पेट की सभी बीमारियों को ठीक करते हैं ये आहार, जरूर खाएं
लगभग हर कोई कभी न कभी पेट खराब होने की स्थिति से जरूर गुजरता है। इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं जैसे पेट दर्द होना, उल्टी आना, डायरिया, कब्ज आदि। पेट खराब होने की कई वजहें हो सकती हैं। इसलिए इसके ट्रीटमेंट भी वजह पर निर्भर करते हैं। लेकिन आप चाहें तो कुछ

जी मचलना, उल्टी आने में अदरक एक कारगर आहार है। दरअसल अदरक एक सुगंधित खाद्य जड़ है। इसका इस्तेमाल सालों-सालों से इस समस्या के लिए किया जा रहा है। इसे कच्चा या पक्का, दोनों स्थिति में खाया जाता है। इसे गर्म पानी में उबालकर पानी को पिया भी जाता है। यह हर रूप में बेहद कारगर औषधि की तरह काम करता है। 500 महिलाओं पर 6 बार किए गए अध्ययन से इस बात की पुष्टि हुई है कि इन्हें अन्य महिलाओं की तुलना में 5 गुना कम जी मचलना और उल्टी आने की समस्या होती है।

यह एक किस्म का हर्बल प्लांट है। इसमें सफेद रंग के फूल होते हैं। यह भी एक तरह का पारंपरिक घरेलू उपाय है, जिसे लंबे समय से पेट खराब होने, हाजमा खराब होने, उल्टी आने, जी मचलने पर इस्तेमाल किया जाता है। इसे आमतौर पर सूखा खाया जाता है या फिर चाय में डालकर पिया जाता है। हालांकि इसके असंख्य इस्तेमाल है, इसके बावजूद कुछ अध्ययन ही इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह पाचन समस्या में कारगर है। हालांकि एक अध्ययन ने इस बात को स्वीकार किया है कि कीमोथैरेपी लेने के बाद अगर केमोमाइल लिया जाए, तो उल्टी का अहसास कम हो जाता है। हालांकि यह अन्य पेट संबंधी बीमारी यानी उल्टी, पेट दर्द में समान रूप से कारगर है, यह नहीं कहा जा सकता।

कई लोगों का पेट इरीटेबल बाउल सिंड्रोम की वजह से खराब होता है। यह एक तरह का क्रॉनिक गट डिसऑर्डर है। इसकी वजह से पेट में दर्द, कांस्टीपेशन, डायरिया जैसी प्रॉब्लम होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या को आसानी से मैनेज नहीं किया जा सकता। लेकिन तमाम शोध अध्ययन इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि ऐसी स्थिति में पुदीना खाने से फायदा होता है। कम से कम दो हफ्ते में एक बार पुदीना के सप्लीमेंट लेने से पेट दर्द की समस्या होना काफी हद तक कम हो जाती है। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि पुदीना के तेल से रोजाना मालिश करने से डाइजेस्टिव ट्रैक्ट की मसल्स रिलैक्स होती हैं। साथ ही डायरिया और पेट दर्द में भी यह कारगर है।

मुलेठी का सेवन भी पेट संबंधी समस्या में एक जाना-माना उपचार है। इसके अलावा स्टमक अलसर में भी यह कारगर तरीके से काम करता है। आमतौर पर मुलेठी को जड़ सहित खाया जाता है। लेकिन इन दिनों इसके सप्लीमेंट भी बाजार में उपलब्ध हैं, जिसे डिग्लाइसाइरिजिनेटेड लिकोरिस माना जाता है कि डीजीएल मुलेठी से ज्यादा कारगर है। क्योंकि इसमें ग्लाइसाइरिजिन नहीं होता। यह एक प्राकृतिक रसायन है, जिसकी अतिरिक्त सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर, लो पोटाशियम स्तर की समस्या हो सकती है।
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