कान में दर्द के कारण

कान में दर्द होना एक आम समस्या है। कई बार कान में दर्द, कान में गंदगी जमा होने, कान में एलर्जी या संक्रमण होने और सर्दी के कारण कारण कान में दर्द होने लगता है। कान में दर्द काफी तकलीफदेह होता है। वैसे कान के मध्य से लेकर गले के पीछे यूस्टेचियन ट्यूब के अवरूद्ध हो जाने में अधिकतर कान में दर्द हाने लगता है। यह यूस्टेचियन ट्यूब कान में एक तरल पदार्थ का निर्माण करता है। जिसके कारण कान के पर्दे पर दबाब और संक्रमण के कारण दर्द होने लगता है। कान में दर्द के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं, आइए जानते हैं।
कान में दर्द के कारण

आमतौर पर हम मानते हैं कि कान में दर्द संक्रमण के कारण होता है, वास्तव में अधिकांश मामलों में यह सच भी होता है। खासतौर पर बच्चों या शिशुओं में कान में दर्द का सबसे आम कारण इंफेक्शन या कोल्ड है। बच्चों में कान में दर्द की समस्या तब होती है जब कान की नलिका कॉटन या किसी तेज चीज से साफ करने पर उत्तेजित होती है। कई बार साबुन या शैम्पू के कान में रह जाने से भी कान में दर्द होने लगता है। आइए कान में दर्द के ऐसे ही कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में जानते हैं।
सर्दी-जुकाम

आम सर्दी जुकाम सामान्य और सीमित होता है जो दो-तीन दिन में अपने आप ही ठीक हो जाता है। लेकिन सर्दी-जुकाम के साथ-साथ सांस का उखड़ना, सीने में दर्द और उल्टी की तकलीफ अगर 7 से 10 दिनों से ज्यादा बनी रहे तो आपको अपने डाक्टर से सलाह द्वारा जांच करवानी चाहिए। इसके लक्षणों में बुखार, नाक में हरे या पीले रंग का म्यूक्स, सोने में तकलीफ, सामान्य मांसपेशियों में दर्द और कान में कंपकंपी जैसा दर्द।
ओटिटिस मीडिया

ओटिटिस मीडिया कान के मध्य (मध्य कान कान का परदा के पीछे स्थित होता है) में होने वाला संक्रमण है, यह ज्यादातर बच्चों में देखने को मिलता है। आमतौर पर इसे 'कान संक्रमण' के रूप में जाना जाता है, इसमें कान में दर्द अचानक और बहुत तेज होता है। संक्रमण के आम कारणों में सर्दी या फ्लू का वायरस, धूल या पराग से एलर्जी शामिल है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, लगातार कान में दर्द, सुनने में कठिनाई या अस्थायी रूप से सुनवाई हानि, कान से सफेद, भूरे या खूनी मवाद का निकलना और भूख में कमी शामिल है।
इयर बैरोट्रॉमा

इयर बैरोट्रॉमा वह अवस्था है जिसमें बाहरी दबाव और कान के दबाव के बीच अंतर चोटों को कारण बनता है। बाहरी दबाव हवा या पानी का दबाव हो सकता है। इसलिए इयर बैरोट्रॉमा आमतौर पर स्काइडाइविंग, स्कूबा डाइविंग या हवाई जहाज उड़ानों के दौरान अनुभव होता है। एयर बुलबुले लगातार कान के भीतरी दबाव में संतुलन बनाने के लिए मध्य कान में मूव करते रहते हैं। जब ट्यूब आंशिक या पूर्ण रूप से ब्लॉक होती है, तो बैरोट्रॉमा होता है। जैसे जब विमान लैंडिंग के लिए उतरता है तब वायुमंडलीय दबाव और कान दबाव में अंतर मध्य कान में वैक्यूम पैदा कर कान के पर्दें पर दबाव डालता है जिससे कान में दर्द होने लगता है। बैरोट्रॉमा के कारणों में गले में सूजन, एलर्जी से नाक का बंद होना, श्वसन संक्रमण, दबाव में अचानक परिवर्तन शामिल है। और इसके लक्षणों में कान में दर्द, और कान का भरा हुआ महसूस होना शामिल है। गंभीर लक्षणों में कान में दर्द, कान से खून बहना और बहरापन शामिल है।
कान के पर्दें का फटना

हमारे कान की नलिका पतली, संवदेनशील त्वचा से बनी हड्डियों की एक ट्यूब की तरह होती है। तो कोई भी वस्तु के इस संवेदनशली त्वचा में प्रेस होने पर इसमें बहुत तेज दर्द होने लगता है। इसलिए कान के पर्दें के फटने या कान के पर्दें में छेद होने के कारण कान में लगातार दर्द होने लगता है। कान का पर्दा कान में सेफ्टीपिन, पेन और अन्य वस्तुओं डालने, बैरोट्रॉमा की समस्या, सिर पर गंभीर चोट, बहुत तेज आवाज, ओटिटिस मीडिया, मध्य कान में संक्रमण के कारण फट सकता है। इसके लक्षणों में चोट या लालिमा, कान से खून बहने या मवाद आने, चक्कर आना, बहरापन, कान में बहुत तेज दर्द, कान से आवाज आना और मतली या उल्टी शामिल है।
साइनस संक्रमण

साइनस माथे, नाक हड्डियों, गाल, और आंखों के पीछे खोपड़ी में पाया जाने वाला हवा भरा रिक्त स्थान हैं। स्वस्थ साइनस में हवा साइनस के माध्यम से स्वतंत्र रूप से प्रवाह कर सकती है और म्यूक्स सामान्य रूप से बाहर होता है। लेकिन साइनस के अवरूद्ध होने पर म्यूकस के ठीक प्रकार से बाहर नहीं निकलने पर म्यूकस का निर्माण होने पर कीटाणुओं को विकसित होने का मौदा मिलता है, साइनस में सूजन को साइनस कहते हैं। यह संक्रमण वायरस, बैक्टीरिया, या फंगस से हो सकता है। साइनस में संक्रमण होने से कान में दर्द होने लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि साइनस और कान सिर के अंदर से जुड़ें होते हैं। और जब साइनस बंद होता है तो कान के अंदर हवा का दबाव प्रभावित होता है। हवा के दबाव में परिवर्तन कान में दर्द का कारण बनता है। इसके लक्षणों में सांसों से बदबू, बुखार (बच्चों में तेज बुखार), खांसी खासतौर पर रात में तेज खांसी, थकान, भरी हुई नाक, गले में खराश, सिर दर्द और कान का दर्द शमिल है।
दांत में संक्रमण

कई बार दांत में बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी कान में दर्द होने लगता है। दांत में कैविटी, टूटा या किनारे से टूटा दांत, यह सभी बैक्टीरियों द्वारा पल्प को संक्रमित कर दांतों के टूटने का कारण बन सकते है। अधिक संक्रमण दांतों का समर्थन करने वाली हड्डियों तक फैलकर गंभीर दर्द का कारण बनता है। कान में दर्द तब होता है जब दांतों में दर्द तंत्रिका मार्ग और दांत की आपूर्ति तंत्रिका के बहुत करीब चलाता है या सीधे कान के साथ जुड़ा होता है। इसके लक्षणों में मुंह में कड़वा स्वाद, सांसों में बदबू, चबाने में कठिनाई, बुखार, गर्दन की ग्रंथियों में सूजन, संक्रमित दांत के मसूड़ों में सूजन और कभी-कभी कान में दर्द शामिल है।