अच्छी सेहत है पाना तो इन 5 चीजों को कभी ना अपनाना
हम अक्सर घरों में में बहुत सारा सामान जुटा लेते है, जिसकी हमें जरूरत भी नहीं होती है। इगर आपको भी ये आदत है तो बदल दीजिए।

घर के सामान को रखने के लिए यहां तक पीने के पानी के लिए भी ज्यादातर प्लास्टिक की बोतल और डिब्बों का प्रयोग किया जाता है। पर ये प्लास्टिक आपके शरीर में विषैले तत्वों को पहुंचाने का काम करते है। इस बात की पुष्टि कई शोध कर चुके है। प्लास्टिक के बर्तनों में खाना गर्म करने या फिर धूप में उसके रहने के कारण उसमें केमिकल डाइऑक्सिन का रिसाव शुरू हो जाता है। यह डाईऑक्सिन पानी में घुलकर हमारे शरीर में पहुंचता है और यही डाइऑक्सिन हमारे शरीर में मौजूद कोशिकाओं पर बुरा असर डालता है। इसकी वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है।प्लास्टिक की बोतल में प्रयोग की जोन वाली बाइसफेनोल ए के कारण दिमाग के कार्यकलाप प्रभावित हो जाते हैं, जिसके कारण इंसान की समझने और याद रखने की शक्ति कम होने लगती है।
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एंटीबैक्टीरियल साबुन का प्रयोग वैसे तो कीटाणुओं का सफाया करने के लिए किया जाता है। पर एक शोध के मुताबिक इसका ज्यादा प्रयोग आपके स्वास्थ्य और सेक्स लाइफ को प्रभावित कर सकता है। एंटीबैक्टीरियल साबुन में इस्तेमाल होने वाला ट्राइक्लोजन नामक रसायन शरीर के लिए नुकसानदायक है।इसके संपर्क से त्वचा रसायनों को अधिक सोखती है जिस कारण शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। सरफेक्टेन्ट एक प्रकार का रसायन है, जोकि पानी और साबुन का मिश्रण होता है। यह गंदगी को तो दूर करता है लेकिन इससे त्वचा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
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अगर आप वजन कम करपने के लिए डाइट सोडा का सेवन कर रहे है, तो भूल जाइये कि कुछ फायदा होने वाला है। एक शोध के अनुसार डाइट सोडा में कैलोरी भले ही कम हो लेकिन इसके सेवन के बाद अधिक कैलोरी लेने की इच्छा तेज हो जाती है। इसका सेवन करने वाले लोगों को मोटापे का रिस्क 41 प्रतिशत अधिक होता है। 12 आउंस सोडा रोज पीने से डायबिटीज होने का खतरा 22 फीसदी बढ़ता है।
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आपको पुराने कपड़े इक्ठ्ठा करने का शौक तो नहीं है ना। वर्ना आपका ये शौक आपको शॉक दे सकता है। इसलिए जो कपड़े पुराने हो चुके हैं या जिसके फैब्रिक में ढीलापन आ गया है उन्हें आप या तो फेंक दें या फिर किसी जरुरतमंद को दान दे दें। वैसे भी आप उन्हे दोबारा नहीं पहनने वाले। हां इन कपड़ो को देख देख कर आपको सिर्फ तनाव ही होगा। ऐसा हम नहीं कह रहें है बल्कि एक शोध का दावा है।
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टूथब्रश को लगभग 3 से 4 महीने या रेशों के फैल जाने की स्थित में और जल्दी बदल देना चाहिये। अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन यह सुझाव देता है कि अपने ब्रश को हमेशा 3 महीने के अंतराल पर बदलते रहना चाहिए। क्योंकि 3 महीने के बाद ब्रश के ब्रिस्टल्स टूटने लगते हैं। इसलिए समय पर ब्रश को बदल देना चाहिए। एक अनुमान के मुताबिक, खुले टूथब्रश में 10 करोड़ से ज्यादा जीवाणु होते हैं जिनमें ई कोलाई (जिनसे डायरिया होता है) और स्टैफाइलोकॉकाई (जिनसे त्वचा में संक्रमण होता है) शामिल हैं।
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