ध्यान से जुड़े कुछ प्रचलित मिथ
ध्यान मानसिक रूप से शांति पहुंचाने का एक पुरातन तरीका है। किंतु आज भी इसे लेकर समाज में कई भ्रांतियां और मिथ प्रचलित हैं। कोई इसे धर्म से जोड़ता है तो किसी की नजर में यह गृहस्थ आश्रम से दूर ले जाने का तरीका है।

ध्यान मानसिक रूप से शांति पहुंचाने का एक पुरातन तरीका है। किंतु आज भी इसे लेकर समाज में कई भ्रांतियां और मिथ प्रचलित हैं। कोई इसे धर्म से जोड़ता है तो किसी की नजर में यह गृहस्थ आश्रम से दूर ले जाने का तरीका है। लेकिन, ये सारी बातें सच नहीं है। तो आखिर क्या है ध्यान को लेकर समाज में व्याप्त मिथ और क्या है वास्तविकता। Image Courtesy- GettyImages.in

ध्यान वास्तव में एकाग्रता हटाने वाला है। एकाग्रता वास्तव में ध्यान का एक लाभ है। एकाग्रता के लिए आपको मानसिक रूप से मेहनत करनी पड़ती है और जहां तक ध्यान की बात है इसके लिए आपको मानसिक रूप से शांत और आरामदेह स्थिति में होना चाहिए। ध्यान का अर्थ है, जाने देना, और जब यह होता है, आप शांत स्थिति में पहंच जाते हैं। और जब मस्तिष्क और मना शांत होता है, हम बेहतर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। Image Courtesy- GettyImages.in

योग और ध्यान पुरातन पद्धतियां हैं, जो किसी भी धर्म से परे हैं। वास्तव में ध्यान में वह शक्ति है जो सभी भौगोलिक और धार्मिक सीमाओं को तोड़ने का सामर्थ्य रखती है। यह सभी को साथ लाने का काम कर सकता है। जैसे सूर्य का प्रकाश किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करता, पवन सभी के लिए चलती है, वैसे ही ध्यान भी सभी के लिए समान रूप से लाभकारी है। Image Courtesy- GettyImages.in

ध्यान सारे ब्रह्मांड के लिए है। यह सभी उम्र की सीमाओं से परे हर किसी को समान रूप से लाभ पहुंचाता है। आठ-नौ वर्ष की आयु में ध्यान की शुरुआत की जा सकती है। जैसे स्नान आपके शरीर को बाहरी रूप से स्वच्छ और साफ रखता है, ध्यान आपके मन से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। Image Courtesy- GettyImages.in

वास्तव में ध्यान सम्मोहन का एंटीडोज है। सम्मोहन में व्यक्ति को अपने साथ हो रही घटनाओं का कोई आभास नहीं होता। वहीं ध्यान हर क्षण पूर्ण रूप से जागृत रहने का नाम है। सम्मोहन व्यक्ति को उन्हीं भावनाओं और प्रक्रियाओं से परिचित कराता है, जो उसके अवचेतन मन में कहीं बैठे होते हैं। ध्यान हमें इन पूर्वाग्रहों से मुक्त कराता है, ताकि हम ताजा और स्वच्छ विचारों का समाहित कर सकें। सम्मोहन मेटाबॉलिक प्रक्रिया को तेज कर देता है, ध्यान उसे धीमा करता है। जानकार कहते हैं कि जो लोग नियमित रूप से प्राणायाम और ध्यान करते हैं, उन्हें आसानी से सम्मोहित नहीं किया जा सकता। Image Courtesy- GettyImages.in

विचारों को कोई न्योता नहीं देना पड़ता। जब वे आते हैं, तभी हमें उनकी जानकारी होती है। विचार आकाश में विचरते बादलों की तरह होते हैं। वे स्वयं आते हैं और जाते भी स्वयं ही हैं। विचारों को नियंत्रित करने के लिए आपको काफी मेहनत करनी पड़ती है और शांतचित्त मन की कुंजी सहजता और सरलता है। ध्यान में न तो हमें अच्छे विचारों की भूख होती है और न ही हम बुरे विचारों को दूर भगाने की कोशिश करते हैं। ध्यान में विचारों का साक्षी बना जाता है और आखिरकार उन विचारों से आगे बढ़कर गहन आंतरिक शांति का साक्षात्कार किया जाता है। Image Courtesy- GettyImages.in

वास्तविकता इससे उलट है। ध्यान हमें समस्याओं का हंसकर सामना करने की कला सिखाता है। ये हुनर हमें समस्याओं का खुशनुमा और संरचनात्मक ढंग से सामना करने में मदद करता है। इसके साथ ही हमें परिस्थितियों को उसके वास्तविक रूप में स्वीकार करना सिखाता है। इससे हमें परिस्थितियों के अनुसार मजबूत कदम उठाने में सहायता मिलती है और हम भूत व भविष्य के बारे में अधिक विचार नहीं करते। ध्यान अंदरूनी शक्ति और आत्म-सम्मान को बढ़ावा देता है। यह बरसात के दिनों में छाते की तरह है। चुनौतियां बढ़ती रहती हैं, लेकिन हम भरोसे के साथ उनका सामना कर सकते हैं। Image Courtesy- GettyImages.in

ध्यान के दौरान घंटों बैठने की जरूरत नहीं। न ही घंटों बैठने से ही आपको आंतरिक शांति और एकाग्रता हासिल होती है। केवल एक पल में ही आपके अंतर्मन में ध्यान से ज्योति जग सकती है। रोजाना सुबह-शाम केवल 20 मिनट का ध्यान ही आपको अंतर्मन की गहन और सुखद यात्रा पर ले जाता है। रोजाना ध्यान करने से आपके ध्यान का स्तर और गुणवत्ता बढ़ता जाता है। Image Courtesy- GettyImages.in

ध्यान के लिए आपको घर-बार छोड़ने की जरूरत नहीं है। और न ही आपको भौतिक जीवन से पूरी तरह कटने की ही आवश्यकता है। हकीकत यह है कि ध्यान से आपके आनंद का स्तर बढ़ जाता है। आपको तनाव परेशान नहीं करता और आप जीवन के हर क्षण का आनंद उठाने लगते हैं। शांत और प्रसन्न मन से आप जीवन जीते हैं। और यदि आप प्रसन्न हैं, तो आपके आसपास भी प्रसन्नता ही रहेगी। आपका परिवार और आसपास का माहौल भी सुखद और शांतचित्त रहेगा। Image Courtesy- GettyImages.in

ध्यान के लिए कोई भी समय और दिशा उचित होती है। बस एक बात का ध्यान रखिए कि आपका पेट पूरी तरह भरा हुआ न हो, अन्यथा आप ध्यान के स्थान पर उनींदे महसूस करने लगेंगे। हालांकि, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय ध्यान के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इससे आप बाकी समय शांत और ऊर्जावान महसूस करते हैं। Image Courtesy- GettyImages.in
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