लाभदायक हैं भारतीय परंपराएं

भारतीय संस्‍कृति न सिर्फ सबसे प्रचीन संस्कृतियों में से एक है बल्की सबसे महान संस्कृतियों में से एक भी है। कई ऐसी भारतीय परम्‍पराएं, जो न सिर्फ हमारे गौरव की निशानी हैं बल्कि मानव जीवन के लिए बेहद स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक हैं, बस जरूरत है तो इनके सही अर्थ को विस्‍तार से जानने और इनके पीछे के तर्क को समझने की। विज्ञान ने भी भारतीय परंपराओं को माना है। चलिये तो आज ऐसी ही कुछ भारतीय परंपराओं के बारे में बात करते हैं, जो न सिर्फ सदियों से चली आ रही हैं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिये भी बेहद लाभदायक हैं। - Images source : © Getty Images
चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल करना

चांदी बहुमूल्‍य गुणों वाली धातु है, जिसमें जर्मीसाइडल, एंटी-वायरल और एंटी-बैक्‍टीरियल गुण होते हैं। ये गुण भोजन को विषाणुओं से मुक्त करते हैं। कई लोग मानते हैं कि भोजन के लिये चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल स्‍टेटस सिंबल था, शायद ऐसा भी हो, लेकिन इनके उपयोग का वास्तविक उद्देश्‍य सिर्फ और सिर्फ खाने को विषाणु मुक्त रखना होता है। यही वजह है कि बच्‍चे की परवरिश के दौरान दूध में चांदी का सिक्‍का डालकर उसे दूध पिलाया जाता है ताकि चांदी के गुण उसके शरीर में चले जाएं। Images source : © Getty Images
पीयरसिंग करना अर्थात कान को छेदना

पीयरसिंग करना न केवन स्‍त्रीत्‍व को परिभाषित करता है बल्कि यह एक प्रकार की एक्‍यूपंक्‍चर प्रैक्टिस भी है, जिससे स्‍त्री का शरीर स्‍वस्‍थ रहता था। विशेषज्ञों का भी मानना है कि नाक और कान का छेदन करना, धार्मिक महत्‍व को दर्शाने के अलावा शरीर को भी अप्रत्‍यक्ष रूप से स्‍वस्‍थ रखता है।Images source : © Getty Images
घर के आंगन में रंगोली बनाना

गांवों से लेकर शहर तक हर जगह किसी भी पर्व या त्यौहार आदि पर हिंदू घरों के बाहर या आंगन में रंगोली जरूर बनाई जाती है। पहले के समय में रंगोली चावल के आटे से बनाई जाती थी, इसके पीछ तथ्य यह थी कि चावल के आटे से रंगोली बनाने से घरों के अंदर कीड़े-मकोड़े नहीं आते थे और घर में स्‍वच्‍छता रहती थी। Images source : © Getty Images
उपवास करने का फायदा

भारत में हर किसी न किसी देवी-देवता का होता है और हर दिन का एक अलग धार्मिक महत्‍व होता है। साथ ही भारतीय संस्‍कृति में थालीभर भोजन करने की परम्‍परा इसलिए है कि लोग सभी प्रकार के पौष्टिक आहार मिल सकें। वहीं महिने में कुछ दिन उपवास के लिये भी हैं ताकि शरीर में पैदा होने वाले असंतुलन और विषाक्‍त पदार्थो को दूर किया जा सके। Images source : © Getty Images
पानी में सिक्के डालने की परम्परा

कई लोग हैरत से पूछते हैं कि भारतीय संस्कृति में पानी के किसी भी स्‍त्रोत में सिक्‍के क्‍यों डाले जाते हैं, उसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। दरअसल पहले सिक्‍के तांबे के बनते थे, जिन्हें पानी में डालने से पानी शुद्ध हो जाता था, क्‍योंकि तांबे में पानी को शुद्ध करने के गुण होते है। साथ ही तांबे में कई ऐसे भी गुण होते है जिनसे शरीर के कई रोग भी सही हो सकते है। लेकिन अब सिक्‍के तांबे के नहीं आते है, इसलिए इन सिक्कों को पानी में डालना व्यर्थ है।Images source : © Getty Images