पीरियड्स की बात करने में शर्माना कैसा

हर महीने महिलाओं को होने वाली वो समस्या, जिससे सांस्कृतिक और रूढ़िवादी परंपराओं के चलते खुलेआम बात करने से बचा जाता है, लेकिन फिर भी अन्य स्रोतों मदद से महिलाओं के पास इसकी जानकारी मिल ही जाती है। जी हां, हम पीरियड्स की बात कर रहे हैं। लेकिन फिर भी इससे जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जिनसे महिलाएं आज भी रूबरू नहीं हैं। आइए ऐसी ही कुछ बातों के बारे में हम इस स्लाइड शो के जरिये आपको बताते हैं।
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10 से 12 आयु वर्ष की लड़की का अंडाशय हर महीने एक विकसित डिम्ब उत्पन्न करना शुरू कर देता हैं। वह अंडा फैलोपियन ट्यूब के द्वारा नीचे जाता है जो कि अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ता है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है, उसका अस्तर रक्त और तरल पदार्थ से गाढ़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि यदि अंडा उर्वरित हो जाए, तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। इसी स्राव को मासिक धर्म या पीरियड्स कहते हैं।
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लड़की के किशोरावस्था में पहुंचने पर उनके अंडाशय एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोंन उत्पन्न करने लगते हैं। इन हार्मोंन के कारण हर महीने में एक बार गर्भाशय की परत मोटी होने लगती है और वह गर्भधारण के लिए तैयार हो जाती है।
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पीरियड्स महीने में एक बार होता है, और सामान्यतः यह 28 से 32 दिनों में एक बार होता है। हालांकि प्रत्येक महिला में पीरियड्स की अवधि अलग-अलग होती है, लेकिन अधिकतर मासिक धर्म का समय तीन से पांच दिन रहता है परन्तु दो से सात दिन तक की अवधि को भी सामान्य माना जाता है। पीरियड्स प्रत्येक युवती में 10-12 वर्ष की आयु से शुरू होकर मेनोपॉज यानी 45 से 50 तक चलता है।
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पीरियड्स का अनुभव हर लड़की के लिए अलग होता है। कुछ लड़कियों या महिलाओं में पीरियड्स बिना किसी दर्द के हो जाते है और कुछ के लिए यह समय बहुत ही पीड़ादायक होता है। आमतौर पर पीरियड्स के दौरान शुरूआत के दो तीन दिनों में सबसे ज्यादा दर्द होता है। ऐसे में उन्हें पेट दर्द, सरदर्द और कमर दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ लड़कियों या महिलाओं को तो दर्द इतना अधिक होता है कि वह पीरियड्स के दौरान खाना पीना तक छोड़ देती है। साथ ही उनके रोजमर्रा के काम भी प्रभावित होने लगते है।
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पीरियड्स के दिनों में हर लड़की के शरीर में कुछ न कुछ बदलाव आते है। जिनके चलते लड़की के लुक में बदलाव आने लगता है। इस दौरान पेट का उभार भी दिखने लगता है क्योंकि पीरियड्स के दिनों पेट का आकार तिकोना जैसा हो जाता है। पीरियड्स के दिनों में ही ब्रेस्ट का आकार भी बढ़ता है। लेकिन सभी लड़कियों में एक जैसे बदलाव हो, ऐसा जरूरी नहीं।
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पीएमएस यानी प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम महिलाओं के मासिक धर्म से संबंधित एक प्रकार की समस्या है। पीएमएस के कारण दिमाग में बदलाव, सूजन, अनियंत्रित भूख और नकारात्मक विचार आते हैं। इसके कारण कई तरह की अन्य समस्यायें जैसे स्तनों का टाइट होना और दुखना भी होती हैं। यह मासिक धर्म आने के एक हफ्ते पहले शुरू हो जाता है। इस प्रकार की समस्या एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन के स्तर में असंतुलन के कारण होता है।
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एक स्वस्थ महिला के शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन जैसे तीन हार्मोन्स मौजूद होते हैं। कभी-कभार इन हार्मोन्स में गड़बड़ हो जाती है जिसके कारण पीरियड्स में परिवर्तन आने लगते हैं। या यूं कहिये अनियमित पीरियड्स उस तरह के रक्तस्त्राव को कहते हैं जो किसी महिला में पिछले माह के चक्र से अलग होता है। ऐसे में पीरियड्स देर से या समय से काफी पहले शुरू हो जाते है और उस दौरान रक्तस्राव सामान्य या उससे कहीं अधिक होता है।
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