क्या है वर्णांधता

जब आंखें रंगों को आसानी से नहीं पहचान पाती हैं तब आखों की यह समस्‍या होती है। आंखें हमारे शरीर की सबसे जटिल ज्ञानेन्द्री है और जिन ऑक्यूलर कोशिकाओं द्वारा हम रंगों को पहचानते हैं उन्हें कोन्स कहा जाता है। प्रत्‍येक कोन से लगभग 100 रंगों को देखा जा सकता है। सामान्‍यतया लोगों में तीन तरह की कोन होती हैं जिन्हें ट्राइक्रोमैटिक कहते हैं। इसके विपरीत वर्णान्ध लोगों में दो ही तरह की कोन होती हैं जो उन्हें डाइक्रोमैटिक बनाती है। इनमें जब दिक्‍कत होती है तब रंगों को पहचानना मुश्किल हो जाता है।
इस पर हुए शोध

हालांकि पुरुषों और महिलाओं दोनों की आखों बनावट एक जैसी होती है, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलायें वर्णांधता की शिकार कम होती हैं। डेली मेल में छपे एक शोध के अनुसार एक पुरुष की तुलना में 255 में से सिर्फ एक महिला में वर्णान्धता की समस्या पायी गयी।
क्या यह आंखों को नुकसान पहुंचाता है

अगर किसी को रंगों को पहचानने में समस्‍या हो रही है यानी वह वर्णान्‍धता से ग्रस्‍त है तो यह आंखों से संबंधित किसी अन्‍य बीमारी का कारण नहीं बनता है। क्‍योंकि देखने में कोन के साथ-साथ रेटीना भी जुड़ी होती है इसलिए आंखों की रोशनी कम नहीं होती है।
वर्णान्धता के कारण

ज्‍यादातर मामलों इस समस्‍या के लिए आनुवांशिक कारण ही जिम्‍मेदार होते हैं, जो कि जन्‍म के साथ ही दिखने लगते हैं। रंगों को पहचानने के लिए तीन कोन के प्रकार होते हैं - लाल, हरा और नीला। अगर जन्‍म के समय इन तीनों में किसी एक प्रकार के कोन की कमी हो गई तो रंगों को पहचानने में दिक्‍कत होती है।
वर्णान्धता के अन्य कारण

आनुवांशिक कारणों के अलावा भी कई अन्‍य कारणों से आंखों में रंगों को पहचानने की समस्‍या होती है। बढ़ती उम्र के कारण भी यह समस्‍या हो सकती है। आंखों की अन्‍य समस्‍या जैसे - ग्‍लूकोमा, डायबिटिक रेटीनोपैथी, जैसी बीमारियों के कारण भी वर्णान्‍धता की समस्‍या हो सकती है। आंखों में चोट और दवाओं के साइड इफेक्‍ट के कारण भी यह समस्‍या हो सकती है।
वर्णान्धता के लक्षण

आंखों की यह समस्‍या होने के कारण आप कुछ रंगों को पहचान सकते हैं, लेकिन ज्‍यादातर रंगों को पहचानने में समस्‍या होती है। इस समस्‍या से ग्रस्‍त लोग नीला और पीला रंग आसानी से देख पाते हैं लेकिन लाल और हरे रंग में अंतर करने में दिक्‍कत होती है।
रंगों की परछाई दिखती है

कई रंगों को आप आसानी से देख नहीं पाते हैं, इसलिए आप रंगों की परछाई देखते हैं। सामान्‍यतया लोग हजारों रंगों में आसानी से अंतर कर पाते हैं, लेकिन वर्णांधता से ग्रस्‍त लोग रंगों की परछाई देखते हैं।
निदान और उपचार

अगर आपको रंगों को पहचानने में दिक्‍कत हो रही है तो चिकित्‍सक से संपर्क कीजिए। वह कुछ टेस्‍ट करके इसका निदान कर सकता है। इसके निदान के बाद चिकित्‍सक आपको रंगों को आसानी से पहचानने के लिए कांटैक्‍ट लेंस लगाने की सलाह दे सकता है। नियमित रूप से चिकित्‍सक के संपर्क में भी रहें।