आयरन

आयरन एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। जो शरीर के विभिन्न अंगों तथा ऊतकों में ऑक्सीजन वहन करने का काम करता है। विडंबना यह है कि आयरन महिलाओं और किशोरियों के आहार में शायद ही मौजूद होने वाले पोषक तत्वों में से एक है। आयरन के दो स्रोत हैं, मांसाहारी स्रोत और शाकाहारी स्रोत। मांसाहारी स्रोतों वाला आयरन अधिक आसानी से शरीर द्वारा अवशोषित होता है। शाकाहारी स्रोत कम आसानी से शरीर द्वारा अवशोषित होता है। हरी पत्तेदार सब्जियां आयरन का एक अच्छा स्रोत हैं अत: उन्हें अपने आहार में प्रतिदिन सलाद या दाल पालक, पुदीना और शलगम की पत्तियां आदि मिलाकर शामिल करने का प्रयास करें। आयरन से भरपूर अन्य सब्जियां हैं, ब्रोकोली, टमाटर, मशरूम, चुकंदर, कद्दू, शतावर तथा शकरकंदी।
विटामिन बी -12

विटामिन बी 12 पानी में घुलनशील विटामिन है। इसका मुख्य कार्य पोषक तत्वों को ऊर्जा में परिवर्तित करने का है। यह मस्तिष्क के सामान्य कामकाज और तंत्रिका तंत्र में भी शामिल है। हालांकि, पोषक तत्वों का अवशोषण उम्र के साथ कम हो जाता हैं। 50 साल या इससे बड़ी उम्र के लोग, जो विटामिन बी 12 को मांस और अनाज के रूप लेते है या फिर बी 12 के सप्‍लीमेंट लेते है उनको एक बार अपने चिकित्‍सक से परामर्श जरूर ले लेना चाहिए।
फाइबर

फाइबर हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को सुचारू रखने में प्रमुख भूमिका निभाता है। फाइबर भोजन को इकठ्ठा करके बड़ी आंत तक ले जाता है। फाइबर ऐसे कार्बोहाइड्रेट हैं, जो पेड़ों के पत्ते, टहनियों और जड़ों का निर्माण करते हैं। फाइबर का सेवन करने के बाद आपको अधिक समय तक भूख नहीं लगती और इनका सेवन बहुत अधिक मात्रा में नहीं किया जा सकता। जई, सेम,जौ और कई फलों में पाये जाते हैं। यह पानी में मिलकर हमारे पाचन तंत्र में जेल जैसी वस्तु बनाते हैं। इससे शक्कर का अवशोषण धीमी गति से होने लगता है। ऐसे फाइबर का लगातार सेवन करने से शरीर में कालेस्ट्राल का स्त‍र कम होता है।
पोटैशियम

शरीर के विभिन्न अंगों, कोशिकाओं और टिश्यु की सही कार्यशीलता के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में पोटैशियम जैसे खनिज पदार्थ का होना बहुत ज़रूरी होता है। पोटेशियम, एक इलेक्ट्रोलाइट के रूप में, शरीर में तरल पदार्थ के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। इसप्रकार से रक्‍तचाप सामान्‍य रहता है। पोटैशियम उर्वरता, मांसपेशियों और तंत्रिका समारोह का समर्थन करता है। वयस्कों में पोटैशियम की दैनिक खपत प्रति दिन 4700 मिलीग्राम होनी चाहिए। पोटैशियम की कमी फल और सब्जियों से भरपूर आहार की सहायता से पूरी करते हैं। सब्जियों और फलों के अलावा पोटैशियम होल ग्रेन, और दूध के उत्पादनों में भी पाया जाता है।
फोलिक एसिड

फोलिक एसिड शैशव और गर्भावस्था के दौरान कोशिका के विभाजन और विकास को तेजी से करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। बच्चों और वयस्कों दोनो को ही स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और एनीमिया को रोकने के लिए फोलिक एसिड की आवश्यकता होती हैं। पौधे फोलिक एसिड के प्रमुख स्रोत हैं। यह हमारे लिए आवश्‍यक है कि वह अपनी दैनिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए दृढ़ साबुत अनाज, हरी सब्जियां, सेम और मसूर की दाल, संतरे का रस और मूंगफली जैसे पोषक तत्वों को अपने आहार में शामिल करें।
कैल्शियम

कैल्शियम प्रारंभिक जीवन में मजबूत, सघन हड्डियों के निर्माण और बाद में जीवन में हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमारी हड्डियां, दांत और नाखून 99 प्रतिशत कैल्शियम से ही बने होते हैं। शेष 1 प्रतिशत कैल्शियम भी हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी होता है। यह रक्त में पाया जाता है और प्रत्येक कोशिका के बीच एक्स्ट्रा सेल्यूलर फ्लूइड में भी मौजूद होता है। नर्वस सिस्टम को सही ढंग से चलाने और एंजाइम्स को सक्रिय बनाने में भी कैल्शियम अहम भूमिका निभाता हैं। दूध और इससे बनी चीजें कैल्शियम का सबसे अच्छा स्रोत मानी जाती हैं। इसके अलावा सभी हरी पत्तेदार सब्जियों, दालों, सोयाबीन, ओट्स, कॉर्न फ्लेक्स जैसे सीरियल्स ब्राउन राइस, चोकर युक्त आटा और रागी में भी पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है।
विटामिन डी

विटामिन डी आंतों में कैल्शियम और फॉस्फेट के अवशोषण के लिए जिम्मेदार होता है। विटामिन डी कैल्शियम व फॉसफोरस के स्तर को बरकरार रखता है। इसमें दोनों पोषक तत्वों को सोख लेने की क्षमता होती है जिससे बच्चों की हड्डियों व दांतों को मजबूती मिलती है। हड्डियों की मजबूती के लिए विटामिन-डी का सेवन अत्यधिक जरूरी है। साथ ही यह कई प्रकार से हमारे शरीर को लाभ पहुंचाता है। दूध और सूर्य की किरणें विटामिन-डी का स्रोत हैं।