इन 4 तरीकों से करें फ्रॉस्टबाइट का उपचार
फ्रॉस्टबाइट से टिशू को स्थायी क्षति होती है, इसलिए मौसम के हिसाब से, उचित कपड़े पहनना और संभावित फ्रॉस्टबाइट की स्थिति में तुरंत इलाज तलाशना बेहद ज़रूरी होता है।

फ्रॉस्टबाइट (Frostbite) दरअसल उस मेडिकल कंडीशन को कहा जाता है जिसमे कड़ाके ठंड (बर्फबारी) की वजह से त्वचा व अन्य सम्बंधित अंग व टिश्यू आदि को नुकसान पहुंचता है। फ्रॉस्टबाइट के लक्षणों में हाथ-पैर में सूजन, अंगुलियों में खुजली, अंगुलियों में सफेद व लाल-पीले रंग के फफोले आदि शामिल होते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, अधिक समय तक ठंड में रहने की वजह से हाथ व पैर की रक्त धमनियां सिकुड़ जाती हैं। शरीर के उस अंग में रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है। फ्रॉस्टबाइट तब होता है जब शरीर का टिशू ठंडे तापमान और हवा में रहने के दौरान जम जाता हैं। हाथों और पैरों की अंगुलियां, कान और नाक फ्रॉस्टबाइट से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। फ्रॉस्टबाइट से टिशू को स्थायी क्षति होती है। इसलिए मौसम के हिसाब से, उचित कपड़े पहनना और संभावित फ्रॉस्टबाइट की स्थिति में तुरंत इलाज तलाशना बेहद ज़रूरी होता है।

सबसे पहले फ्रॉस्टबाइट प्रभावित को हवा से अलग किसी बंद जगह लाएं। किसी बर्तन में कुनकुना पानी लें और फिर प्रभावित क्षेत्र को तुरंत पूरी तरह उसमें डुबो दें। तेज़ गर्म पानी का उपयोग न करें क्योंकि इससे त्वचा बहुत जल्दी गर्म हो जाएगी और टिशू को नुकसान पहुंचेगा। अब तकरीबन 30 से 40 मिनट के लिए प्रभावित क्षेत्र को पानी में डाले रखें।

फ्रॉस्टबाइट से प्रभावित इंसान को पानी के तापमान का पता नहीं चलता है। फ्रॉस्टबाइट प्रभावित व्यक्ति तापमान को सही से महसूस नहीं कर पाता है। लेकिन 30 से 40 के मिनट बाद, वो फिर से सब कुछ महसूस कर पाएगा और त्वचा का रंग भी सामान्य होना शुरु हो जाएगा। ध्याद दें कि, टिशू गर्म होते समय तेज दर्द होना आम बात है।

ध्यान रखें कि फ्रॉस्टबाइट प्रभावित टिशू पर किसी भी तरह की कठोरता दिखाने (तापमान या रगड़ आदि) से बहुत ज़्यादा नुकसान हो सकता है। बेहतर होगा कि प्रभावित क्षेत्र को सही तापमान पर लाने के लिए केवल कुनकुने पानी का ही प्रयोग किया जाए। घाव का स ही-सही जायज़ा लेने के लिए डॉक्टर के पास जाए, हालांकि फ्रॉस्टनिप का उपचार बिना डॉक्टरी मदद के घर पर भी किया जा सकता है, लेकिन उससे ज़्यादा कोई भी घाव बेहद नुकसानदायक हो सकता है।

क भी भी त्वचा को हाथों से या तौलिए से न मलें, सूखी गर्मी का इस्तेमाल (अलाव, हीटर आदि) न करें क्योंकि सुन्न त्वचा आसानी से जल जाती है। फ्रॉस्टबाइट गंभीर हो सकता है, इसलिये ध्यानपूर्वक इलाज करें और कोई भी जल्दबीज़ी या लापरवाही न करें।
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