पैसा अगर खुदा नहीं... तो खुदा से कम भी नहीं।

ये लाइन पैसे की अहमियत को अच्छी तरह बयां करती है। इसलिए तो पूरी दुनिया पैसे की पीछे भाग रही है। हर कोई चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा पैसे बचाए जाएं। लेकिन पैसा तो हाथ का मैल है। हर दिन हाथ धोते ही हाथ से फिसल जाता है। इसी फिसलते हुए पैसे को बचाने की चिंता में पूरी दुनिया चिंतित रहती है।
यहीं है... यहीं है... यहीं है

कहा गया है- "बीता कल इतिहास है, आने वाला कल रहस्य, लेकिन आज का समय कुदरत की इनायत है।" तो फिर रहस्य को उजला बनाने में आज के समय को चिंता के चिता की आग में क्यों झोंके...। जो खाना चाहते हो वो खाओ, जैसे रहना चाहते हो वैसे रहो। खुश रहो, ताकि तुम्हारे आस-पास के लोग तुम्हें देख कर खुश रहें।
तनाव दूर करे रिटेल थेरेपी

अगर आप अपने लिए कुछ खरीदते हैं तो आप रिलेक्स महसूस करते हैं। तनाव कम होता है। ये सच भी है। एक बार आप खुद आजमा कर तो देखिए। साइकोलॉजी के जर्नल के एक स्टडी के अनुसार शॉपिंग आपके मूड को बेहतर बनाने का कारगर उपाय है। अगर आप अपने लिए कुछ खरीद रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप अपने आपको बेहतर बनाना चाहते हैं औऱ खुद से प्यार करते हैं। खुद से प्यार करना मतलब खुद को खुश रखना।
जो कर रहे हैं अपने लिए कर रहे हैं

ये आपका पैसा है, आपकी लाइफ है और आपकी पसंद है। कमा इसलिए रहे हैं कि खुद की हर जरूरतों और इच्छा को पूरा कर सके। अगर नया हेयरकट लेने का मन है तो लीजिए, फैंसी रेस्टोरेंट में खाने का मन है तो खाइए। महीने में अपने लिए एक बार इतना तो कर ही सकते हैं। ये आपकी महीने के पूरी थकान को भी खत्म करेगी और आप खुद भी महसूस करेंगे की हम पैसा कमा रहे हैं और अपने लाइफस्टाइल को बेहतर भी बना रहे हैं।
खर्च करने और बर्बाद करने में फर्क

ऊपर की सारी चीजों को मतलब है अपने को खुश रखने के लिए पैसा खर्च करना। कुछ लोग इसे गलत तरह से न ले, कि आप रोज शॉपिंग कर रहे हैं औऱ सोच रहे हैं कि आप पैसे खर्च कर रहे हैं। पैसे खर्च करने और बर्बाद करने में फर्क है। कुछ अच्छी और जरूरत की चीज खरीदना मतलब खर्च करना और ऐसे ही कुछ भी खरीद लेना जिसकी कोई जरूरत नहीं तो पैसे बर्बाद करना हुआ। इन दोनों में फर्क समझिए औऱ जीभर के पैसे खर्च करिए।
जितना खर्च करोगे, उतना कमाओगे

खर्च कम करने की कोशिश न करो, पसे ज्यादा कमाने की कोशिश करो। लोग कहते हैं कि अपने पैसों से तो जरूरतें पूरी होती हैं, इच्छाएं तो मां-बाप के पैसों से पूरी होती हैं। गलत... हर मां-बाप की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा उनसे ज्यादा काबिल और एजुकेटेड बने औऱ वो अपने बच्चे को बनाते भी हैं। और अगर मां-बाप अपनी जरूरतों को पूरा करते हुए आपकी इच्छा पूरी कर सकते हैं तो आप क्यों नहीं? मां-बाप के दिए हुए काबिलियत और एजुकेशन पर संदेह कर रहे हैं..? संदेह करना बंद करो और ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने की कोशिश करो औऱ कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।