बलगम वाली खांसी का काल है फिटकरी का ऐसा प्रयोग
फिटकरी का इस्तेमाल आमतौर पर चोट, खरोंच या फिर जलने, कटने के दौरान किया जाता है। इसके अलावा आफ्टर सेव और पानी के शुद्धिकरण के लिए भी फिटकरी प्रयोग में लाया जाता है। आयुर्वेद की मानें तो फिटकरी एक एंटी-बैक्टीरियल औषधि है, जिसके कई लाभ बताए गए हैं।

मुंह से दुर्गंध आती हो या फिर दांतों में किसी तरह का दर्द हो, दोनों ही समस्याओं में फिटकरी का उपयोग काफी फायदेमंद है। फिटकरी एक नेचुरल माउथ वाश की तरह होता है। फिटकरी से गार्गल करने से दांतों के दर्द से राहत मिलती है।

त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया की वजह से पसीने से बदबू आती है। अगर आपके पसीने से बहुत बदबू आती है तो आप फिटकरी का इस्तेमाल कर इस समस्या से निजात पा सकते हैं। करना बस इतना है कि फिटकरी का महीन चूर्ण बनाकर उसकी थोड़ी मात्रा पानी में मिला लें। अब इस पानी से स्नान करने से पसीने से बदबू आना बंद हो जाएगा।

खांसी, दमा और बलगम में भी फिटकरी का उपयोग काफी लाभकारी है। फिटकरी का महीन चूर्ण बनाकर उसे शहद के साथ मिलाकर चाटने से दमा के साथ साथ खांसी में भी काफी लाभ मिलता है।

जैसा कि पहले बताया गया है कि फिटकरी में एंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टी होती है इसलिए इसका उपयोग सिर के जुओं को मारने में भी किया जा सकता है। अगर आपके सिर में जुएं हैं तो आप नियमित रूप से फिटकरी के पानी से स्नान किजिए। इससे जल्द ही आपको जुओं से छुटकारा मिल जाएगा।

फिटकरी रक्त का थक्का बनाने में भी काफी लाभकारी है। अगर आपको कभी चोट लग जाती है और उससे लगातार खून आ रहा है तो आप तुरंत फिटकरी के पानी से घाव को धो लें। ऐसा करने से खून के तुरंत रुक जाने की संभावना रहती है।
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