बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के 12 टिप्स
छोटे बच्चों में उत्सुकता स्वाभाविक रूप से होती है इसलिए माता पिता को इन गुप्त खतरों से बचने के लिए घर और बाहर का आकलन करने की आवश्यकता होती है। आइए जानें, बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कौन-कौन से कदम उठाने चाहिए।

एक नन्हें बालक के आने पर माता-पिता खुशी से झुमने लगते हैं, लेकिन इसके साथ ही उनको घर पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। छोटे बच्चों में उत्सुकता स्वाभाविक रूप से होती है और माता पिता को इन गुप्त खतरों के लिए घर और बाहर का आकलन करने की आवश्यकता होती है। इससे पहले की बच्चों की उत्सुकता आपदा हमलों का कारण बने उन्हें इंतजार करने की बजाय सुरक्षा के कदम उठाने चाहिए। कंसलटेंट पेडिएट्रिशन डॉक्टर सुमाना राव के अनुसार, पालना बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने और दुर्घटनाओं को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है।

कार में बेबी को कभी भी आगे की सीट पर नहीं बैठना चाहिए, क्योंकि यह दुर्घटना के समय खतरनाक जगह साबित हो सकती है। इसके लिए बच्चों के लिए विशेष रूप से डिजाइन कार होनी चाहिए जिससे कार सीट पर बच्चा आराम से बैठ सकें और इस तरह की कार सीट बच्चों को सड़क पर सुरक्षा प्रदान करती है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि यात्रा के दौरान कोई भी व्यस्क उस पर हर समय नजर रख सकें।

फॉल्स घर में दुर्घटनाओं का सबसे आम कारण होता हैं। बच्चे जब क्रॉलिंग करना शुरू करते है तो माता-पिता को चाहिए कि ध्यान रखें कि वह क्रॉलिंग करते समय एक सीमा एक अन्दर ही रहें इसके लिए कमरे के बाहर सुरक्षा गेट लगा दें। अगर चेयर या टेबल के कॉर्नर शार्प हों तो उस पर नरम पैड्स, कुशन आदि रखें और अगर हो सके तो राउंडेड और स्मूद कॉर्नर वाले टेबल ही खरीदें।

बच्चे बहुत ही नाजुक होते हैं साथ ही उनके दिमाग में नई-नई शरारत भी पल-पल घुमती रहती हैं। इसलिए माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि घर में बच्चों को नुकीली चीजों से दूर रखें। इसके लिए जरूरी है कि ऐसी चीजों को बच्चों की पहुंच से दूर रखें जो उनके लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं।

अपने घर के पर्दे बिना डोरियों के ही चुनें। क्योंकि कई बार बच्चे इनको खींचकर उनसे खेलने लगते हैं। जो कई बार खतरे को कारण बन सकता है। इसमें बच्चे की गर्दन फंस सकती हैं। लेकिन अगर आप इस तरह के चुनते भी है तो डोरियों को बच्चों की पहुंच से दूर ऊपर बॉधें।

कई बार बच्चे बिजली के सॉकेट में अपनी नन्हीं सी उंगली डाल देते है जिससे उन्हें बिजली को करंट लगने का खतरा होता है। इसलिए ध्यान रखें कि बिजली के सॉकेट या तो उनकी पहुंच से बाहर लगवाएं या फिर सॉकेट कभी भी खुले न छोड़ें। इसके अलावा कई बार छोटे बच्चे बिजली के चलते उपकरण उठाकर खुद को नुकसान पहुंचा लेते हैं इसलिए घर में बिजली के उपकरण चलती हालत में न छोड़ें।

कोशिश करें कि छोटे बच्चों को थोड़ी देर के लिए भी घर में कभी अकेले न छोड़ें। लेकिन किसी कारणवश अगर छोड़ना भी पड़ें तो यह ध्यान रखना चाहिए कि घर की बालकनी पर्याप्त ऊंची हो और वहां पर बच्चों के चढ़ने के लिए कोई सामान न हो। कोशिश करें कि बालकनी को ताला लगाकर ही जाएं।

फिनायल, दवाइयां, साबुन आदि भी बच्चों की पहुंच से दूर रखने चाहिए क्योंकि ऐसी चीजें बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। इसके अलावा ये भी सुनिश्चित कर लें की फ्लोर, टेबल, कैबिनेट आदि में कोई छोटी चीज जैसे- सिक्के, रिंग्स, ड्रॉइंग पिन आदि न रखें क्योंकि बच्चे इसे मुंह में डाल सकते हैं।

बच्चे को गोद में लेकर कभी भी माचिस न जलाएं, सिगरेट न पीये और न ही उनके पास जलती हुई सिगरेट छोड़ें। इसके अलावा उनके आस-पास कोई गर्म चीज नहीं रखनी चाहिए क्योंकि बच्चा इसे छूकर जल सकता हैं।

पेरेंट्स को कभी भी अपने बच्चे को बाथटब में अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि छोटे बच्चों को पानी में छोड़ना या पानी की भरी हुई बाल्टी उनके पास रखना खतरनाक हो सकता है। अगर आपको किसी काम से जाना भी पड़ें तो बच्चे को तौलिये में लपेटकर साथ ही ले जाएं।

खाद्य एलर्जी शिशु सुरक्षा के लिए सबसे बड़े संभावित खतरों में से एक हो सकती है। जब आप अपने बच्चे को ठोस आहार देना शुरू करते हैं तो एक समय में एक ही खाद्य पदार्थ से शुरूआत करनी चाहिए। ऐसा करना न केवल एलर्जी की प्रतिक्रिया जांचने में मदद करता है बल्कि बच्चे को किसी खाद्य से एलर्जी तो नहीं, माता पिता को यह भी पहचाने में मदद करता है।

दूध, अंडा, मूंगफली, ट्री नट्स जैसे अखरोट या बादाम, सोया, अनाज, फिश और शैलफिश यह सब सबसे अधिक एलर्जी वाले खाद्य पदार्थ हैं। ज्यादातर विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि स्तनपान एलर्जी के खिलाफ संरक्षण प्रदान करता है। इसलिए अगर आपके परिवार में एलर्जी का इतिहास है तो आपको अपने बच्चे को एलर्जी से बचाने के लिए लंबे समय तक स्तनपान पर विचार करना चाहिए।

वैसे तो पालतू जानवर बच्चों को नुकसान नहीं पहुंचते है लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है कि बच्चे को संभावित खतरों से बचा कर रखा जाएं। क्योंकि कई बार बच्चा खेल-खेल में कुत्ते की आंख में उंगली मार देता है या फिर उसकी पूंछ खींचने लगता है जिससे वह अपना धैर्य खो सकता है। इसलिए जब भी आपका बच्चा कुत्ते के आसपास हो तो ध्यान देने की ज्यादा जरूरत होती है।
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