नवरात्रि व्रत को आसान बनाएंगे ये 10 पौष्टिक आहार
आइए हम आपको बताते हैं ऐसे ही कुछ पौष्टिक आहार के बारे में जो इस दौरान आपको रखते हैं सेहतमंद।

भारतीय संस्कृति में नवरात्रों का विशेष स्थान है। नवरात्रों में लोग अपनी क्षमता और इच्छानुसार दो अथवा सभी नवरात्र का फलाहार व्रत रखते हैं। नवरात्रों में व्रत के दौरान घर पर बने खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा अच्छा रहता है। नवरात्र में व्रत में पौष्टिक खाना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है ताकि नौ दिन व्रत के दौरान आपकी सेहत ठीक रहे। आइए हम आपको बताते हैं ऐसे ही कुछ पौष्टिक आहार के बारे में जो इस दौरान आपको रखते हैं सेहतमंद।

व्रत के आहार में आप साबूदाने का प्रयोग कर सकते है। यह व्रत के दौरान बहुत ही फायदेमंद होता है। साबूदाना में कार्बोहाइड्रेट की प्रमुखता होती है और इसमें कुछ मात्रा में कैल्शियम व विटामिन 'सी' भी होता है। पकने के बाद यह हल्का पारदर्शी, नर्म और स्पंजी हो जाता है। व्रत के दौरान साबूदाने का प्रयोग कई प्रकार से किया जा सकता है। साबू दाने की खीर, पापड़, पूड़ी और खिचड़ी आदि बनती है।

नवरात्रों के व्रत में आलू का खूब सेवन किया जाता है। आलू पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें सबसे ज्यादा स्टॉर्च पाई जाती है। आलू को उबाल कर खाने से शरीर से अतिरिक्त चर्बी समाप्त होती है। इसके अलावा आलू का चिप्स और पापड भी व्रत के दौरान खाये जाते हैं लेकिन सेहत के लिहाज से इन्हें फायदेमंद नहीं कहा जा सकता।

व्रत के दौरान ड्राई फ्रूट्स जैसे काजू, बादाम, किशमिश, पिस्ता, अखरोट, मखाने और बादाम गिरी आदि का सेवन किया जाता है। ड्राई फ्रूट्स के सेवन से शरीर को काफी ऊर्जा मिलती है। व्रत में ड्राई फ्रूट, मसाले और मूंगफली की गिरी के साथ मीठा मिलाकर नमकीन बनाकर भी सेवन किया जाता है। इसके साथ इस दौरान कई लोग मेवे की खीर बनाकर भी खाते हैं। हालांकि यह सेहत के लिहाज से भी अच्छी होती है, लेकिन इसमें चीनी कम मात्रा में डालनी चाहिए।

व्रत के दौरान विभिन्न प्रकार के फलों का सेवन किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के फलों में एंटीऑक्सीडेंट्स, मिनरल आदि की बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप जिस फल का सेवन करें वे ताजे हों, जिससे आपके स्वास्थ्य पर खराब असर ना हो। ताजे फलों को एक साथ मिलाकर आप फ्रूट चाट भी बड़ी ही आसानी से बना सकते हैं। फलों को कच्चा खाने के साथ ही उनका जूस, रायता और चाट आदि बना कर खायी जा सकती है।

व्रत के दौरान कुट्टू के आटे से बने खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है। सिंघाडे़ या कुट्टू के आटे की पकौड़ी, रोटी आदि बनाकर खाया जा सकता है। कुट्टू के आटे से कुट्टू की पूरी व्रत के दौरान सबसे आसानी से बनने वाला और स्वादिष्ट आहार है।

नवरात्र में व्रत के दौरान दूध और दूध से बने हुए अन्य पदार्थ जैसे पनीर, दही, लस्सी और मट्ठे आदि का सेवन भी कर सकते है। दूध में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। और इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैलोरी मिलती है। व्रत के दौरान कम भोजन खाने से भी इससे ऊर्जा का स्तर बरकरार रहता है।

नवरात्र में व्रत के दौरान दही का सेवन फायदेमंद होता है। दही में दूध की अपेक्षा कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। दही के बैक्टीरिया तथा पोषक तत्व शरीर के लिए एंटीबायोटिक का कार्य करते हैं। दही में प्रोटीन, लैक्टोज, कैल्शियम, लोहा, फास्फोरस आदि कई विटामिन्स होते हैं, इसलिए इसे अधिक पौष्टिक आहार माना जाता है। व्रत में दही को कई प्रकार से खाया जा सकता है। फल और फलाहार में भी दही मिलाकर सेवन किया जाता है।

नवरात्र व्रत में आप विभिन्न प्रकार की मिठाइयों का सेवन भी कर सकते है। व्रत के खाने से पहले या खाने के बाद मिठाई खाई जा सकती है। व्रत के दौरान ज्यादा भूख लगने पर थोड़ी सी मिठाई खाकर आप काफी हद तक भूख को शांत कर सकते है। मिठाई में आप तिल के या नारियल के लड्डू खा सकते है अक्सर व्रत के दौरान ही इसे बनाया जाता है।

व्रत के दौरान अक्सर भूख लगना स्वाभाविक होता है। लेकिन कुछ समय के अंतराल पर चाय पीने से भूख पर आप नियंत्रण पा सकते हैं। साथ ही नवरात्र में चाय पीने से थकान दूर होती है और एनर्जी भी बनी रहती है। इसके अलावा चाय में कॉफी की तरह एण्टी आक्सीडेंट होता है, जो आपके शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। चाय आपको तरो-ताजा तो रखती है साथ ही बीमारियों से भी बचाती है। व्रत के दौरान ग्रीन टी का सेवन भी फायदेमंद होता है।

नवरात्र व्रत में विभिन्न फलों से बने जूस का सेवन किया जाता है। नवरात्र में फलों का जूस पीना स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इस दौरान आप कई प्रकार के जूस का सेवन कर सकते हैं। व्रत के दौरान जूस पीने शरीर में पानी की कमी नहीं होती और डिहाइड्रेशन से बचा जा सकता है। साथ ही जूस से शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैलोरी भी मिलती रहती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि जूस में चीनी की मात्रा अधिक ना हो।
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