5 जड़ी-बूटियों से दूर करें पित्त दोष की समस्या
पित्त के बढ़ जाने से त्वचा पर चकत्ते, हार्टबर्न, डायरिया, एसिडिटी, बालों का असमय सफेद या बाल पतले होना, नींद न आना, क्रोध, चिडचिडापन, बहुत अधिक पसीना आना, अर्थराइटिस, मुंहासों या हेपेटाइटिस आदि जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन घबराइए नह

पित्त का अभिप्राय हमारे शरीर की गर्मी से है। शरीर को गर्मी देने वाले तत्व को पित्त कहते है। पित्त शरीर को पोषण और बल देने वाला है। लारग्रंथि, अमाशय, अग्नाशय, लीवर व छोटी आंत से निकलने वाला रस भोजन को पचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यानी पित्त एक प्रकार का पाचक रस होता है जिसका पाचनक्रिया में महत्वपूर्ण कार्य होता है। यह आंतों को उसके कार्य को करने में मजबूती प्रदान करता है तथा उन्हें क्रियाशील बनाए रखता है। आयुर्वेद के अनुसार पित्त दोष शरीर की चयापचय क्रियाओं को नियंत्रित करता है। पानी और अग्नि से बना यह दोष पाचन की प्रक्रिया को नियमित करने में मदद करता है। लेकिन पित्त के बढ़ जाने से हमें त्वचा पर चकत्ते, हार्टबर्न, डायरिया, एसिडिटी, बालों का असमय सफेद या बाल पतले होना, नींद न आना, चिडचिडापन, पसीना आना और क्रोध आदि जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन घबराइए नहीं क्योंकि कुछ जड़ी-बूटियों के उपयोग पित्त दोष को संतुलित किया जा सकता है। आइए ऐसी ही कुछ जड़ी-बूटियों की जानकारी लेते हैं।
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पित्त दोष से ग्रस्त लोगों के लिए इलायची ठंडे मसाले की तरह काम करती है क्योंकि यह लीवर की कार्यक्षमता बढ़ाती है तथा प्रोटीन के चयापचय में सहायक होती है। पित्त दोष होने पर 2 से 3 चम्मच कैस्टर ऑयल के सेवन से पेट साफ करें। फिर 10 ग्राम छोटी इलायची, 10 ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम पीपल तीनों को लेकर पीस लें। फिर इसमें 25 ग्राम मिश्री मिलाकर पीस लें। इसे आधा चम्मच मक्खन के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से पित्त दोष में लाभ होता है।

त्रिफला शरीर में सभी प्रकार के दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। त्रिफला आंवला, हरड़ और बहेड़ा नामक तीन फलों के मिश्रण से बना चूर्ण है। आंवला प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करके प्रतिरक्षा प्रणाली को पोषण प्रदान करता है। हरड़ में लेक्सेटिव गुण पाए जाते हैं और बहेड़ा तरोताजा करने वाली जड़ी-बूटी है जो विशेष रूप से श्वसन तंत्र के अच्छी तरह कार्य करने में सहायक होती है। आंत से जुड़ी समस्याओं में भी त्रिफला खाने से काफी राहत मिलती है। त्रिफला के सेवन से आंतों से पित्त रस निकलता है, जो पेट को उत्तेजित करता है और अपचन की समस्या को दूर करता है।

ब्राह्मी बहुत ही ताकतवर हर्ब है, जिसे ब्रेन टॉनिक कहा जाता है यानी यह मस्तिष्क के लिए बहुत प्रभावी रूप से काम करती है, जिसके कारण एकाग्रता, याद्दाश्त और सीखने की क्षमता बढ़ती है। लेकिन ब्राह्मी मानसिक परेशानियों के साथ-साथ शारीरिक समस्या से निपटने में भी सहायक होती है। ब्राह्मी अपनी ठंडी प्रवृत्ति के कारण शरीर में पित्त दोष को संतुलित करती है और शरीर को ठंडा रखती है। इसके परिणामस्वरूप शरीर का चयापचय क्रिया सही तरह से काम करती है।

केसर में ठंडक पहुंचाने की विशिष्टता होती है। इसलिए जो लोग बढ़े हुए पित्त दोष के कारण अर्थराइटिस, मुंहासों या हेपेटाइटिस की समस्या से परेशान हैं उनके लिए केसर बहुत लाभाकरी होती है। कई शोधों से यह बात पता चली है कि कि केसर में एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जिससे यह सूजन और कैंसर से रक्षा करता है। शतावरी एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसमें पित्त को कम करने और पित्त से आराम दिलाने के गुण होते हैं जिसके कारण इसका उपयोग अपचन, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम और हार्टबर्न के उपचार में किया जाता है। इसके अलावा यह प्रतिरक्षा कोशिकाओं को मजबूत और व्यवस्थित करने में मदद करती है।
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