आपके रसोईघर में छिपा है अस्थमा का इलाज
अस्थमा पीड़ित लोगों को ऐसे आहरों का सेवन करना चाहिए जो उनके लिए नुकसानदायक ना हो। ऐसे आहरों के बारें में सोचने की बजाय अपनी रसोईघर में एक नजर डालें।

जब आहार की बात आती है तो अस्थमा के मरीज़ों के पास परहेज़ के आहार की एक लम्बी सूची होती है। आइये जानें कि आपके रसोईघर में मौजूद आहार का सेवन कर आप अस्थमा अटैक से कैसे बच सकते है।
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उत्तम इलाज के लिए एण्टीआक्सिडेंट
अपने आहार में जितना हो सके एण्टी आक्सिडेंट्स की मात्रा बढ़ा दें। ऐसे आहार जिनमें कि विटामिन ई और सी अधिक मात्रा में होते हैं उनसे सूजन कम होती है।
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रंगीन फल और सब्जि़यां
गाज़र, शिमला मिर्च, पालक और दूसरे गहरे रंग के फलों और सब्जि़यों में बीटा कैरोटीन होता है। जितने गहरे रंग का आहार होगा, एण्टी आक्सिडेंट्स की मात्रा भी उतनी ही अधिक होगी।
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विटामिन ई की सीमित मात्रा
विटामिन ई खाना पकाने के तेल में आसानी से मिल जाता है। इसे कम मात्रा में लेना चाहिए। सूरजमुखी के बीज, केले, बादाम और साबुत अनाज में कम मात्रा में विटामिन होता है और इसलिए इन्हें प्रतिदिन लेना चाहिए।

हरी सब्जि़यों के हरे संकेत
वो मरीज़ जिन्हें तनाव के कारण अस्थमा का अटैक होता है वो विटामिन बी ले सकते हैं जैसी हरी सब्जि़यों का सेवन करें।
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प्याज़ के राज़
कच्चे प्याज़ में सल्फर अधिक मात्रा में होती है जिससे अस्थमैटिक्स में सूजन कम होती है। यह उन लोगों के लिए भी अच्छा होता है जिन्हें सासों से सम्बन्धी समस्याएं रहती हैं।
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ओमेगा-3 फैटी एसिड का साथ
ओमेगा 3 फैटी एसिड से फेफड़ों की सूजन और टिश्यूज़ की क्षति से बचाव होता है। लगातार अस्थमा अटैक के कारण टिश्यूज़ की क्षति होती है। ओमेगा 3 फैटी एसिड सैलमन, मछलियों में पाया जाता है।
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चिकित्सक की राय: मसालों को कहें ना
मसाले मुंह के, गले के और फेफड़ों के नर्व को उत्तेजित करते हैं जिससे अधिक मात्रा में सैलाइवा निकलता है और म्यूकस पत्ला हो जाता है। अस्थमैटिक्स को अदरक, लहसुन और अत्यधिक मसालेदार आहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
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अनिवार्य हैं दूध के उत्पाद
दूध, मक्खन और दूध के दूसरे उत्पादों से अस्थमा की सम्भावना कम हो जाती है। वो बच्चे जो अधिक मात्रा में दूध के उत्पाद लेते हैं उनमें सांसों की घरघराहट की समस्या कम होती है।
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काफी से दोस्ती
अस्थमा अटैक की स्थिति में काफी लेना अच्छा होता है क्योंकि इससे सांस लेने में आसानी होती है। कैफीन थीयोफिलिन के जैसा ही होता है। लेकिन चिकित्सक ऐसा मानते हैं कि अधिक मात्रा में कैफीन लेने से तनाव बढ़ता है।
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