कुपोषण के सामान्य लक्षण
कुपोषण तब होता है जब शरीर को आवश्यक मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलते। इस कमी से कई प्रकार की अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। इस स्लाइड शो के जरिये आप जान सकते हैं कि कुपोषण के सबसे आम लक्षण क्या हैं।

कुपोषण के सामान्य लक्षण
आप एक स्वस्थ आहार का चयन करते हैं, लेकिन क्या ये आहार वास्तव में सभी पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करता हैं? कुपोषण तब होता है जब शरीर को आवश्यक मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलते। इस कमी से कई प्रकार की अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। जो लोग फलों और सब्जियों का कम मात्रा में उपभोग करते है, खासतौर से हरे रंग की सब्जियों का वह कुपोषण का सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। इस स्लाइड शो के जरिये आप जान सकते हैं कि कुपोषण के सबसे आम लक्षण क्या हैं।

पाचन तंत्र की समस्याएं
आप जो खाते हैं उसी से आपका पाचन तंत्र निर्धारित होता है। कमजोर पाचन से अन्य कई प्रकार की समस्याएं जैसे कब्ज, सूजन, दस्त और डायरिया आदि हो सकती है। यह सभी समस्याएं विटामिन बी-11, बी-8, बी-12, सी, डी, ई, के, आयरन, सेलेनियम, मैग्नीशियम और जिंक जैसे स्वस्थ पोषक तत्वों की कमी से संबंधित होती हैं।

त्वचा की समस्याएं
काफी संख्या में लोग त्वचा में होने वाली समस्याओं जैसे मुंहासे, एक्जिमा, बढ़ती उम्र में होने वाले धब्बे आदि से परेशान रहते हैं। त्वचा में होने वाली इस तरह की समस्याएं भी पोषक तत्वों की कमी का परिणाम हैं। इस समस्या के इलाज और उपचार पर पैसा खर्च करने के बजाय आप अपने आहार में विटामिन ए, बी-3, बी-8, सी, ई, बायोटिन, ओमेगा-3 फैट, कॉपर, सेलेनियम और जिंक जैसे पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने की कोशिश करें।

कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली आपको शरीर में होने वाली सूजन और संक्रमण से लड़ने और स्वस्थ रहने में मदद करती हैं। यह शरीर के उपचार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है तो शरीर अन्य रोगों से अपनी रक्षा नहीं कर पाता और आप अक्सर बीमार रहते हैं। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली भी पोषक तत्वों की कमी से संबंधित होती है। विटामिन ए, सी, डी, ई, क्रोमियम, सेलेनियम, मैग्नीशियम और जिंक जैसे पोषक तत्वों की कमी से यह समस्या होती हैं।

कमजोर हड्डियां
बढ़ती उम्र में हड्डियों में मजबूती को बनाए रखने से आपको फिट और स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। लेकिन अगर आपको लगता हैं कि आपकी हड्डियां कमजोर हो रही हैं तो यह विटामिन ए, सी, डी, क्रोमियम, जिंक, मैग्नीशियम और मोलिब्डेनम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी से होता है।

कमजोर और क्षतिग्रस्त बाल
अगर आप हमेशा रूखे और क्षतिग्रस्त बालों को लेकर शिकायत करते हैं? तो हम आपको बता दें कि बालों की यह समस्या हमेशा बाह्य परिस्थितियों के कारण नहीं होती है, बल्कि पोषण की कमी बालों के क्षतिग्रस्त होने का प्रमुख कारण है। आहार में पोषक तत्व जैसे विटामिन बी 5, बी 6, बी 12, बायोटिन या क्लोरीन की कमी के कारण बालों से जुड़ी समस्याएं होती हैं।

लगातार ऐंठन
कई लोगों को मांसपेशियों में जकड़न के कारण बार-बार ऐंठन की समस्या का सामना करना पड़ता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन अचानक ऐंठन की समस्या पोषक तत्वों की कमी के कारण होती हैं। मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों को मांसपेशियों के विकास और समर्थन करने के लिए जाना जाता है। इन पोषक तत्वों की कमी के कारण पैर, पिण्डलियों और पैरों के के पीछे असहज ऐंठन हो सकती हैं।

नाखूनों की समस्या
नाखून में होने वाली समस्याएं भी पोषक तत्वों की कमी से होती हैं। आपने अक्सर देखा होगा कि आपके नाखून अपने आप ही टूट जाते हैं यह समस्या मैग्नीशियम की कमी से होती हैं। नाखूनों की अन्य समस्याएं जैसे सफेद धब्बे, लकीरें, मुलायम और भंगुर नाखून आदि जिंक, मैग्नीशियम, सामान्य खनिज की कमी से होती हैं।

आंखों से जुड़ी समस्याएं
कम उम्र में चश्मा लग जाना आजकल एक सामान्य सी बात है। यह पोषक तत्वों की कमी का परिणाम है। साथ ही आंखों की समस्याएं जैसे आंखों का कमजोर, मोतियाबिंद, आंखों में सूजन आदि क्रोमियम, जिंक, विटामिन बी-6, बी-12 और आवश्यक फैटी एसिड की कमी का परिणाम हैं।

मसूड़ों से खून आना
मसूड़ों से जुड़ी समस्याएं वैसे तो किसी भी उम्र में हो सकती हैं लेकिन 35 वर्ष की उम्र के बाद मसूड़ों से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। यह समस्याएं आहार में पोषक तत्वों की कमी के कारण होती हैं। मसूड़ों से जुड़ी समस्याएं जैसे जिंजिवाइटिस, पायरिया, पेरियोडोटाइटिस अक्सर विटामिन सी, क्यू-10, फोलिक एसिड और प्रोटीन की कमी से होती हैं।

पोषक तत्वों की पूर्ति
पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए आपको अपने आहार में मूंगफली, हरी सब्जियों, सोया मिल्क, मशरूम, बींस, दालें, मटर, अलसी के बीज, अनाज, ब्रॉकली, मछली, दूध और दूध से बने उत्पाद, फल, मेवों, अंकुरित खाद्य पदार्थ, अंजीर, अंडे आदि को शामिल करना चाहिए।
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