थायराइड के लिए जड़ी बूटी

थायराइड ग्रंथि के ठीक से काम न करने से रक्त में थायराक्सिन नामक हार्मोन का स्तर पर प्रभाव पड़ता है। इस प्रभाव को दो श्रेणी हाइपरथायराइडिज्म और हाइपोथायाराइडिज्म में रखा जाता है। इस स्थिति में वजन बढ़ने या घटने की समस्या होती है। इस महत्वपूर्ण हार्मोनल ग्रंथि को स्वस्थ व संतुलित बनाये रखने के लिए कुछ जड़ी बूटियां उपयोगी साबित हो सकती है।
मुलेठी

मुलेठी थायराइड ग्‍लैंड में संतुलन बना कर रखता है जिससे थायराइड के मरीजों में होने वाली थकान एनर्जी में बदलती है। 2011 में, टेक्सास में बायोसाइंसेज और टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के अनुसार, मुलेठी में पाया जाने वाला प्रमुख घटक ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड अत्यधिक आक्रामक होता है जो थायराइड कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है।
अश्वगंधा

अश्वगंधा एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसमें मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट गुण हार्मोन की सही मात्रा में उत्पादन कर थायराइड को रोकने का कम काम करता है। हार्मोन संतुलन के साथ, अश्वगंधा में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव के कारण यह प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार कर तनाव से मुक्ति दिलाता है।
गेहूं का ज्वारा

गेहूं का ज्‍वारा प्रकृति की अनमोल देन है। इसमें अनेक औषधीय और रोग निवारक गुण पाए जाते हैं। गेहूं का ज्‍वारा रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, साइनस, पाचन संबंधी रोग और थायराइड ग्रंथि के रोग में काम आता है।
अलसी

अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह एसिड थायरायड ग्रंथि के सही तरीके से काम करने में आवश्‍यक भूमिका निभाता है। हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को अलसी और अलसी के तेल का प्रयोग जरूर करना चाहिए।
अदरक

अदरक जिंक, मैग्नीशियम और पौटेशियम का एक अच्छा स्रोत है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण थायराइड की कार्यक्षमता में सुधार लाने में मदद करते हैं। हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को अपने आहार में इसको शामिल करना चाहिए। अदरक का उपयोग आहार में भिन्‍न-भिन्‍न प्रकार से कर सकते हैं।
इचिन्सिया

इचिन्‍सिया एक लोकप्रिय जड़ी-बूटी है, इसका उपयोग प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए किया जाता है। इचिन्‍सिया में मौजूद तत्व हाइपोथायरायडिज्म से पी‍ड़‍ित लोगों के इससे निजात दिलाते हैं। यानि कि इचिन्‍सिया का सेवन थायराइड को दूर रखता है।
ब्लैडररैक

यह एक प्रकार का हर्ब है जिसका प्रयोग हाइपोथायराडिज्म समेत कई बीमारियों में होता है। इस समुद्री शैवाल में प्राकृतिक आयोडीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो थायराइड ग्रंथि को संतुलित करने के लिए जाना जाता है।
बाकोपा

अगर आप थायराइड की समस्या से ग्रस्त हैं तो आप बाकोपा नामक जड़ी बूटी की मदद ले सकते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक बकपा एक शक्तिशाली जड़ी बूटी जो थायराइड ग्रंथि को संतुलित करने के काम करती है।
काले अखरोट

सीफूड के अलावा काले अखरोट को आयोडीन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। विभिन्‍न अनुसंधान से पता चलता है कि आयोडीन एक आवश्‍यक पोषक तत्‍व है जो थायराइड ग्रंथि के स्वास्थ्य और कामकाज को ठीक रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।