रात में पेशाब लगना और अंडकोष में सूजन है प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने के संकेत, जानें कारण और इलाज

पुरुषों में वीर्य बनाने वाली महत्वपूर्ण ग्रंथि है प्रोस्टेट। कई बार प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है, जिससे कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं। आमतौर पर रात में 1-2 बार पेशाब के लिए उठना प्रोस्टेट बढ़ने के शुरुआती लक्षण हैं।

Anurag Anubhav
Written by:Anurag AnubhavPublished at: Feb 06, 2014

प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना

प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना
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प्रोस्टेट पुरुषों की एक महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है, जो वीर्य बनाती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ कई बार व्यक्ति की प्रोस्टेट ग्रंथियां बड़ी हो जाती हैं और परेशानी का कारण बनने लगती हैं। रात में 1-2 बार तेज पेशाब महसूस होना प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने का शुरुआती लक्षण है। इसके अलावा पेशाब करते समय परेशानी, बालों का सफेद होना, अंडकोष का बड़ा होना आदि भी प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने के संकेत हैं। कुछ लोग प्रोस्टेट बढ़ने को कैंसर मान लेते हैं, मगर आपको बता दें कि ये प्रोस्टेट कैंसर नहीं है। 45-50 की उम्र के बाद इसका खतरा बढ़ जाता है, मगर ये किसी भी उम्र में हो सकता है। आइए आपको बताते हैं क्या है प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने के लक्षण और कैसे कर सकते हैं इसे ठीक।

सर्दियों में समस्‍या का बढ़ना

सर्दियों में समस्‍या का बढ़ना
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सर्दियों में कम पानी पीने के कारण प्रोस्‍टेट ग्रंथि की समस्‍या बढ़ जाती है। सर्दियों में पानी कम पीने के कारण यूरीन की थैली में एकत्र यूरीन की मात्रा बढ़ जाती है। इसके कारण यूरीन की नली में संक्रमण या यूरीन रुकने की समस्‍या हो जाती है।

प्रोस्‍टेट ग्रंथि बढ़ने के कारण

प्रोस्‍टेट ग्रंथि बढ़ने के कारण
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बढ़ती उम्र, आनुवांशिक और हार्मोनल प्रभाव जैसे कई कारण से प्रोस्‍टेट ग्रंथि बढ़ने लगती हैं। इसके साथ ही औद्योगिक कारखानों में काम करने वाले लोग भी इस समस्‍या से ग्रस्‍त हो सकते हैं। इस रोग के होने की आशकाएं ऐसे लोगों में विभिन्न रसायनों और विषैले तत्वों के सपर्क में आने के कारण बढ़ जाती हैं।

प्रोस्‍टेट ग्रंथि बढ़ने के लक्षण

प्रोस्‍टेट ग्रंथि बढ़ने के लक्षण
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प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने पर बार-बार पेशाब लगना, रुक-रुक कर पेशाब आना, पेशाब लगना मगर बहुत कम मात्रा में पेशाब आना, कुछ देर से पेशाब निकलना तथा पेशाब की धार पतली होना शमिल हैं। साथ ही धार का बीच-बीच में टूटना, यूरीन का रुक जाना और यूरीन करने में दर्द का अनुभव होना इसके लक्षण होते हैं। शुरुआत में व्यक्ति को रात में 1-2 बार अक्सर पेशाब लगने का अनुभव होता है, जिससे उसकी नींद खराब होती है।

किडनी पर असर

किडनी पर असर
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प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने पर अगर यूरीन मूत्राशय के अंदर देर तक रुका रहता है तो कुछ समय के बाद किडनी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है। इसके कारण किडनी की यूरीन बनाने की क्षमता कम होने लगती है और किडनी यूरिया को पूरी तरह शरीर के बाहर निकाल नहीं पाती। इन सब के कारण ब्‍लड में यूरिया बढ़ने लगता है, जो शरीर के लिए नुकसानदेह होता है।

प्रोस्‍टेट ग्रंथि बढ़ने का इलाज

प्रोस्‍टेट ग्रंथि बढ़ने का इलाज
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प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने की समस्या का समाधान दो तरीकों से संभव होता है। पहला, टी.यू.आर.पी. सर्जरी और दूसरा, प्रोस्टेटिक आर्टरी इंबोलाइजेशन सर्जरी द्वारा। इस सर्जरी के बाद सभी दवाओं को बंद कर सिर्फ कुछ खास दवाएं ही दी जाती हैं।

दवाओं से इलाज

दवाओं से इलाज
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प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने पर मरीज को चिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता होती है। यूरीन की थैली के लगातार भरे रहने से किडनी पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे किडनी के खराब होने का खतरा पैदा हो जाता है। रोग की प्रारंभिक अवस्था में दवाओं द्वारा ग्रंथि को बढ़ने से रोकने का प्रयास किया जाता है।

शल्यक्रिया

शल्यक्रिया
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कुछ लोगों को दवाइयों से कोई लाभ नहीं होता है इसलिए शल्‍यक्रिया के द्वारा प्रोस्टेट ग्रंथि को निकाला जाता है। आधुनिक तकनीक लेजर प्रोस्टेक्टॉमी से प्रोस्टेट ग्रंथि की चिकित्‍सा बहुत ही कम चीर-फाड़ व रक्त-स्राव द्वारा की जाती हैं।

लेजर प्रोस्टेक्टॉमी

लेजर प्रोस्टेक्टॉमी
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लेजर प्रोस्टेक्टॉमी में लेजर किरणों के द्वारा प्रोस्टेट ग्रंथि के उस हिस्से को काटकर अलग कर दिया जाता है जिससे यूरीन नली का मार्ग अवरूद्ध होता है। इस पद्वति से फाइबर ऑप्टिक टेलीस्कोप दूरबीन को रोगी के मूत्रद्वार से मूत्राशय की ओर डाला जाता है। यहां प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़े हुए हिस्से को काटकर निकाल दिया जाता है।

सर्जरी के फायदे

सर्जरी के फायदे
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य‍ह चिकित्‍सा एक दिन की शल्यक्रिया होती है। सुबह ऑपरेशन कराने के बाद शाम तक मरीज अपने घर जा सकता है। यह शल्य क्रिया आसपास स्थित सामान्य ऊतकों को कोई क्षति नहीं पहुंचती हैं। प्रोस्टेट ग्रंथि के लेजर सर्जरी से निकालने के बाद पेशाब करने की आवृत्ति बढ़ती है, तीव्र इच्छा व मूत्राशय पूरा खाली न होने जैसी शिकायतें दूर हो जाती हैं और यूरीन का प्रवाह  भी ठीक हो जाती है।

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