ओपन रिलेशन के बारे में कुछ सवाल चाहकर भी पूछने से डरते हैं आप
यूरोपीय देशों में प्रचलित ओपन रिलेशनशिप का चलन भारतीय मेट्रो सिटीज में भी तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा सकता है, हालांकि अभी भी अधिकांश भारतीयों के मन में ओपन रिलेशनशिप को लेकर कई सवाल है, लेकिन इन सवालों को पूछने में डरते हैं लोग।

तेजी से बदल रही दुनिया में रिश्तों की परिभाषा और अर्थ भी उतनी ही तेजी से बदल रहे हैं। इसी बीच तेजी से प्रतलित हो रहे हैं ओपन रिलेशनशिप। यूरोपीय देशों में प्रचलित ओपन रिलेशनशिप का चलन भारतीय मेट्रो सिटीज में भी तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा सकता है। लेकिन अभी भी अधिकांश लोगों के मन में ओपन रिलेशनशिप को लेकर कई सवाल हैं, लेकिन उनको पूछने में हिचकिचाते हैं लोग। आगे की स्लाइडशो में इन इन सवालों के बारे में डालते हैं एक नजर।
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यूरोपीय देशों में विकसित ओपन रिलेशनशिप का कॉन्सेप्ट को अब भारतीय समाज भी धीरे-धीरे स्वीकार कर रहा है। इसके समर्थकों का मानना है कि यह रिश्ता आज-कल के लाइफ स्टाइल के अनुरुप है। ओपन रिलेशनशिप में दो लोग लिव इन संबंधों (बिना शर्त वाला शरीरिक संबंध) में रहते हैं, लेकिन दोनों पार्टनर के बीच एक-दूसरे का साथ निभाने का कोई दबाव नहीं होता है।
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दुनिया में कई प्रकार के संबंध और संबंधों से जुड़ी कई अपेक्षाएं होती हैं, लेकिन इनका कोई तय नियम नहीं होता है जिससे हमें ख़ुशी मिले। हो सकता है किसी दूसरे को वही काम सही न लगे जो हमें बेहद आनंद देता हो। ओपन रिलेशनशिप का कॉन्सेप्ट भी इस बात पर ही निर्भर करता है।
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दरअसल ओपन रिलेशनशिप मूल रूप से एक रिश्ता होता है, जहां रिश्ते से जुड़े दोनों भागीदारों को अन्य लोगों के साथ यौन संबंध बनाने की स्वतंत्रता लिए होती है। हालांकि भारत में ओपन रिलेशनशिप की परिभाषा को कई तरह से बदल दिया जाता है।
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ओपन रिलेशनशिप में एक बड़ा सवाल यह होता है कि क्या आप अपने पार्टनर को बता सकते हैं कि आप ओर लोगों के साथ भी संबंध में हैं? तो इसका जवाब हैं हां। क्योंकि आपका साथी भी आपकी जानकारी में ही और लोगों के साथ संबंध में होता है, तो आपको भी इस बारे में बताने में को समस्या नहीं होनी चाहिये।
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सब कुछ बता देने का मतलब ये नहीं कि पार्टनर से किसी और के साथ बिताए अंतरग पलों का विस्तार में वर्णन व चर्चा करें। इतना बता देना कि आप उसके अलावा भी किसी ओर के साथ शारीरिक संबंधों में हैं, काफी होता है।
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दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा एक याचिका पर सुनवाई पर कहा गया था कि लिव-इन-रिलेशन अर्थात ओपन रिलेशन दुष्कर्म के दायरे से बाहर नहीं है। कोर्ट के अनुसार लिव-इन रिलेशन के रिश्तों को आइपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) के दायरे से बाहर करने का अर्थ है कि इसे वैवाहिक दर्जा प्रदान करना होगा, जो मुमकिन नहीं है। इसलिए लिव-इन-रिलेशन को भी दुष्कर्म के दायरे में ही रखा जायेगा।
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वहीं सुप्रीम कोर्ट ने ओपन रिलेशन पर अहम स्पष्टीकरण देते हुए यह भी कहा था कि यदि महिला और पुरुष लंबे समय से पति-पत्नी के रूप में रह रहे हैं तो कानून उन्हें पति पत्नी का ही दर्जा देगा और उनसे पैदा हुए बच्चों को जायज माना जाएगा। कोर्ट के अनुसार लंबे समय तक कायम रहने वाले लिव इन रिलेशनशिप से पैदा होने वाले बच्चों को नाजायज़ करार नहीं दिया जा सकता है।
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यूं तो इन रिश्तों में कई पॉजिटिव बातें हैं। जैसे कि शादी की तरह लिव इन में कोई कॉम्प्लिकेशन या उलझन नहीं होती है और इंसान जब तक चाहे इस रिश्ते में रह सकता है, ऐसे में रिश्ता फ्रेश रहता है और खुशियां भी बनी रहती हैं। साथ ही इन रिश्तों में जिंदगी भर एक दूसरे का साथ निभाने का बोझ भी दिल पर नहीं होता। लेकिन वहीं इसका नकारात्मक पहलू यह है कि भारत के ज्यादातर हिस्से में लिव इन रिलेशनशिप को सामाजिक मान्यता प्राप्त नहीं है। और यदि इसका पता चलने पर, खासतौर पर लड़कियों के लिये सामाजिक तौर पर आपको पूरी तरह तरह स्वीकार नहीं किया जाता। वहीं खुद ओपन रिलेशन वाले भारतीय कपल भी आगे चलकर खुली सोच नहीं रख पाते हैं, इनके साइडइपेक्ट का शिकार बनते हैं।
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