ना हो कि खाना-पीना-सोना सब छूट जाए। इससे भले आप ड्रीम जॉब पा लेंगे लेकिन जीना छोड़ देंगे।

ये सवाल और समस्या हर किसी के जिंदगी में होती है। एक बात ध्यान में रखना जरूरी है, जब अप असफल होंगे तो भी दोस्त साथ छोड़ेंगे और जब आप सफल होंगे तो भी दोस्त छूटेंगे। क्योंकि वो दोस्त नहीं केवल राह के हमराही होते हैं। दोस्त वो होता है, जिससे आप दस साल बाद भी मिलो तो वहीं से बात शुरू करेगा जहां दस साल पहले बात छूटी थी। तो हमराहियों की फिक्र बंद करो और सफल बनो। अपने और अपने दोस्त कभी नहीं छूटते।

...अगर मैंने ऐसा किया तो... अगर मैंने उससे शादी की तो... अगर मैंने उससे बात नहीं की तो...??? अगर, अगर, अगर...। कौन है ये लोग जिसकी चिंता में शरीर सुखाए जा रहे हो। हमेशा ये सोचो की मां-बाप क्या सोच रहे हैं और तुमपर उसका क्या असर पड़ने वाला है। अच्छा सोच रहे हैं तो करो ना, लोगों का तो काम है सोचना।
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