श्वेत प्रदर के लिए आयुर्वेदिक उपचार
अगर आप श्वेत प्रदर से ग्रस्त है और दवाईयां खा-खाकर थक चुकी हैं, लेकिन आपको आराम नहीं मिल पा रहा तो आयुर्वेद में इसका स्थायी इलाज है। आइए श्वेत प्रदर के आयुर्वेदिक उपायों के बारे में जानते है।

वर्तमान समय में महिलाओं में ल्यूकोरिया की समस्या आम हो गई है। इससे ज्यादातर महिलाएं प्रभावित होती है। इसे आयुर्वेद में श्वेत प्रदर और आम भाषा में सफेद पानी जाना कहा जाता है। इस रोग से किसी भी उम्र की महिलायें प्रभावित हो सकती है, यहां तक कि अविवाहित लड़कियां भी इस रोग का शिकार हो जाती है। यह स्वयं में कोई रोग नहीं है, लेकिन अन्य कई रोगों का कारण होता है। कई लोगों में इस रोग के कारण योनि में खुजली और जलन होती है और कई महिलाओं में यह बहुत बदबूदार भी होता हे। यह समस्या गुप्तांगों की अस्वच्छता, बहुत ज्यादा आलसी जीवन, मांस, मछली, शराब, चाय काफी जैसे उत्तेजक पदार्थों के अधिक सेवन, अत्यधिक सहवास, गर्भनिरोधक गोलियों के अत्यधिक सेवन से होती है। बार-बार गर्भपात कराना भी इसका एक प्रमुख कारण है। अगर आप इस रोग से ग्रस्त है और दवाईयां खा-खाकर थक चुकी हैं, लेकिन आपको आराम नहीं मिल पा रहा तो आयुर्वेद में इसका स्थायी इलाज है। आइए श्वेत प्रदर के आयुर्वेदिक उपायों के बारे में जानते है।

विटामिन सी से भरपूर आंवला श्वेत प्रदर रोग में रामबाण की तरह होता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटी-इंफेक्शन गुण योनि के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। आप इसे सब्जी, मुरब्बा या चटनी के रूप में खा सकते हैं। या आंवले को सुखाकर अच्छी तरह से पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इस चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा को पानी में मिलाकर लगभग 1 महीने तक रोज सुबह-शाम पीने से महिलाओं में होने वाला श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) नष्ट हो जाता है। इसके अलावा केला भी श्वेत प्रदर के लिए अच्छा होता है। 2 पके हुए केले को चीनी के साथ कुछ दिनों तक रोज खाने से महिलाओं को होने वाला प्रदर (ल्यूकोरिया) में आराम मिलता है।

मेथी के बीज को योनि में पीएच स्तर में सुधार लाने और एस्ट्रोजन स्तर को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, मेथी प्राकृतिक प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में काम करते हैं। मेथी-पाक या मेथी-लड्डू खाने से श्वेतप्रदर से छुटकारा मिल जाता है और शरीर तंदुरुस्त बना रहता है। गर्भाशय कमजोर होने पर योनि से पानी की तरह पतला स्राव होता है। लेकिन मेथी का सेवन करने से गर्भाशय की गन्दगी को बाहर निकलने में मदद मिलती है। गुड़ व मेथी का चूर्ण 1-1 चम्मच मिलाकर कुछ दिनों तक खाने से प्रदर बंद हो जाता है।

नीम योनि गंध और ल्यूकोरिया के इलाज के लिए बहुत प्रभावी है। यह एंटीसेप्टिक गुण योनि संक्रमण और ल्यूकोरिया के कारण होने वाली खुजली और अन्य समस्याओं को दूर करता है। नीम की छाल और बबूल की छाल को समान मात्रा में मोटा-मोटा कूटकर, इसके चौथाई भाग का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से श्वेतप्रदर में लाभ मिलता है। इसके अलावा मुलहठी को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण को 1 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ सुबह-शाम पीने से श्वेतप्रदर की बीमारी नष्ट हो जाती है।

आयुर्वेद के अनुसार, अंजीर ल्यूकोरिया के लिए एक अच्छा उपाय माना जाता है। अंजीर के शक्तिशाली रेचक प्रभाव शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को दूर करने में मदद करता है, जिससे ल्यूकोरिया को कम करने में मदद मिलती है। रात भर पानी के एक कप में दो से तीन सूखे अंजीर को भिगोकर रख दें। अगली सुबह, पानी में भीगे अंजीर खा लें और पानी पी लें। इसके अलावा गुलाब के फूल भी ल्यूकोरिया को दूर करने में बहुत मददगार होते हैं। गुलाब के फूलों को छाया में अच्छी तरह से सुखा लें, फिर इसे बारीक पीसकर बने पाउडर को लगभग 3 से 5 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह और शाम दूध के साथ लेने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) से छुटकारा मिलता है।
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