मानसून का आनंद आयुर्वेद के संग

गर्मी के बाद मानसून किसी त्यौहार से कम नही होता। इस मौसम में लोग अनेक तरीको से बारिश का आनंद लेते हें। लेकिन अकसर इस बात से अनजान रहते हैं कि यह मौसम कई तरह की बीमारियों, संक्रमणों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी होता है। image courtesy : getty images

मौसम में आये अचानक परिवर्तन से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। जिससे कई तरह की बीमारियां हमें घेर लेती है। आयुर्वेद के अनुसार मानसून में पित्त बहुत अधिक बढ़ जाता है। और अग्नि तत्व जो हमारे शरीर को कार्यात्मक ऊर्जा प्रदान करता है तथा चयापचय और भोजन को पाचने के लिए ज़िम्मेदार होता है। इस दौरान कमज़ोर हो जाता है। image courtesy : getty images

इस मौसम में पित्त के कारण पेट संबंधी, अपच, एसिडिटी, त्वचा संबंधित बीमारियां जैसे फोड़े- फुंसियां, एक्जिमा और बालों का झड़ना और संक्रमण जैसी सामान्य बीमारियां आम होती हैं। साथ ही वातावरण में आद्रता के स्तर के बढ़ जाने से शरीर से महत्वपूर्ण तरल पदार्थों की कमी हो जाती है। इसलिये अगर आप वास्तव में मानसून का आनंद लेना चाहते हैं, तो निम्न सुझावों का पालन करें और स्वस्थ रहें। image courtesy : getty images

इस मौसम में पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है इसलिए भारी तेल जैसे सरसो, मक्खन, मूंगफली और अन्य तेलों के स्थान पर
खाना बनाने के लिए हलके तेल जैसे घी, ऑलिव ऑयल, कॉर्न ऑयल और सनफ्लावर ऑयल का उपयोग करें। image courtesy : getty images

मानसून में हलके और आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थ, पकी हुई या स्टीम सब्जियां, कद्दू, फल, मूंग दाल, खिचड़ी, कॉर्न, काबुली चने का आटा और ओटमील आदि खाएं। इसके अलावा कच्चे सलाद की जगह स्टीम सलाद लें। image courtesy : getty images

मानसून में बहुत अधिक भारी, गर्म, खट्टे जैसे चटनी, अचार, मिर्ची, दही, करी आदि खाद्य पदार्थों को खाने से वाटर रिटेंशन, अपचन, एसीडिटी और पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए तले हुए पदार्थ, जंक फ़ूड, मिर्च मसालों से भरपूर मांस न खाएं। साथ ही सलाद और हरी सब्जियां भी न खाएं। image courtesy : getty images

कसैला स्वाद पित्त को निष्प्रभावित करने में मदद करता है। इसलिए कड़वी सब्जियां जैसे करेला और कड़वी जड़ी-बूटियां जैसे नीम, सूखी मेथी और हल्दी अधिक खाएं। इसके अलावा ये सब चीजें आपको संक्रमण से बचाती हैं। image courtesy : getty images

मानसून में सड़क के किनारे बिकने वाले खाद्य पदार्थों को न खाये। साथ ही बाहर खाना खाते समय सावधान रहें और सुनिश्चित करें कि आप जिस स्थान पर खाना खाने जा रहे हैं वह साफ सुथरा हो। image courtesy : getty images

बहुत अधिक भारी एक्सरसाइज जैसे दौड़ना, साइकिलिंग आदि को करने से पित्त बढ़ती है। इसलिए इसे करने से बचे और इनके स्थान पर योग, वॉकिंग, स्विमिंग और स्ट्रेचिंग आदि हल्की एक्सरसाइज करें। image courtesy : getty images

मानसून में हफ्ते में एक से दो बार तिल के तेल की मालिश करने से रक्तसंचार ठीक रहता है, जिससे आपको स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि कुछ लोगो को तिल का तेल गर्म कर सकता है अत: ऐसे लोगो को नारियल के तेल का उपयोग करना चाहिए। image courtesy : getty images

क्रोध, जलन, ईर्ष्या और अहंकार जैसे गर्म भावनाओं से बचें। क्योंकि इन भावनाओं से पित्त में वृद्धि होती है और यह एक्जिमा, ईर्ष्या या मूत्र पथ के संक्रमण का कारण हो सकता है। image courtesy : getty images
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