महिला और मानसिक स्वास्थ्य

दफ्तर और घर दोनों को संभालते संभालते दिव्या की ऐसी हालत हो गई कि वह अवसाद का शिकार हो गई। छोटी छोटी चीजों पर चिढ़ने लगी। बिना वजह अपने पति से झगड़ने लगी। यहां तक कि जब तब बच्चों पर भी भड़कने लगी। अंततः जब दिव्या को महसूस हुआ कि उसकी स्थिति को नियंत्रित नहीं किया जा रहा तो उसने विशेषज्ञों से संपर्क करना जरूरी समझा। इसके बाद उसे पता चला कि वह गहरे अवसाद का शिकार है। बात सिर्फ दिव्या की नहीं है। इसके जैसी तमाम महिलाएं इन दिनों उत्कंठा, तनाव, अवसाद जैसी बीमारियों से जूझ रही हैं। Image Source-Getty
शोध से हुआ प्रमाणित

तमाम शोध एवं सर्वेक्षण इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्रति वर्ष सैकड़ों महिलाएं अपने बिगड़ रहे मानसिक संतुलन के चलते डाक्टरों संपर्क करती हैं। विशेषज्ञ यह भी बतलाते हैं कि सैकड़ों केस यदि डाक्टरों पास आते हैं तो सैकड़ों ऐसे केस भी होते हैं जिनका कभी पता ही नहीं चलता। लेकिन वास्तविकता यही है कि महिलाओं में विभिन्न किस्म की मानसिक समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इनमें से भी कुछ मानसिक समस्याएं ऐसी हैं जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है। हालांकि आटिज्म, सिज़ोफ्रेनिया, एंटीसोशल पर्सनैलिटी डिसआर्डर और शराब की लात आदि समस्याएं महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होती है। लेकिन कुछ मानसिक समस्याएं पुरुष एवं महिलाएं दोनों को समान रूप से प्रभावित करती हैं। Image Source-Getty
डिप्रेशन

महिलाएं पुरुषों की तुलना में दो गुना ज्यादा डिप्रेशन का शिकार होती है। असल में इसके पीछे एक वजह है कि महिलाओं के जिम्मे घर और दफ्तार दोनों जगहों की पूरी बागडोर होती है। इतना ही नहीं बच्चों की परवरिश का भार भी महिलाओं के सिर ही होता है। अतः ऐसे में हर मोर्चे पर तनकर खड़े होने के लिए डिप्रेशन उन्हें अपने चंगुल में घेर लेता है।हालांकि उत्‍कंठा या इसी तरह अन्य फोबिया के पुरुष और महिलाएं बराबर शिकार होते हैं। लेकिन पैनिक डिसआर्डर आदि परेशानियों की महिलाएं पुरुषों की तुलना में दुगनी शिकार होती हैं। असल में उत्कुंठा का कारण भी महिलाएं के व्यवहार में आयी तब्दीलियां ही हैं।Image Source-Getty
आत्महत्या की चेष्टा

हालांकि आत्महत्या से पुरुष ज्यादा मरते हैं। लेकिन महिलाएं आत्महत्या की चेष्टा महिलाओं की तुलना में ज्यादा करती हैं। इसकी एक वजह है कि महिलाएं जीवन के हार को सहजता से नहीं ले पातीं। वे हर छोटी सी छोटी चीज को बड़ी समस्या के रूप में स्वीकार करती हैं। नतीजतन परेशानी और समस्या से खुद घिरा पाकर महिलाएं आत्महत्या की अधिक चेष्टा करती हैं।इन दिनों महिलाओं में ईटिंग डिसआर्डर भी खासा देखने को मिल रहा है। असल में महिलाओं में क्रेय शक्ति बढ़ी है। वे किसी पर निर्भर नहीं है। अतः परेशानियों से पार पाने का एक आसान समाधान खोजना चाहती है। ऐसे में अपनी परेशानियों को कम करने के लिए वे खानपान का सहारा लेती हैं। यही कारण है कि समस्या से निपटने के लिए वे ईटिंग डिसआर्डर का शिकार हो जाती हैं।Image Source-Getty
सीजोफ्रेनिया

इसी प्रकार जो महिलाएं सिज़ोफ्रेनिया का शिकार होती हैं वे डिप्रेशन की भी मरीज बन जाती हैं। यही नहीं सिज़ोफ्रेनिया से पीडि़त महिला का मूड में अधिक परिवर्तन होता है। परिणामस्वरूप उनके इलाज में भी काफी समस्या आती है। जबकि सिज़ोफ्रेनिया से ग्रस्त पुरुष डिप्रेशन में नहीं आते। हालांकि वह समाज से अलग थलग रहने लगते हैं। सवाल उठता है कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक मानसिक समस्याएं क्यों होती हैं? उन्हें क्यों पुरुषों की तरह सहजता से ट्रीट नहीं किया जा सकता है। Image Source-Getty
पुरुषों से अलग हैं ये समस्यायें

न्यू हेवन स्थित येल यूनिवर्सिटी के महिला स्वास्थ शोध केंद्र के मुताबिक निम्न वजहों से महिलाओं की मानसिक स्थिति भिन्न होती है। पुरुष एवं महिलाओं के मानसिक विकास भिन्न होता है। महिलाओं की परवरिश पुरुषों की तुलना में अलग ढंग से की जाती है। महिलाओं का मूड प्रोसेज पुरुषों से अलग है। यदि महिला धूम्रपान करती है तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है। एस्ट्रोजन का प्रभाव व्यवहार, मूड, भावना आदि सब पर पड़ता है।Image Source-Getty