सरवाइकल का दर्द

आज के तनावपूर्ण जीवन के कारण सरवाइकल की समस्‍या एक आम समस्‍या बन गई हैं। यह समस्‍या गर्दन की नसों पर दबाव पड़ने के कारण होती है। इस दर्द के होने पर गर्दन घुमाने और झुकाने पर काफी पीड़ा महसूस होती है। यहां तक की यह पीड़ा उठने, बैठने, लेटने और चलने पर भी होती है। आमतौर पर लेटकर व ज्यादा टीवी देखना, लम्बे समय तक डेस्क वर्क या पढ़ाई-लिखाई करना, गर्दन में झटका देने, ज्यादा ऊंचे तथा कठोर तकिए का इस्तेमाल करने आदि से यह समस्‍या होती हैं। image courtesy getty images.in
गर्दन की एक्सरसाइज

नसों पर दबाव पड़ने से दर्द गर्दन से शुरू होकर कंधे से होता हुआ पैरो के अगूंठे तक दर्द महसूस होता है। सरवाइकल के दर्द होने पर किसी भी काम में मन नहीं लगता है इसलिए इसका दर्द कम करने के लिए हमें गर्दन की एक्‍सरसाइज करनी चाहिए। इसके लिए गर्दन को घ़ड़ी की दिशा में हल्के-हल्के पांच या दस बार घुमाएं, फिर यही क्रिया विपरीत दिशा में करें। इसके बाद सिर को ऊपर-नीचे व दाएं-बाएं घुमाएं। image courtesy getty images.in
गर्दन की मालिश

सरवाइकल की समस्‍या होने के कारण ब्रेन में ब्‍लड ले जाने वाली ब्‍लड वेसल में कुछ समय के लिए रूकावट आ सकती है। इसलिए गर्दन में दर्द होने पर किसी भी तेल से हलके-हलके मालिश करें या करवाएं। मालिश हमेशा ऊपर से नीचे की ओर ही होनी चाहिए, यानी गर्दन से कंधे की ओर करें। image courtesy getty images.in
गर्म पानी की सिंकाई

सरवाइकल लगातार रहने पर अचानक से हाथों में तेज दर्द भी होने लगता और कई बार लापरवाही बरतने से मसल्‍स में कमजोरी आने के साथ-साथ पैरालिसिस भी हो सकता है। इसलिए इस समस्‍या से बचने के लिए मालिश के बाद गर्म पानी की सिंकाई भी करें। सिंकाई करते समय इस बात का ध्‍यान रखें कि सिंकाई के तुरंत बाद खुली हवा में न जाएं, न ही कोई ठंडा पेय पीये। image courtesy getty images.in
बॉडी का सही पॉश्चर

बॉडी का पॉश्चर ठीक नहीं होने से रीढ़ की हड्डी का अलाइनमेंट बिगड़ जाता है और इसके बिगड़ने से कमर के निचले हिस्से और गर्दन में तेज दर्द होता है। लेकिन अगर आप अपने पॉश्चर को ठीक रखते है और शारीरिक रूप से सक्रिय है। तो सरवाइकल के असहनीय दर्द से बच सकते हैं। image courtesy getty images.in
उठने बैठने का तरीका

सरवाइकल की समस्‍या होने पर कभी भी लेटकर या ज्‍यादा समय टीवी न देखें, ज्यादा समय टीवी देखना हो तो बीच-बीच में उठकर टहल लें। इसके अलावा पढ़ाई-लिखाई व डेस्क वर्क करते समय इसी प्रकार करें। जब भी कुर्सी या सोफे पर बैठें तो पीठ को सीधी रखें तथा घुटने नितम्बों से ऊंचे होने चाहिये। image courtesy getty images.in
ब्रेक लें

लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने और खड़े होने से बचें। नियमित रूप से ब्रेक लेना अपनी आदत बना लें और हर दो घंटे के बाद ब्रेक लें। इससे आपकी मसल्‍स आराम मिलेगा। image courtesy getty images.in
सोने का तरीका

हालांकि आपको एक विशिष्‍ट स्थिति में छह से आठ घंटे की नींद लेना ज्‍यादा अच्‍छा लगता हैं लेकिन सरवाइकल की समस्‍या होने पर आप यह बहुत महत्‍वपूर्ण है कि आप सोने के लिए सामान्य स्थिति बनाए रखने की कोशिश करें। सोने के लिए तकिये का इस्‍तेमाल न ही करें और अगर करना भी हैं तो नर्म व कम ऊंचाई वाला तकिया प्रयोग करें और हमेशा आरामदायक बिस्तर पर ही सोएं। image courtesy getty images.in
जीवनशैली में बदलाव

सरवाइकल से बचने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं। इसके लिए कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर पौष्टिक आहार लें। चाय और कॉफी का इस्‍तेमाल कम करें क्‍योंकि इसके सेवन से कैल्शियम का अवशोषण होता है। इसके अलावा नियमित रूप से व्यायाम और योग करें। image courtesy getty images.in
योग का सहारा

सरवाइकल से बचने के लिए इन क्रियाओं के अलावा योग की सहायता से भी इस समस्‍या पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। इसके लिए आप कुछ आसानों और प्राणायाम का अभ्यास करके इस बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं। इसके भुजंगासन, उष्ट्रासन, चक्रासन, धनुरासन, नौकासन, नाड़ीशोधन, उज्जाई प्राणायाम प्रमुख हैं। image courtesy getty images.in