मानसिक प्रोत्साहन

रिसर्च में कहा गया है अक्सर दम्पतियों की पहली संतान अन्य संतानों के मुकाबले कई गुना समझदार और गंभीर होती है। पहली यानि कि सबसे बड़े बच्चे की बुद्धिमत्ता और सोचने की क्षमता अपने छोटे भाई-बहनों की तुलना में बेहतर होती है। इसके पीछे का एक कारण माता-पिता द्वारा मिलने वाला अधिक मानसिक प्रोत्साहन भी है।
जिम्मेदारी

बड़े बच्चों पर शुरू से ही छोटे भाई बहनों की देखभाल का प्रेशर होता है। उनके दिमाग में शुरू से ही ये बात डाल दी जाती है कि तुम बड़े हो और जो करना सोच समझकर करना। इसके अलावा माता-पिता की अनुपस्थिति में छोटे भाई-बहनों की जिम्मेदारी अप्रत्यक्ष रूप से बड़ी संतान पर ही आ जाती है।
आर्थिक मदद

घर के बड़े बच्चों को माता-पिता से आर्थिक मदद भी अधिक मिलती है। पहले बच्चे को पढ़ाने और उसके हर तरह के शौक पूरे करने में माता—पिता कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। कहीं ना कहीं इस चीज का असर भी बच्चे पर पड़ता है। जिससे सोचने की क्षमता विकसित होती है।
अधिक भावनात्मक मदद

बड़ी संतान के अधिक बुद्धिमान होने के पीछे अभिभावकों द्वारा मिलने वाली अधिक भावनात्मक मदद भी है। पहली संतान होने के चलते माता-पिता का लगाव उससे ज्यादा होता हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि परिजन छोटे बच्चों से ज्यादा प्यार नहीं करते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि बड़ी संतान से लगाव थोड़ा ज्यादा होता है। क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले उन्हें माता-पिता होने का अहसास कराया है।
तेज आईक्यू

माता-पिता अपनी सारी मेहनत और ज्ञान बड़े बच्चे पर लगा देते हैं। पहली संतान पर बचपन से ही कुछ बनने का प्रेशर होता है। जिससे बच्चा भी फिर उसी सपने को पूरा करने के लिए मेहनत करता है। यानि कि हम कहते हैं कि परिस्थिति भी बड़े बच्चे को समझदार बना देती है।