नवरात्र और 9 रंग

नवरात्र में मां जगदम्बे की अराधना की जाती है। मां दुर्गा के 9 रूपों की तरह ही 9 रंगों का प्रयोग किया जाता है। नवरात्र के नौ दिनों में पूजा करने के लिए भी भारतीय शास्त्रों में अलग-अलग रंगों का वर्णन किया गया है। मां के इन अवतारों की तरह इन रंगों का भी महत्व है। इन रंगों से शरीर में एक अलग तरह की सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार होता है। तो इस नवरात्र इन 9 रंगों का प्रयोग कीजिए। इसे भी पढ़ें : नवरात्र व्रत के लिए 10 पौष्टिक आहार
शैलपुत्री पूजा- लाल रंग

नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां को समस्त वन्य जीव-जंतुओं का रक्षक माना जाता है। इनकी आराधना से आपदाओं से मुक्ति मिलती है। इसीलिए दुर्गम स्थानों पर बस्तियां बनाने से पहले मां शैलपुत्री की स्थापना की जाती है माना जाता है कि इनकी स्थापना से वह स्थान सुरक्षित हो जाता है। मां का पसंदीदा रंग लाल है और उगते सूरज व रक्त का रंग लाल होता है। ऐसे ही जोश और उल्लास का रंग लाल ही है। लाल को गतिशील, ताकतवर और उत्तेजक रंग माना जाता है। लाल वस्त्रों में मां की पूजा व्यक्ति में दृढ़ स्वाभाव पैदा करती है। इसे भी पढ़ें : नवरात्र व्रत के दौरान स्‍वस्‍थ रहने के आसान तरीके
चंद्र दर्शन- गहरा नीला

चंद्र दर्शन के दिन नीला रंग पहने। नीला रंग शांति और सुकून का परिचायक है। सरल स्वभाव वाले सौम्य व एकान्त प्रिय लोग नीला रंग पसन्द करते हैं। गहरे नीले रंग में तनाव दूर करने की ताकत होती है। चंद्र के दर्शन कर मां से तनावों को दूर करने की प्रार्थना की जाती है।
ब्रह्मचारिणी पूजा- पीला

नवरात्र के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की आराधना की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा और साधना करने से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है। ऐसा भक्त इसलिए करते हैं ताकि उनका जीवन सफल हो सके और अपने सामने आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सकें। पीला रंग ऊर्जा का संवाहक है। यह रंग हमें गर्माहट का अहसास देता है। पीला सुकून देने वाला रंग है। जिन्हें पीला रंग आकर्षित करता है, उनको सूझ-बूझ और जिज्ञासुवृत्ति से सम्पन्न व्यक्ति माना जाता है।
चंद्रघंटा पूजा- हरा

नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा की तीसरी शक्ति माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है। मां चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को भौतिक , आत्मिक, आध्यात्मिक सुख और शांति मिलती है। मां की उपासना से घर-परिवार से नकारात्मक ऊर्जा यानी कलह और अशांति दूर होती है। योग साधना की सफलता के लिए भी माता चन्द्रघंटा की उपासना बहुत ही असरदार होती है। हरा रंग शांत और संतुलित माना जाता है। यह मन की शान्ति दर्शाता है। हरा रंग आपके मन को शांत करता है और आपमें आत्मविश्वास पैदा करेगा।
कुष्माण्डा पूजा- स्लेटी

नवरात्र के चौथे दिन मां पारांबरा भगवती दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था , तब कुष्माण्डा देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अपनी मंद-मंद मुस्कान भर से ब्रम्हांड की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें कुष्माण्डा के नाम से जाना जाता है इसलिए ये सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनकी उपासना से सभी प्रकार के रोग-दोष दूर होते हैं। धन यश और सम्मान की वृद्धि होती है। मां कूष्माण्डा थोड़ी सी पूजा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे मन से माता की पूजा करे तो मन की सारी मुरादें पूरी होती हैं। मां का स्लेटी रंग आपमें शुभ ऊर्जा पैदा करेगा।
स्कंदमाता पूजा- नारंगी

नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता की उपासना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना अपने आप हो जाती है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण स्कंदमाता की पूजा करने वाला व्यक्ति अलौकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है। नारंगी रंग ताजगी का सूचक है। यह आपकी कल्पनाशक्ति का मजबूत बनाएगा।
कात्यायनी पूजा- सफेद

नवरात्र के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। कात्यायन ऋषि के यहां जन्म लेने के कारण माता के इस स्वरुप का नाम कात्यायनी पड़ा। अगर मां कात्यायनी की पूजा सच्चे मन से की जाए तो भक्त के सभी रोग दोष दूर होते हैं। मां कात्यायनी का जन्म आसुरी शक्तियों का नाश करने के लिए हुआ था। इन्होंने शंभु और निशंभु नाम के राक्षसों का संहार कर संसार की रक्षा की थी। सफेद रंग सुख समृद्धि का प्रतीक है, यह मानसिक शांन्ति प्रदान करता है।
कालरात्रि पूजा- गुलाबी

माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति को कालरात्रि के नाम से जाना जाता हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है।देवी कालरात्रि का यह विचित्र रूप भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है इसलिए देवी को शुभंकरी भी कहा गया है। इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है। गुलाबी रंग परिवारजनों के बीच आत्मीयता बढ़ाता है। गुलाबी रंग भावनात्मक प्यार का सूचक है।
महागौरी पूजी- आसमानी नीला

दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है। जिनके स्मरण मात्र से भक्तों को अपार खुशी मिलती है, इसलिए इनके भक्त अष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन और सम्मान करते हुए महागौरी की कृपा प्राप्त करते हैं। यह धन-वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। आसमानी नीला रंग नाजुक मिजाज, संवेदनशील और भावुकता का सूचक है। इसका हल्का शेड मन में ताजगी जगाता है।