जोड़ों का दर्द बताता है आपको ये 6 बातें
जोड़ों में दर्द महसूस होने पर हम अक्सर उसे गठिया या ऑस्टियोअर्थराइटिस जैसी समस्याओं से जोड़ने लगते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जोड़ों में दर्द की समस्या अन्य कारणों से भी हो सकती है।

सभी के लिए दर्द एक अप्रिय अनुभव होता है और जोड़ों का दर्द तो बहुत तकलीफदेह होता है। जोड़ों के दर्द से शायद हम सभी परिचित हैं, लेकिन हम हमेशा जोड़ों के दर्द को गठिया और ऑस्टियोअर्थराइटिस से जोड़ते हैं। लेकिन जोड़ों में दर्द के हमेशा यही कारण नहीं होते हैं। कई और बातें इस दर्द को बढ़ा सकती है। आइए ऐसी ही कुछ कारणों के बारे में जानते हैं।
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दवाएं आपके इलाज के लिए दी जाती है लेकिन कुछ दवाएं, विशेष रूप से एंटीबायोटिक दवाएं जैसे पेनिसिलिन रिऐक्शन पैदा करके शरीर में सूजन को बढ़ा सकती है। इसे आपकी त्वचा में लाल चकत्ते, आंखों को लाल होना और सीने में जलन जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती है। लेकिन अगर आप अन्य लक्षणों के साथ जोड़ों में दर्द को भी नोटिस करते हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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गठिया के कारण भी आपके जोड़ों में बहुत अधिक दर्द होने लगता है। यह दर्दनाक स्थिति यूरिक एसिड में क्रिस्टल के निर्माण के कारण होती है और इसमें जोड़ों में सूजन पैदा होने लगती है। गठिया का खतरा उन लोगों में बहुत ज्यादा होता है जिनका इस बीमारी का परिवार का इतिहास हो, बहुत ज्यादा शराब लेते हो, मोटापे के शिकार हो या जो लोग प्यूरिन से भरपूर मीट या समुद्री आहार लेते हो।
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एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली आपको बीमार होने से हमेशा बचा सकती है। लेकिन अगर आपको सारकॉइडोसिस, एक सूजन भरी समस्या है तो इस प्रक्रिया के टूटने की पूरी आंशका होती है, क्योंकि प्रतिरक्षा कोशिकाओं विभिन्न अंगों में समूहों के रूप में पैदा होकर विशेष रूप से लंग में बुखार, थकान, और घरघराहट जैसे लक्षण पैदा कर सकती है। 2010 के एक अध्ययन के अनुसार, पीड़ित के रूप में कई के रूप में एक-चौथाई से अधिक सारकॉइडोसिस गठिया से पीड़ित लोगों को जोड़ों में दर्द का अनुभव होता है।
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लाइम बीमारी ब्रोरेलिया बर्गडोरफेरी (Borrelia burgdorferi ) जीवाणु के कारण होता है, जो टिक (blacklegged tick) के काटने के कारण होता है। इस समस्या के होने पर हमेशा आंखों में लाली नहीं आती लेकिन अगर संक्रमण को लाइलाज या निदान के बिना छोड़ दिया जाये तो सप्ताह के भीतर ही यह आपके शरीर के चारों ओर फैल सकता है। इसके आम लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, जोड़ों में दर्द जैसी समस्याएं देखने को मिलती है। किसी भी अन्य समस्या की तुलना में लाइम रोग में रोगी में जोड़ो के दर्द की समस्या पांच गुना अधिक देखने को मिलती है।
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फाइब्रोमायल्जिया एक ऐसी स्थिति है जिसके कारण पूरे शरीर में दर्द और थकान महसूस होती रहती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार 5 मिलियन युवाओं में जिसमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं, फाइब्रोमायल्जिया के शिकार है। फाइब्रोमायल्जिया के लक्षणों के पहचानना मुश्किल होता है क्योंकि वे अन्य बीमारियों के जैसे ही लगते हैं। इस बीमारी में शरीर की विभिन्न मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द रहता है। दर्द के अलावा मरीज थकावट, अनिद्रा, तनाव व अवसाद का शिकार भी हो जाता है।
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यूं तो हड्डियों में दर्द होना आम बात है। लेकिन अगर यह दर्द अक्सर होने लगे तो इसे गंभीरता से लें और डॉक्टर को दिखाएं यह बोन कैंसर भी हो सकता है। कैंसर की कोशिकाएं जब हड्डियों में फैल जाती हैं तब बोन कैंसर होता है। जेनेटिक लेवल में गड़बड़ी हड्डियों में होने वाले कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। हड्डियों में तीन से चार तरह की सेल्स होती हैं, जिनमें से किसी भी सेल में कैंसर बन सकता है। बोन कैंसर होने पर जोड़ों में दर्द होता है और थकान होने लगती है।
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इससे बचने के लिए विशेषज्ञ अपने आहार में ऐसे फलों और सब्जियों को शामिल करने की सलाह देते हैं जिनमें विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट और पौष्टिक तत्व उचित मात्रा में मौजूद हो। कुछ खाद्य पदार्थो का सेवन और कुछ बातों का ध्यान रखकर इस रोग पर काबू पाया जाया सकता है। इसके साथ ही सामान्य हल्की एक्सरसाइज अर्थाराइटिस या फाइब्रोमाइल्जिया के रोगियों में जोड़ों की गतिशीलता बढाने और दर्द को कम करने और दुखती कड़ी मांसपेशियों को आराम पहुंचाने में मदद करते हैं। अगर ये उपाय आपको राहत नहीं दे पाते तो डॉक्टर से मिलें।
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इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।