पानी है अमृत
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इस दोहे में चाणक्य कहते हैं कि जब तक भोजन पच ना जाये तब तक पानी ना पिये। भोजन पचने के बीच में पिया गाय पानी विष के समान होता है। और यही पानी भोजन पचने के बाद पीते हैं तो अमृत के समान होता है। भोजन करने से पहले और भोजन के दौरान पिया गया पानी भी अमृत के समान होता है और भोजन के तुरंत बाद पिया गया पानी जहर होता है। इसलिए हमेशा खाना खाने के एक घंटे बाद पानी पिएं।
खाने को कभी ना कहें ना
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इस दोहे में चाणक्य ने गुरच (गिलोय) के गुणों के बारे में बताया है। चाणक्य कहते हैं कि सभी तरह की औषधियों में गुरच (गिलोय) प्रधान हैं। सब सुखों में भोजन प्रधान है मतलब किसी भी तरह का सुख हो, लेकिन सबसे ज्यादा सुख भोजन करने में ही आता है। शरीर की सभी इंद्रियों में आंखें प्रधान हैं और सभी अंगों में मस्तिष्क प्रधान है। इसलिए खाने को कभी ना नहीं बोलना चाहिए। आंखों का विशेष ख्याल रखना चाहिए और दिमाग को हमेशा तनावरहित रखना चाहिए।
मांस से अधिक पौष्टिक है घी
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इस दोहे का अर्थ है कि खड़े अन्न से दसगुना अधिक पौष्टिक होता है पिसा हुआ अन्न। पिसे हुए अन्न से दसगुना अधिक पौष्टिक होता है दूध। दूध से दसगुना अधिक पौष्टिक है मांस और... मांस से दसगुना अधिक पौष्टिक है घी। इसलिए हेल्दी लाइफ जीने के लिए इन चार जीचों का सेवन जरूर करें।
घी है वीर्यवर्द्धक
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इस दोहे में वजन बढ़ने के कारण और रोग बढ़ने के कारण बताए गए हैं। साथ ही चेताया भी गया है कि कौन सा भोजन खाने से वजन बढ़ता है और कौन सा भोजन खाने से ताकत। चणक्य कहते हैं कि शाक खाने से रोग बढ़ता है और दूध पीने से शरीर बनता है। घी खाने से वीर्य में वृद्धि होती है और मांस खाने से मांस बढ़ता है। इसलिए शरीर बनाने के लिए खूब दूध पिएं। पौरुष शक्ति बढ़ाने के लिए घी का सेवन करें और शरीर में मांस (चर्बी) बढ़ाने के लिए मांस का सेवन करें। लेकिन मांस शरीर में पहले से ही काफी है तो मांस का सेवन ना करें तो बेहतर है। यही शरीर में वसा बढ़ाता है।
तीनों समय करें इन पुस्तकों का पाठ
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ये दोहा कहता है कि समझदार व विद्वान लोगों का समय सबेरे जुए के प्रसंग में, दोपहर को स्त्री प्रसंग में और रात को चोर की चर्चा में जाता है। यह है शब्दों का अर्थ। अब भावार्थ की बात करते हैं। इस दोहे का भाव है कि जिसमें जुए की कथा आती है वो है महाभारत। दोहपर को स्त्री प्रसंग वाली कथा कहने का मतलब है रामायण का पाठ करना जिसमें शुरू से लेकर अंत तक सीता की तमपस्या झलकती है। रात को चोर के प्रसंग का अर्थ है श्रीकृष्ण की कथा यानी श्रीमद् भागवत कहना और सुनना। इन तीनों धार्मिक पुस्तकों का पाठ करने से चित्त और मन शांत रहता है।