डाइट में शामिल करें ये 3 चीजें, जड़ से खत्म होगा मोतियाबिंद
नीली और ग्रे आंखों वाले लोग मोतियाबिंद के शिकार हरी और हैजेल आंखों की तुलना में कम होते हैं। हैरानी की बात यह है कि ब्राउन आंखों वाले ग्लूकोमा के सबसे कम शिकार होते हैं। इसके अलावा डायबिटीज के मरीजों में भी मोतियाबिंद आसानी से घर कर सकता है। बहरहाल अ

विटामिन ए ग्लूकोमा के रिस्क को कम करने में सहायक है। अतः ऐसे आहार लें जो विटामिन ए के अच्छे स्रोत होते हैं। रेटिनल रिच फूड मीठे आलू, गाजर, दूध, चीज़, बटर आदि के सेवन से ग्लूकोमा के रिस्क को कम किया जा सकता है। आश्चर्य की बात यह है कि दुग्ध उत्पाद किस हद तक ग्लूकोमा को प्रभावित करता है, यह नहीं जाना गया है। लेकिन यह तय है कि दुग्ध उत्पाद से कार्डियोवस्कुलर बीमारियां तथा मोटापा आवश्यक रूप से बढ़ता है।

हाई एंटीआक्सीडेंट मसल ग्रीन टी, चाकलेट काफी आदि भी ग्लूकोमा से लड़ने में सहायक हैं। लेकिन आपको बताते चलें कि काफी आप बिना चीनी के ही खाएं। हालांकि ग्लूकोमा के मरीजों के लिए यह नुकसादायक हो सकती है। अतः काफी कम से कम लें। चाकलेट जो काली और कड़वी हो, वही आपकी आंखों के लिए बेहतर होती है। एक स्पैनिश अध्ययन इन तमाम बातों की पुष्टि करता है।यदि आप हाइपरटेंसिव ग्लूकोमा के मरीज है तो नमक से तौबा करें। वैसे भी नमक का अति सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसके इतर निचले स्तर का नमक कतई न लें। यह आपके शरीर को तो नुकसान पहुंचाता ही है आपको जीवन के लिए अंधेपन की ओर धकेल सकता है।
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रंगीन आहार का मतलब है कि अपने खानपान में हर रंग के आहार शामिल करें। चाहे लाल हो या फिर हरा। सभी रंग के आहार आंखों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। मतलब कहने का यह है कि किसी एक रंग के आहार पर आश्रित न रहें। हालांकि हरे पत्तेदार सब्ज्यिं आंखों के लिए अच्छी हैं। खासकर ग्लूकोमा के लिए बावजूद इसके बेहतर है अपने खानपान में गोभी, गाजर, मटर आदि सब शामिल करें।ग्लूकोमा के स्तर को कम करना है तो हरी सब्जियों का सेवन ज्याद से ज्यादा करें। असल में अध्ययन में हरी सब्जियां और मोतियाबिंद का गहरा सम्बंध पाया गया है। माना गया है कि हरी सब्जियां ग्लूकोमा की दुश्मन की तरह है। पालक, मटर आदि खाएं।
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ऐसे आहार से बचें जिसमें हाई कैलोरी होती है। दरअसल हाई कैलोरी का मतलब है शरीर में अतिरिक्त वसा। आंखों के स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त और खराब वसा काफी नुकसानदेय है। अतः नारियल का तेल, नट्स, सीड्स, चाकलेट आदि न लें। असल में आप जितना ज्यादा वसा से दूरी बनाए रखेंगे बीमारियां उतनी ही आपसे दूर रहेंगी। यदि आपने ऐसा न किया तो स्वास्थ्य के साथ साथ जीवन भर के लिए आंखों की रोशनी से भी हाथ धो बैठेंगे। विशेषज्ञों की मानें तो कम कम करके तरल पदार्थ का सेवन करना बेहतर होता है।
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आंखों के लिए मछली में पाया जाने वाला ओमेगा 3 पीएफए आवश्यक तत्व है। जो लोग नियमित रूप से मछली खाते हैं, अकसर उन्हें आंखों से सम्बंधित बीमारियां मछली न खाने वालों की तुलना में कम होती हैं। अकसर विशेषज्ञ आंखों से जुड़ी परेशानियों से पार पाने के लिए मछली खाने की सलाह देते हैं। अतः आपको यदि मोतियाबिंद या इसके होने के लक्षण का पता चल रहा हो तो मछली को अपनी डाइट चार्ट में अवश्य शामिल करें।
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