कैमरे की इन खूबियों से आप अब तक थे अनजान
क्या आप जानते हैं आपके कैमरे में कई ऐसे फीचर छिपे हुए हैं जिनके बारे में आपको पता ही नहीं है। आइए जानें इन खास फीचर के बारे में।

आजकल बाजार में नयी-नयी तकनीक वाले कैमरे मौजूद हैं जिसमें आपकी जरूरत की सारी चीजें समायी होती हैं। कई बार आपको अपनी हर फोटो के लिए सभी फीचर प्रयोग करने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन कई बार जब आप अपने फोटों को कोई खास इफेक्ट या स्थिति डालने की कोशिश करते हैं तो कैमरे को किसी खास मोड पर सेट करना आपके काम को आसान कर सकता है। आइए जानें कैमरे से जुड़े ऐसे तथ्य जिनसे हैं आप अनजान।

यह एक टेकनिकल टर्म है जो सामान्यत: एचडीआर में प्रयोग की जाती है। इसके प्रयोग से आप तीन या इससे अधिक फोटो को अलग-अलग तरह से ले सकते हैं। इसकी मदद से आप अपने एचडीआर टोन मैपिंग सॉफ्टवेयर में एक से अधिक फोटों लोड कर सकते हैं। इसके अलावा आप एक ही फोटो को कई तरह से ले सकते हैं साथ ही आप इसकी डायनेमिक रेंज भी बढ़ा सकते हैं।

ज्यादातर कैमरे की सेटिंग होती है कि जब आप शटर बटन खोलते हैं तो आपका कैमरा अपनेआप ही फोकस करता है। यह अच्छा है लेकिन कई लोग इसके विकल्प को भी अपनाते हैं जिसे बैक बटन फोकस के नाम से जाना जाता है। यह सभी तरह से मार्डन डीएसएलआर एस में सेट किया जा सकता है। इसकी मदद से फोटो को धुंधली आने से बचाया जा सकता है।

जब आप रॉ (RAW) फार्मेट में शूटिंग करते हैं तो आपके कैमरे का पिक्चर स्टाइल ज्यादा महत्व नहीं रखता है क्योंकि जब इसे कंप्यूटर में लोड किया जाता है तो यह रॉ फार्मेंट में ही बदल जाता है। पिक्चर स्टाइल सिर्फ जेपीईजी फाइल में ही चलता है इसलिए अगर कोई फोटो कैमरे में ब्लैक एंड व्हाइट है तो जब इस कंप्यूटर में रॉ फार्मेट में लोड किया जाएगा तो यह अपनेआप कलरफुल हो जाएगी।

कैमरे में दो तरह के जूम होते हैं- ऑप्टिकल और डिजीटल। डिजीटल जूम पिक्चर को खींचने के बाद उसके साइज को बढ़ाने का काम करता है जिससे इमेज की क्वॉलिटी खराब होती है। जबकि ऑप्टिकल जूम इमेज को खींचने से पहले लेंस को सेट करता है। अधिकतर कैमरों में 3x ऑप्टिकल जूम आता है जो सामान्य जरूरतों के लिए काफी है।

सभी कैमरों के मेमोरी कार्ड एक जैसे नहीं होते हैं। कई डिजीटल कैमरों में हाई स्पीड मैमोरी कार्ड से फायदा मिलता है। एसडी कार्ड की स्पीड उस पर लिखी रहती है। जो जितनी ज्यादा होगी वह उतना ही तेज स्पीड का होगा। इसके अलावा कार्ड की रेटिंग होती है। जहां 1x 150 केबीपीएस के बराबर है। क्लास 4 के कार्ड 26x और क्लास 6 के कार्ड 40x के होते हैं।

यह तकनीक पहले की फिल्मों में प्रयोग की जाती थी जब एक ही फ्रेम में दो तस्वीर दिखानी होती थी। अगर आप इसे ठीक से कर पाए तो इसके परीणाम काफी रोचक और क्रिएटीव हो सकते हैं। यह तकनीक आपको किसी भी इमेंज एडिटिंग सॉफ्टवेयर में भी मिल सकती है।

फोकस मोड की मदद से आपकी फोटो काफी अच्छी आ सकती है। आजकल बाजार में जो नयी तकनीक के कैमरे आ रहे हैं उसमें कई तरह के फोकस मोड मौजूद होते हैं जो आपकी फोटो को आकर्षक बना सकते हैं।

इस फीचर की मदद से आपकी फोटो आपके कैमरे से कभी डिलीट नहीं हो पाएगी। कई बार ऐसा होता है कि आप जल्दी में कुछ फोटो अपने कैमरे से हटाना चाहते हैं तो इसके साथ कुछ दूसरी फोटो भी गलती से डिलीट हो जाती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा जो फोटो आपके कैमरे में लॉक हैं वो बिना लॉक हटाए डिलीट नहीं हो सकती हैं।

कई बार हाथ के हिलने पर फोटो बिगड़ जाती है विशेष रूप से जब शूटिंग की जगह बहुत कम लाईट हो। इस समय इमेज स्टेबलाइजर काम आता है। यह दो प्रकार के होते हैं- ऑप्टिकल इमेज स्टेबलाइजर (इसमें कैमरे की मूवमेंट के हिसाब से लेंस या सेंसर मूव करता है) और डिजीटल स्टेबलाइजर (जिसमें सॉफ्टवेयर की मदद से कैमरे के हिलने को कंट्रोल किया जाता है)। इनमे ऑप्टिकल ज्यादा बेहतर होते हैं। कैमरा खरीदते समय इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें।
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