बच्चों के साथ सोना

बदलती जीवनशैली के कारण पेरेंट्स आजकल बच्‍चों के पास नहीं सोते। हालांकि इससे बच्‍चों और अभिभावकों में दूरी बनने लगती है। भागदौड़ की जिंदगी में पेरेंट्स दिनभर तो बच्चों के साथ टाइम बिता नहीं पाते, हालांकि रात को उनके साथ सोने से इस दूरी को कम किया जा सकता है। बच्‍चों के साथ सोने से क्‍या फायदे हो सकते है हम आपको बताते हैं।
सुरक्षा का अनुभव

सोते समय जब बच्‍चे के साथ उसके माता-पिता होते हैं, तब वह स्‍वयं को सुरक्षित महसूस करता है। अकेले सोने पर छोटे बच्‍चे स्‍वयं को असुरक्षित महसूस कर सकते हैं, देखा जाता है कि ऐसे बच्‍चे अक्‍सर रात को सोते हुए उठ जाते हैं और उनकी नींद पूरी नहीं होती।
हेल्दी बैड टाइम रूटीन

समय पर सोने से न केवल नींद अच्छी आती है, बल्कि स्वास्थ्य भी सही रहता है। बच्‍चों में हेल्‍दी बैड टाइम रूटीन डालने के लिए पेरेंट्स को रात में बच्‍चों के साथ ही सोना चाहिए। इससे वे स्‍वस्‍थ लाइफस्टाइल अपना सकेंगे।
मानसिक रूप से करीब

रात को बच्‍चों के करीब सोने से आप उनसे दिनभर उन्होंने क्या खास किया, उनका पूरा दिन कैसा गया और अगले दिन की उनकी क्या प्लानिंग है। यह सब बातें आसानी से पूछ सकते हैं। ऐसा करने से बच्चा आपसे अपने दिल की सारी बात बताएगा और किसी बात पर उन्हें कोई परेशानी है तो आपसे कह देंगे और बिना किसी मानसिक परेशानी लिए आराम से सोएगा।
बच्चों की साथ समय बिताना

अगर आपका बच्चा रोजाना आपसे कहानी सुन कर सोना चाहता है तो इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि उसकी सोने की इच्छा नहीं है, बल्कि वो आपके साथ कुछ और वक्त बिताना चाहता है। ऐसे में भागदौड़ की जिंदगी में पेरेंट्स दिनभर तो बच्चों के साथ टाइम बिता नहीं पाते, रात को पास सोने से ऐसा हो सकता है।
अच्छे संस्कार का मिलेगा आधार

रात को बच्‍चों के पास सोने से आपको एक फायदा यह भी होगा कि आप उसको कहानी सुनाने के जरिए अच्‍छे संस्‍कार डाल सकते हैं। इससे उसके भविष्‍य निर्माण में सहायता मिलती है। जीवन की वि‍कट परिस्थितियों में उसे वह सीख हमेशा याद रहेगी।
नर्सिंग माताओं के लिए आसान

अपने बच्‍चों के पास सोना नर्सिग माताओं के लिए बेहतर होता है। इससे बच्‍चे के साथ उनको भी आराम मिलता हैं। उनको बार बार बिस्‍तर छोड़ कर अपने बच्‍चे को देखने के लिए उठ कर नहीं आना पड़ता।
आत्मसम्मान में वृद्धि

एक अध्‍ययन से यह बात सामने आई है कि जो बच्‍चे अपने मां-बाप के पास सोते है उनमें आत्‍मसम्‍मान में वृद्धि होती है, व्‍यवहार की समस्‍याओं का कम अनुभव होता है, साथियों के दबाव में कम रहते हैं और वह ज्‍यादा खुश और अपनी लाइफ से संतुष्‍ट होते हैं।