अर्थराइटिस में ऐसे करें व्यायाम, मिलेगा जल्दी आराम
कई लोगों का मानना है कि अर्थराइटिस के दौरान व्यायाम करने से दर्द बढ़ सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। अर्थराइटिस में भी व्यायाम किया जा सकता है और इससे लाभ भी होता है।

कई लोगों का मानना है कि अर्थराइटिस के दौरान व्यायाम करने से दर्द बढ़ सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। अर्थराइटिस में भी व्यायाम किया जा सकता है। आर्थोपेडिक सर्जन बताते हैं कि जब आपके जोड़ों में सूजन आ जाए और जोड़ों का कम से कम इस्तेमाल हो पा रहा हो, तो शायद आपको व्यायाम नहीं करना चाहिए। लेकिन एक बार दवाओं और अन्य उपायों की मदद से जोड़ों की सूजन कम हो जाए, तो आपको व्यायाम अवश्य करना चाहिए। क्योंकि अगर आप व्यायाम नहीं करते, तो मांसपेशियों को नुकसान होता है। व्यायाम करने से आपकी जोड़ों को आंतरिक रूप से पोषण मिलता है। लेकिन अर्थराइटिस के दौरान व्यायाम करते समय कुछ बातों खयाल भी रखना होता है।
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अर्थराइटिस के मरीजों को व्यायाम शुरू करने से पहले अपनी क्षमताओं और सीमाओं को बेहतर ढ़ंग से समझ लेना बेहद जरूरी होता है। इसके साथ ही आपके लिए यह जान लेना भी जरूरी होता है कि आखिर किस स्तर का व्यायाम आपके लिए फायदेमंद होने वाला है।
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खासतौर पर अर्थराइटिस में हड्डियों के आसपास की मांसपेशियों और कोशिकाओं को मजबूत बनाए रखने के लिए व्यायाम बहुत जरूरी है। व्यायाम न करने से वे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे जोड़ों पर अधिक दबाव पड़ता है। सीमित व्यायाम करने से उनमें शक्ति और फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है और जोड़ों में दर्द कम होता है। साथ ही थकान से लड़ने की उनकी क्षमता भी अधिक होती है।
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कोई भी व्यायाम शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें कि आखिर किस प्रकार का व्यायाम आपके लिए ठीक रहेगा। आपको कौन सा व्यायाम करना चाहिए यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किस प्रकार का अर्थराइटिस है और शरीर के कौन से जोड़ अर्थराइटिस से ग्रस्त हैं। इसके अनुसाह ही डॉक्टर आपके लिए ऐसी श्रेष्ठ व्यायाम योजना तैयार कर पाता है, जिससेजोड़ों पर कम से कम दबाव पड़े और आपको अधिक से अधिक लाभ भी मिले।
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पहले जोड़ों पर गर्म सिंकाई करें। गर्मी से जोड़ों और मांसपेशियों को आराम पहुंचता है, जिससे व्यायाम शुरू करने से पहले ही दर्द से आराम मिल पाता है। इसके लिए डॉक्टर की सलाह पर हीट ट्रीटमेंट जैसे, गर्म तौलिया, हॉट पैक या फिर गर्म शॉवर चुन सके हैं। वॉर्म-अप करने के बाद अपने जोड़ों को आराम से हिलायें। इसके बाद रेंज मोशन एक्सरसाइज से व्यायाम की शुरुआत करें। फिर आप स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज और एरोबिक्स एक्सरसाइज कर सकते हैं।
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ज्यादा जल्दबाज़ी न दिखाएं, धीरे-धीरे ही आगे बढ़ें। आसान और धीमे मूवमेंट से एक्सरसाइज शुरू करें। यदि आपको दर्द का अनुभव हो, तो ब्रेक लें। तेज और सामान्य से अधिक दर्द इस बात का इशारा करता है कि कुछ सही नहीं है। अगर आपको जोड़ों में दर्द या लालिमा दिखाई दे तो व्यायाम की गति धीमी कर दें।
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एक्सरसाइज करने के बाद जोड़ों पर बर्फ लगाएं। खासकर ऐसी एक्सरसाइज करने के बर्फ जरूर लगाएं, जिनसे जोड़ों में सूजन आ गयी हो। हां, जोड़ों पर जरूरत से ज्यादा जोर कभी भी न डालें। अधिक उत्तेजित भी न हों और अपने एक्सरसाइज का समय और तीव्रता धीरे-धीरे ही बढ़ाएं।
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यदि आप काफी समय से एक्सरसाइज नहीं कर रहे हैं, तो आपको शुरुआत में दर्द हो सकता है। तो इस बात का ध्यान जरूर रखें कि यदि व्यायाम करने के दो घंटे बाद तक भी आपके जोड़ों में दर्द हो रहा हो, तो इसका अर्थ है कि आप अधिक जोर डालकर व्यायाम कर रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर से बात करें कि कितना दर्द सामान्य है और किस प्रकार का दर्द गंभीर है।
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