दस कारगर उपाय जो डर को दूर भगायें
डर एक अनजान परिस्थिति ही तो है। ऐसी चीज जिससे हमारा कभी सामना नहीं हुआ। कई बार अहसास होता है कि आखिर डर आपकी सोच से कम डरावना होता है। आपको चाहिए कि आप अपने डर को काबू करने की कला सीखें।

डर क्या है, एक अनजान परिस्थिति ही तो है। ऐसी चीज जिससे हमारा कभी सामना नहीं हुआ। और जब आप उससे मिलते हैं तो आपको अहसास होता है कि आखिर डर उतना भी डरावना नहीं जितना कि आप सोचा करते थे। डर पर काबू पाना और उसे दूर करने के तरीके सुझाना यही है इस स्लाइड शो का मकसद।

चिंता के बादलों में घिरा इनसान साफ-साफ न देख पाता है और न ही सोच पाता है। तेजी से धड़कता दिल, पसीने से सराबोर हथेली और दुविधाओं का मेल, कामयाब नतीजे दे ही नहीं सकता। तो, सबसे पहले अपने लिए वक्त निकालें, ताकि आप शारीरिक रूप से स्वयं को शांत रख पाएं। चिंताओं से दूर रखने के लिए अपने लिए 15 मिनट निकालें। और कुछ न हो, तो यूं ही टहलने निकल जाइए, चाय बनाने में लग जाइए या फिर नहा ही लीजिए। यकीन जानिये, इन छोटी-छोटी बातों के बाद आप खुद को बेहतर महसूस करेंगे। आपके लिए फैसला लेना आसान हो जाएगा।

जब आप किसी चीज को लेकर फिक्रमंद हों, चाहे वो काम हो, रिलेशशिप या फिर कोई एग्जाम या इंटरव्यू। तो, यह सोचिये कि इसमें बुरे से बुरा क्या हो सकता है। मान लीजिये कि आपके किसी प्रजेंटेशन और संवाद का बहुत बुरा अनुभव रहता है, लेकिन बावजूद आपके बचने की संभावना बनी रहती है। कई बार इन चीजों के प्रभाव के कारण व्यक्ति को पैनिक अटैक हो सकता है। ऐसी परिस्थिति में दिल की धड़कन तेज होने लगती है। हाथों में पसीना आने लगता है। इससे निपटने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप इससे लड़ने के बजाय जहां हैं वहीं थम जाएं। इस पैनिक को पूरी तरह महसूस करें। हाथों को पेट पर रखकर गहरी व धीमी सांसें लें। एक मिनट में 12 से ज्यादा सांसें न लें। इससे आपके शरीर को आराम मिलेगा। संभव है कि इससे बाहर आने में आपको एक घंटे का वक्त लग जाए, लेकिन इससे आपका पैनिक दूर हो जाएगा।

हम जितना डर से बचते हैं, डर उतना शक्तिशाली होता जाता है। यदि आप एक दिन लिफ्ट में जाने से डरते हैं, तो अगले दिन लिफ्ट में जरूर जाएं। लिफ्ट में खड़ें हों। और तब तक भय की अनुभूति करें, जब तक कि वह दूर नहीं भागा जाता। अपने डर का पूरी तरह से सामना करें। यकीन मानिये कुछ ही समय में आपका डर दूर भागने लगेगा।

आप जितनी बार डर की आंख में आंख डालकर मिलते हैं, अगली बार वह उतना ही कमजोर होकर मिलता है। और आखिर में वह भय हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है। सोचिये भय से आपके साथ सबसी बुरी परिस्थिति क्या हो सकती है। यही न कि भय आपको हृदयाघात तक पहुंचा सकता है। तो फिर हृदयाघात के बारे में सोचना शुरू करें, और स्वयं से कहें कि ऐसा तो हो ही नहीं सकता। आपका डर खुद ब खुद गायब होने लगेगा।

