अश्लील साहित्य और फिल्मों का आपके रिश्ते पर असर

अश्लीलता को लेकर आपकी राय अपने साथी से जुदा हो सकती है, लेकिन कहीं उसको लगता है कि आप जो देख रहे हैं वो सही नहीं है, तो उसकी राय को तवज्जो दी जानी चाहिए। भारत में अश्लील चित्र और साहित्य प्रतिबंधित है। इसे समाज और सामाजिक मानसिकता के लिए अच्छा नहीं माना जाता। बावजूद इसके इंटरनेट की इस दुनिया में यह आसानी से देखा, बेचा और परोसा जाता है। लेकिन, क्या अश्लील साहित्य और फिल्में देखना एक प्रकार का मानसिक विकार है और क्या इससे हमारे रिश्तों पर नकारात्मक असर पड़ता है।

सेक्स का आनंद हर कोई उठाता है। कुछ लोग इसका इस्तेमाल ड्रग अथवा दवा के तौर पर करने लगते हैं। जब कभी भी वे गुस्सा, तनाव, अवसाद अथवा दुखी महसूस करते हैं, तो उन्हें किसी प्रकार के सेक्सुअल एक्टिविटी की जरूरत होती है। आमतौर पर ऐसे लोगों को ही इस प्रकार के अश्लील साहित्य और फिल्मों का चस्का लगता है।

यह लत उसके सेक्सुअल जीवन को बर्बाद कर देती है। वास्तव में जब वे इस प्रकार की चीजें देखते हैं, तो वे इंटरनेट पर मौजूद इस बेहूदा जानकारी के प्रति आसक्त हो जाते हैं। इंटरनेट पर इस तरह की अधूरी और बेकार की जानकारी से भरा पड़ा है। इसके बाद जब वे सामान्य सेक्स जीवन की ओर लौटते हैं, तो उन्हें कई समस्यायें होने लगती हैं।

कई बार ऐसा भी देखा गया है कि इस लत का शिकार हो चुका व्यक्ति अपनी साथी के साथ संबंध बनाने के बजाय इस प्रकार के साहित्य को तरजीह देने लगता है। यह वास्तव में अपमानित करने वाला बर्ताव है। इसके बाद आपको यह कहने का कोई अधिकार नहीं कि आपका सेक्स जीवन बुरे वक्त से गुजर रहा है। आपको अपने साथी से बात कर इस समस्या को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

वास्तव में जो वे इंटरनेट पर देखते हैं, वे वास्तविक जीवन में भी उसे दोहराने का प्रयास करने लगते हैं। जो संभव नहीं है। कई बार आपका साथी इस प्रकार की हरकतों से मना कर सकता है। इसलिए इस प्रकार का बर्ताव व्यक्ति की सेक्स लाइफ पर बहुत बुरा असर डालता है।

जब उनका साथी उनके सेक्स करने के बेहूदा तरीके को मानने से इनकार कर देता है, तो वे दुखी और अवसाद से घिर जाते हैं। ऐसे में वो दोबारा इस प्रकार के अश्लील साहित्य और फिल्मों की ओर जाने लगते हैं। उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ता है।

ऐसे विद्यार्थी जिन्हें अश्लील साहित्य और फिल्मों की लत लग चुकी हो, वे ढंग से पढ़ाई भी नहीं कर पाते। इंटरनेट खोलते ही वे इस प्रकार की वेबसाइट देखना शुरू कर देते हैं। कामकाजी लोगों को ध्यान केंद्रित करने में भी परेशानी होती है। इंटरनेट के लिए उनका अर्थ सेक्स और सेक्सुल वीडियो हो जाता है।

इंटरनेट पर अश्लील फिल्में देखने के आदी लोग किसी भी तरह से घर पर ही रहना चाहते हैं। वे बाहर जाना छोड़ देते हैं। वे ऐसे मौके तलाशते हैं, जब वे घर पर रह सकें और किसी भी तरह अकेले होते ही ऐसी साइट पर जा सकें, जहां उनकी यह जरूरत पूरी हो सके।

अश्लील फिल्मों साहित्य की लत किसी अन्य लत की तरह ही है, आप चाहकर भी इसे छोड़ नहीं पाते और आपको इसकी अधिक से अधिक जरूरत होती है। अगर व्यक्ति को यह न मिले, तो वह दुखी हो जाता है। आप इसे छोड़ भी नहीं पाते, क्योंकि अगर आप ऐसा करते हैं, तो आपको अपने जीवन में किसी प्रकार की कमी महसूस होने लगती है। धीरे-धीरे आपका पूरा जीवन इसी के इर्द-गिर्द घूमने लगता है। आपका काम, रिश्ता और पढ़ाई सब पर असर पड़ता है।

अगर आपको इस बात का अहसास हो कि आप इसके आदी हो चुके हैं, तो आपको फौरन इससे बाहर आने की जरूरत है। आपको चाहिए कि अपनी इस 'बीमारी' को समझें और फौरन मनोचिकित्सक से संपर्क करें। इस लत से छुटकारा पाने के लिए सामाजिक दायरा बढायें और स्व-नियंत्रण की कला सीखें।
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