ऑफिस में रूमेटाइड अर्थराइटिस को मैनेज करने के तरीके

मौजूदा समय में रूमटाईड अर्थराइटिस ने लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है। असल में यह अर्थराइटिस का एक प्रकार है जो कि हमारी हड्डियों के जोड़ों को प्रभावित करता है। तीव्र दर्द, हाथों में अकड़न, थकावट और जोड़ों में दर्द होना आदि रूमटाईड अर्थराइटिस के कुछ सामान्य लक्षण हैं। इन तमाम कारणों के चलते किसी भी रूमटाईड अर्थराइटिस पीडि़त की जिंदगी तनाव से भर सकती है। खासकर दफ्तर में। सवाल है ऐसी स्थिति में रूमटाईड अर्थराइटिस के मरीज दफ्तर को कैसे मैनेज करें। आइये जानते हैं।
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जिस तरह दफ्तर में किससे, क्या और कब कहना है, के जरिये आप अपनी काबीलियत दर्शाते हैं। ठीक इसी नियम को मानते हुए आपनी शारीरिक स्थिति को भी सही दिशा में बयां करें। इससे आपको अपने स्वास्थ्य और काम को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी। साथ ही सहकर्मियों की मदद मिलने की उम्मीद भी बनी रहती है।
एचआर से ईमानदार रहें

आपकी स्थिति क्या है और कब यह बदल रही है। इस बाबत आप किसी से सच बोलें या न बोलें। लेकिन एचआर यानी ह्यूमन रिसोर्स आफिस में सच अवश्य बोलें। असल में एचआर एकमात्र ऐसी जगह है जहां से आपको पूरी मदद मिलने की उम्मीद होती है। इतना ही नहीं एचआर आपकी जरूरतों को भी जहन में रखता है। लेकिन हां, अपनी बीमारी का कभी भी नाजायज फायदा उठाने की कोशिश न करें।
जगह बदलें

रूमटाईड अर्थराइटिस के मरीजों के लिए काम करने की जगह बहुत मायने रखती है। अतः अपने काम की जगह बदलें। यदि संभव हो तो जहां आपको सुविधा लगे, वहीं चुने। अगर ऐसा करना संभव नहीं है तो कुछ बातों का अवश्य ख्याल रखें। मसलन पीठ के सपोर्ट के लिए कुर्सी पर एक तकिया रखें, पेन रिलीवर रखें आदि। इसके अलावा हमेशा टेनिस या कोई भी आउटडोर गेम खेलने की कोशिश करें।
स्थिर न रहें और जरूरत हो तो नौकरी बदलें

मौजूदा कामकाजी जिंदगी एक जगह से शुरु होकर, वहीं खत्म हो जाती है। लेकिन रूमटाईड अर्थराइटिस के मरीजों के लिए यह खतरनाक है। अपनी जगह से बार बार उठों। स्थायी न रहें। थोड़ी थोड़ी देर में चहलकदमी करते रहें। संभव हो तो कुछ एक्सरसाइज भी अवश्य करें। यदि आपकी बीमारी आपकी मौजूदा नौकरी से तालमेल नहीं बैठा पा रही है यानी आप अपनी जाब और बीमारी मैनेज नहीं कर पा रहे तो बेहतर है कि नौकरी बदलें। स्वस्थ रहने के लिए कभी कभी बड़े कदम उठाने पड़ते हैं।
शरीर की सुनें

शरीर को थकावट होती है, दर्द है वगैरह-वगैरह। ये सब बातें आपका शरीर आपसे बिना झिझक कहता है। अतः शरीर के कहते ही उसकी सुनें। मसलन यदि आपको खड़े होने की आवश्यकता है तो बिना सोचे खड़े हो जाएं। अगर चहलकदमी की जरूरत है तो यह भी करें। इसी तरह यदि स्ट्रेचिंग की जरूरत महसूस हो रही है तो यह भी करें।
उम्मीद रखें

कहते हैं कि उम्मीद पर दुनिया टिकी है। ठीक यही बात रूमटाईड अर्थराइटिस के मरीजों पर भी लागू होती है। यदि आपकी बीमारी गंभीर स्तर पर पहुंच चुकी है तो भी उम्मीद न छोड़ें। एक्सरसाइज करते रहें, दफ्तर में तालमेल बैठाने की कोशिश करते रहें।Image Source : Getty