भय वास्तविकता से अधिक बुरा होता है। जिन लोगों पर कभी हमला हुआ होता है, वह हर बार घर से बाहर निकलते हुए इसी डर में जीते हैं कि उन पर दोबारा हमला न हो जाए। लेकिन, वास्तव में उन पर दोबारा हमला होने की आशंका बहुत कम होती है। इसी तरह से कुछ लोग सोचते हैं कि जब वे आत्म-केंद्रित होते हैं, तो वे शरमाने लगते हैं। इससे वे और अधिक अपसेट हो जाते हैं। लेकिन, तनावपूर्ण स्थिति में शरमाना काफी सामान्य सी बात है। यह बात जान लेने के बाद उनका भय समाप्त हो जाता है।

जीवन में सब कुछ सफेद और काले के बक्से में ही फिट नहीं किया जा सकता। मैं दुनिया का सबसे अच्छा पिता नहीं हूं, मैं अपने जीवन में नाकाम हो गया।' इस प्रकार की सोच आपको केवल फिक्रमंद ही करेगी। जीवन में बहुत तनाव हैं, लेकिन फिर भी हम यही उम्मीद करते हैं कि हमारी जिंदगी परफेक्ट होनी चाहिए। अच्छा-बुरा वक्त आता रहता है। और यह बात मानकर चलिये कि जीवन उतार-चढ़ाव का ही नाम है। इसलिए नाकामी से डरें नहीं, इसे नये जीवन की सीख मानें।

कुछ पल के लिए अपनी आंखें बंद करें और सोचें कि आप दुनिया की सबसे सुरक्षित और शांत स्थान पर हैं। यह कुछ भी हो सकता है। संभव है कि आपकी आंखों के सामने शांत समुद्री किनारा हो। या फिर आप अपने कमरे के पलंग पर चादर तान कर सो रहे हैं। यह भी मुमकिन है कि आंख बंद करते ही आप बचपन के सफर पर निकल जाएं। कुछ भी हो सकता है... कुछ भी। अपने भीतर सकारात्मकता को महसूस करें। महसूस करें कि आप तनाव से मुक्त हैं। ऐसा तब तक करें, जब तक आप खुद को पूरी तरह सुकून भरे माहौल में न पाएं।

डर के बारे में बात न करना उसे बढ़ने का मौका देता है। उसके बारे में बात करने से उस पर काबू पाने का रास्ता मिलता है। इस बारे में आप अपने साथी, दोस्तों अथवा परिवार के सदस्यों से इस बारे में बात कर सकते हैं। यदि आप ऐसा नहीं करना चाहते, तो फिर आप मनोचिकित्सक से भी इस बारे में बात कर सकते हैं। मनोचिकित्सक आपके डर के मूल कारण को जानकर उसका निदान करने में मदद करेगा।

अच्छी नींद, पौष्टिक आहार और सैर आपको तनाव, चिंता और भय को दूर करने में काफी कारगर होती है। जब चिंतायें आपके मन के दरवाजे को तोड़कर अंदर जाने का प्रयास कर रही हों, उसी समय सोना अधिक कारगर होता है। उस समय जागने का प्रयास न करें। तनाव और डर को दूर करने के लिए अधिकतर लोग एल्कोहल और नशे का सहारा लेने लगते हैं। वे मानते हैं कि इससे वे बेहतर महसूस करेंगे। लेकिन, इससे हालात सुधरते नहीं, वरन् और बिगड़ जाते हैं।

जब आप कोई ऐसा काम करें, जिसे करने में आपको डर लगता हो, तो स्वयं को अपनी कामयाबी के लिए इनाम दें। अपनी पसंद का कोई काम करें। फिल्म देखें या फिर दोस्तों के साथ पार्टी करें। याद रखें, डर सबको लगता है, गला सबका सूखता है, लेकिन डर से डरें नहीं, क्योंकि डर के आगे जीत है...
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