अंतर्मुखी व्यक्ति करता है इन मुश्किलों का सामना
तेजी से बदल रहे समाज में जहां लोगों नए-नए तरीकों से अपने गुणों का प्रदर्शन करते हैं, अंतर्मुखी व्यक्ति रोज कई समस्याओं का समाना करता है।

सोशल नेटवर्किंग और नॉन स्टॉप संचार के आज के इस युग में एक अंतर्मुखी के रूप में जीवन जीना काफी मुश्किल होता है। अंतर्मुखी लोगों को अक्सर अपने आस-पास के लोगों के की अटपटे सवालों का जवाब देना पड़ता है। खासतौर पर हमारे देश भारत में तो, जहां हम किसी भी अलग से इंसान पर सवालों को शक के हथियारों से आक्रमण करने के लिए तैयार रहते हैं। वाकी ऐसे में किसी अंतर्मुखी व्यक्ति के लिए अपने हिसाब से जीवन जीना एक कठिन काम है। चलिये तो आज ऐसे ही कष्टप्रद बातों के बारे में बात करते हैं जो एक अंतर्मुखी व्यक्ति को अक्सर झेलनी पड़ती हैं।
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लोग आपसे बार-बार आपसे कुछ एक से सवाल पूछते हैं कि, क्या आप ठीक हैं? या क्या आप ठीक नहीं हैं? आप इतना कम क्यों बोलते हैं? केवल इसलिए क्योंकि आप उनके बोरिंग वर्तालाप में शामिल नहीं हो रहे हैं।
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ऐसा अमूमन माना जाता है कि इंट्रोवर्ट व्यक्तित्व के लोग अधिक रचनात्मक होते हैं। लेकिन मनोवैज्ञानिक जोनाथन रॉन्च ने अपने शोध में माना है कि रचनात्मकता का अंतर्मुखी व बहिर्मुखी व्यक्तित्व के लोगों से कोई संबंध नहीं है। लेकिन उन्हें इस बात पर लगों की टिप्णियों का सामना करना पड़ता है।
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जब आप किसी को बताते हैं कि आपने अपना वीकएंड घर पर किताबें पढ़ कर और फिल्में देखकर गुजारा है तो आपको लोग ऐसे देखते हैं कि आप इस ग्रह से हैं ही नहीं।
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जब आप किसी नए व्यक्ति से मिलते हैं तो वह नया व्यक्ति आपकी इंट्रोवर्ट नेचर के चलते आपको "शर्म से भरा" और "सुरक्षित" मानता है। जो वास्तव में आप हैं नहीं। तो लोगों की इस प्रकार की गलत सोच इंट्रोवर्ट लगों को दुखी करती है।
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जब कभी भी आप कोई नई जोब या कॉलेज जॉइन करते हैं तो मां-बाप का पहला सवाल होता है कि क्या आपने कोई नया दोस्त बनाया कि नहीं? जबकि आपके लिए नई जगह जाते ही दोस्त बनाना जरूरी नहीं होता।
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केवल इस लिए कि आपको यादृच्छिक चीजों के बारे में निरंतर बात करना पसंद नहीं, लोग य ह माल लेते हैं कि आपका चीजों को लेकर खुद का कोई नजरिया ही नहीं है।
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लोगों इस बात को नहीं समझते कि हर वो इंसान जो ज्यादा बोलता है या हंसमुख है, केवल वो ही दिलचस्प नहीं होता है और वो इंसान जो शांत रहता है, वह बोरिंग नहीं होता।
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आजकल खुद की मार्केटिंग करना और हर जगह दिखाई देना जरूरी होता जा रहा है। आ पकी हर कदम पर एक्स्ट्रोवर्ट लोगों से तुलना करना आपके आत्मविश्वास को भी कम कर सकता है।
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जहां इंट्रोवर्ट लोग बेहद संवेदशील होते हैं, वहीं एक्स्ट्रोवर्ट लोगों में संवेदनशीलता कम होती है। उन्हें किसी काम के लिए प्रेरित करने के लिए अधिक प्रयास करना पड़ता है। जहां एक्स्ट्रोवर्ट लोगों की इच्छाएं उनके पर्यावरण से जुड़ी होती हैं, वहीं इंट्रोवर्ट्स खुद से ही खुश होते हैं।
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