आदतें जो पहुंचा सकती हैं आंखों को नुकसान
धूल, धूप, प्रदूषण और धुंए के लगातार संपर्क में रहने के कारण आंखों की देखभाल खासतौर पर जरूरी हो जाती हैं। लेकिन जाने अनजाने हम ऐसी चीजे करते है, जिनके चलते हमारी आंखों को नुकसान होने लगता है।

वैसे तो शरीर के सभी अंग हमारे लिए महत्वपूर्ण है लेकिन आंख हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील अंग हैं। इसी के कारण हम दुनिया की खूबसूरती को देख पाते है। इसलिए आंखों की देखभाल बहुत आवश्यक हो जाती है, धूल, धूप, प्रदूषण और धुंए के लगातार संपर्क में रहने पर इसकी देखभाल खासतौर पर जरूरी हो जाती हैं। लेकिन जाने अनजाने हम ऐसी चीजे करते है, जिनके चलते हमारी आंखों को नुकसान होने लगता है। आइए ऐसी ही कुछ आदतों की जानकारी यहां दी गई है।
Image Courtesy : Getty Images

आंखों को जोर से रगडने से बचें आंखों के आसपास की त्वचा बहुत कोमल और नाजुक होती है, बहुत ज्यादा रगड़ने से आंखों की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए आंखों को जोर से रगड़ने से बचें। इसके अलावा आंखों में खुजली होने पर गंदे हाथों से आंखों को रगड़ने पर पलक संबंधी संक्रमण होने का खतरा बना रहता है।
Image Courtesy : Getty Images

आंखें अनमोल हैं... इन्हीं से आप पूरी दुनिया देख सकते हैं, इसलिए कांटेक्ट लेंस इस्तेमाल करने वालों को सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। अक्सर कांटेक्ट लेंस का इस्तेमाल करने वाले लोग इसे पहनकर सो जाते हैं। लेकिन इसे लगाकर सोने से आंखों का कॉर्निया ऑक्सीजन से वंचित हो जाता है। इससे संक्रमण को विकसित और बैक्टीरिया को प्रोत्साहित होने का एक शानदार मौका मिलता है।
Image Courtesy : Getty Images

बहुत से लोग अपनी आंखों की जांच नियमित रूप से नहीं करवाते। विजन परिवर्तन की जांच के लिए अपने आंखों के डॉक्टर को हर साल दिखाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर आप चश्मा नहीं पहनते हैं, तो भी अपनी रोशनी सलामत रखने के लिए नियमित तौर पर आंखों की जांच कराएं। इसके साथ ही खराब लाइफस्टाइल हमारी आंखों की रोशनी पर भी अपना असर डालती है। कई घंटे तक लगातार कंप्यूटर और लैपटॉप पर काम करने से भी आंखों पर असर पड़ता है। इसलिए आंखों को बीमारियों से दूर रखने के लिए नियमित जांच भी जरूरी है। अगर आंखों की नियमित जांच करवाई जाए और सही समय पर डॉंक्टरी सलाह ली जाए तो आंखों की रोशनी जाने के 75 प्रतिशत मामलों को रोका जा सकता है।
Image Courtesy : Getty Images

कुछ आंखों के डॉक्टरों के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन, जैसे हमारे कंप्यूटर, टेबलेट्स और स्मार्टफोन से निकालने वाली नीली लाईट सूरज की पराबैंगनी किरणों की तरह हानिकारक हो सकती है। इसके अलावा कंप्यूटर और लैपटॉप के स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी से आंखें खराब होने के साथ-साथ मोतियाबिंद जैसी बीमारी तक हो सकती है। कई लोग इस वजह से अनिद्रा के भी शिकार हो जाते हैं। इसी तरह लंबे समय तक मोबाइल का इस्तेमाल करने से उसकी स्क्रीन से निकलने वाली एलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणें आंखों के विभिन्न हिस्सों जैसे रेटिना और कॉर्निया पर अपना असर डालती हैं।
Image Courtesy : Getty Images

लाइनर को आंखों के अंदर लगाने से लाइनर आंसू के साथ मिश्रित हो जाते है। और अगर आप लेंस पहनते हैं तो आपके लेंस छोटे मेकअप कणों से लिप्त होकर आपकी आंखों को ऑक्सीजन से वंचित कर देते हैं। और अगर आप लेंस नहीं पहनते हैं तो मेकअप कण आंखों में कीटाणुओं को लाकर संक्रमण पैदा कर सकते है। लिक्विट लाइनर विशेष रूप से खतरनाक होता है। इसलिए सॉफ्ट पेंसिल को इस्तेमाल करने की सिफारिश की जाती है, लेकिन वह भी केवल आंख के बाहर लगाने की।
Image Courtesy : Getty Images

अक्सर लोग रात को मेकअप हटाना भूल जाते हैं। सुबह तक मेकअप लगा रहने से आपकों आंखों की पलकों पर इन्फेक्शन हो सकता है। साथ ही इससे आपकी आंखों के चारों ओर ग्रंथियों में बाधा आने के कारण त्वचा में जलन और मुंहासों की समस्या भी हो सकती है। इसके अलावा नकली पलकों के साथ सोने और उन्हें रगड़ने से, उसकी गोंद आपके कॉर्निया में जाकर सूजन पैदा कर सकती है। इसलिए बिस्तर पर जाने से पहले अपनी आंखों के मेकअप को हटाना न भूलें।
Image Courtesy : Getty Images

कांटेक्ट लेंस का सलूशन आपके लेंस के बैक्टीरियां को साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इसके इस्तेमाल के दौरान इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसमें मौजूद सभी अवयव अपना काम ठीक प्रकार से करें। समय-समय पर इन पर दी एक्सपायरी डेट की जांच करते रहना चाहिए। इस प्रकार आई ड्रॉप्स पर दी गई एक्सपायरी डेट की भी जांच करते रहना चाहिए। कई दवाएं ऐसी भी होती है जिनका इस्तेमाल एक महीने अंदर किया जाता हैं। इस बात का हमेशा ध्यान रखें। यदि आपको किसी दवा के इस्तेमाल से कोई समस्या महसूस हो रही है तो इसके अंधाधुंध इस्तेमाल से बचें।
Image Courtesy : Getty Images

बहुत सारे लोग धूप का चश्मा केवल गर्मियों में ही लगते हैं, लेकिन धूप का चश्मा गर्मियों में ही नहीं, सर्दियों में भी आपकी आंखों की देखभाल में मदद करता है। इससे शुष्क हवायें सीधे हमारी आंखों पर नहीं पड़ती है। साथ ही यह आंखों को सूर्य की पराबैंगनी किरणों से भी बचाती है। ठंड का मौसम विशेष रूप से सर्द मौसम में सूर्य का प्रकाश बहुत कम होता है, जिसके कारण आंखों के कॉर्निया को नुकसान हो सकता है। इसलिए गर्मियों के साथ-साथ सर्दियों में घर से बाहर जाते समय सन ग्लासेज का इस्तेमाल करें।
Image Courtesy : Getty Images
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।