
गर्भावस्था में योग व व्यायाम महिलाओं के लिए फायदेमंद है लेकिन, इसके लिए जरूरी है कि आप यह जान लें कि गर्भावस्था के किस चरण में कौन सी कसरत और योग किया जाए।
गर्भावस्था में योग व व्यायाम महिलाओं के लिए फायदेमंद है लेकिन, इसके लिए जरूरी है कि आप यह जान लें कि गर्भावस्था के किस चरण में कौन सी कसरत और योग किया जाए। गर्भावस्था की पहले तिमाही में मिसकैरेज की संभावना सबसे ज्यादा होती है इसलिए एक्सरसाइज करते समय विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
गर्भावस्था में व्यायाम एवं मुद्राओं को करने के दौरान अपने शरीर के सभी भागों को धीरे-धीरे फैलाना होता है। इस दौरान, योगासन स्वयं को चुस्त तथा लचीला बनाए रखने का एक सरल तरीका है। आइए जानें गर्भावस्था की पहली तिमाही में कौन सी एक्सरसाइज आपके लिए ठीक रहेंगी।
अर्द्ध तितली आसन
किसी समतल स्थान पर बैठकर दोनों टांगों को सीधा खोलें। दाईं टांग को मोड़ें फिर जितना संभव हो सके उतना ऊपर उठाएं। दाएं हाथ को मुड़े हुए बाएं घुटने के ऊपर रखें। दाएं पैर के पंजों को बाएं हाथ से पकड़ें। सांस भीतर खींचते हुए दाएं घुटने को आराम से छाती की ओर ले जाएं। सांस छोड़ते हुए घुटने को वापस नीचे ले जाएं और फर्श को छूने की कोशिश करें। इस योग को करते समय कमर नहीं हिलनी चाहिए। टांग को दाएं बाजू के दबाव के द्वारा हिलाना है। इस क्रिया को अब बांयी टांग से दोहराएं। दोनों टांगों को धीर-धीरे ऊपर-नीचे हिलाने का अभ्यास करें। ध्यान रहें इस योग को करते समय अधिक जोर न लगाएं।
लाभ
नितंब और घुटनों के जोड़ों को ढीला करने के लिए यह एक सर्वश्रेष्ठ तरीका है, यह प्रसव आसानी से कराने में सहायक होगा।
पूर्ण तितली आसन
टांगों को आगे की ओर खोलकर बैठें। घुटनों को मोड़ें और पैरों के तलवों को एक साथ मिलाएं, ऐसा करते समय ऐडि़यों को शरीर के सर्वाधिक निकट रखें। जांघों के भीतरी भाग को पूरी तरह ढीला छोड़ दें। पैरों को दोनों हाथों से पकड़ें। धीरे-धीरे घुटनों को ऊपर तथा नीचे की ओर उछालें, कोहनियों से टांगों को दबाने के लिए प्रयोग करें। अधिक बल का प्रयोग न करें। यह प्रक्रिया 20-30 बार दोहराएं। इसके बाद टांगों को सीधा कर आराम करें।
लाभ
जांघों की भीतरी मांसपेशियां तनाव मुक्त होती है। टांगों की थकान मिटती है।
सुप्त उदर आकर्षण आसन
पीठ के बल लेट जाएं। दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में लॉक करें और हाथों को सिर के पीछे रखें। दोनों पैरों के तलवों को जमीन पर रखते हुए घुटनों को मोडे़।सांस को बाहर छोड़ते हुए टांगों को दायीं ओर झुकाएं । ऐसा करते हुए घुटनों को जमीन से छुने का प्रयास करें। साथ ही सिर को बार्इ ओर घुमाएं, और पूरी रीढ़ पर एक समान घुमावदार खिंचाव डालें। टांगों को बाईं ओर मोड़ते हुए, तथा सिर को दाईं ओर घुमाते हुए इसे दोहराएं।
लाभ
इस योग से कब्ज दूर होने के साथ ही पाचन शक्ति भी बढ़ती है। इसके अलावा ज्यादा देर तक बैठे रहने के कारण रीढ़ में होने वाला दर्द दूर होता है।
कटि चक्रासन
पैरों को लगभग आधा मीटर तक खोलकर खड़े हो जाएं। बाजुओं को कंधों तक ऊपर उठाते हुए सांस अंदर खींचें। सांस को बाहर छोड़े और शरीर को बार्इ ओर घुमाएं। दाएं बाजू को बाएं कंधे तक लाएं और बाएं बाजू को पीठ पर लपेटें। बाएं कंधे के ऊपर देखें। सांस को 2 सेकेंड के लिए रोकें, सांस भीतर खीचें और शुरूआती अवस्था पर पहुंच जाएं। शरीर घुमाते समय पांव को जमीन पर दृढ़ता से रखें। दूसरी तरफ इसे दोहराएं। शरीर को बिना झटका दिए धीरे-धीरे घुमाएं। इसे 5-10 बार करें।
लाभ
कमर पीठ तथा नितंबों को तंदुरूस्त रखता है। हल्केपन का एहसास उत्पन्न करता है तथा शारीरिक और मानसिक तनाव से आराम मिलता है।
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