सुखासन

योग में सुखासन सबसे आसान योग है। सुखासन का शाब्दिक अर्थ ही है सुख देने वाला आसन यानि इस आसन को करने से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से आपको सुख और शांति का अनुभव होता है। इसे करने के लिए आप जमीन पर पैर मोड़ कर आराम से बैठ जाइए। दोनों हाथों की हथेलियों को खोल कर एक-के ऊपर एक रख दीजिए। इस आसन को करते समय अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा कर के बैठें। इस बात पर ध्यान दें कि आप अधिक झुके हुए न हों। अपने कंधों को ढीला छोड़ते हुए अपनी सांस को पहले अंदर की ओर लें फिर बाहर की ओर छोड़ें।
तड़ासन

ताड़ासान योग की ही एक क्रिया है। ताड़ासन जैसा की नाम से ही विदित है ताड़ के पेड़ के समान। ताड़ासन एक ऐसी स्थिति हैं जब आपका शरीर ताड़ के पेड़ की तरह सीधा खड़ा होता है। इसे करने के लिए हाथों को ऊपर ले जाकर हथेलियों को मिलाएं और हथेलियां आसमान की तरफ होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में दोनों हाथों की अंगुलियां भी आपस में मिली होनी चाहिए। ताड़ासन के दौरान कमर सीधी और नजरें भी सामने की तरफ और गर्दन सीधी होती हैं और शरीर का पूरा भार पंजों पर आ जाता हैं और पूरे शरीर की ताकत शरीर को एक तरफ खींचने में लगती हैं।
वृक्षासन

वृक्षासन यानी पेड़ के समान। यह आसन करने से मनुष्य की आकृति पेड़ के समान हो जाती है। यही कारण है कि इसे वृक्षासन कहते हैं। इसे करने के लिए सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं। अब दोनों पैरों के बीच कुछ दूरी बनाकर खड़े रहें। फिर हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए सीधा कर हथेलियों को मिला दें। अब दाहिने पैर को मोड़ते हुए उसके तलवे को बाईं जांघ पर टिका दें। बाएं पैर पर संतुलन बनाते हुए हथेलियां, सिर और कंधे एक ही सीध में हों। जब तक संभव हो ऐसे रहें। कुछ देर बाद अन्य पैर से भी यह दोहराएं।
त्रिकोणासन

त्रिकोणासन योग का ऐसा आसन है जो पेट की बीमारियों को दूर करता है। यह जांघों को मजबूत बनाता है और शरीर को शेप में लाता है। सर्वाइकल के मरीज ध्‍यान देकर इसे करें। इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े हों, फिर पैरों के बीच में 2 फिट गैप करें। दोनों हाथों को साइड में ले जाकर दायें हाथ से दायें पैर को छूने की कोशिश कीजिए। आपका बांया हाथ एकदम ऊपर की तरफ सीधा होना चाहिए। इस स्थिति में कुछ देर रुकें फिर सामान्‍य स्थिति में आयें। यही क्रिया दूसरे हाथ से भी दोहरायें। नीचे जाते वक्‍त सांस अंदर की तरफ लीजिए और ऊपर जाते वक्‍त सांस छोड़ें।
नौकासन

नौकासन पीठ के बल लेट कर किये जाने वाले आसनों में से एक महत्वपूर्ण योगासन है। इस आसन को नौकासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका आकार नाव की तरह का होता है। इसको नावासन के नाम से भी पुकारा जाता है। इसे करने के लिए सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं। अपने हाथ जांघ के बगल और शरीर को एक सीध में रखें। फिर अपने शरीर को ढीला छोड़े और सांस पर ध्यान दें। अब आप सांस लेते हुए अपने सिर, पैर, और पूरे शरीर को 30 डिग्री पर उठायें। ध्यान रहे आपके हाथ ठीक आपके जांघ के ऊपर हों। धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़ें, इस अवस्था को अपने हिसाब से बनाये रखें। जब अपने शरीर को नीचे लाना हो तो लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए सतह की ओर आयें। शुरुआती दौर में 3 से 5 बार करें।
भुजंगासन

संस्कृत के शब्द भुजंग का अर्थ होता है सर्प और आसन का अर्थ है स्थिति। इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी सर्प की तरह लचीला हो जाती है और शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है। इसीलिए इस आसन को भुजंगासन कहा जाता है। इसे करने के लिए सबसे पहले शुद्ध वातावरण और समतल जमीन पर आसन बिछाकर पेट के बल लेट जाएं। सांस सामान्य रहे और शरीर की मांसपेशियों के शिथिल होने तक इस स्थिति में लेटें। माथे को जमीन पर और हाथों को कंधों के पास इस तरह से टिकाएं कि कोहनियां पीछे की तरफ शरीर के पास आ जाएं। टांगों और पैरों को सीधा रखते हुए आपस में मिला लें। धीरे-धीरे सांस भरें और हाथों को जमीन पर अच्छी तरह से टिकाते हुए कंधों के सहारे नाभि तक के हिस्से को इस प्रकार ऊपर की तरफ उठाएं कि छाती सामने की ओर आ जाए। गर्दन को पीछे की तरफ करते हुए ऊपर आकाश की ओर देखने का प्रयास करें। इस स्थिति में यथाशक्ति रुकने के बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पूर्व स्थिति में लौट आएं।
बालासन

इस आसन को करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं और पेट की चर्बी घटती है। शरीर के भीतरी अंगो में लचीलापन लाता है। शरीर और दिमाग को शांति देता है। इसके अलावा यह घुटनों और मासपेशियों को स्‍ट्रेच करता है। इसे करने के लिए घुटने के बल जमीन पर बैठ जाएं और शरीर का सारा भाग एड़ियों पर डालें। गहरी सांस लेते हुए आगे की ओर झुकें। ध्‍यान रखें कि आपका सीना जांघों से छूना चाहिए, अब अपने माथे से फर्श को छूने की कोशिश करें। कुछ सेकंड इस अवस्था में रहें और वापस उसी अवस्था में आ जाएं।