
मेनोपॉज के बाद महिलाओं मे कई तरह की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि समय समय पर जरूरी टेस्ट कराकर आप इन बीमारियों से बच सकते है। मेजोपॉज के बाद कराने वाले जरूरी टेस्ट बारे मे विस्तार से जानने के लिए ये लेख पढ़े।
मेनोपॉज गंभीर बिमारियों जैसे हार्ट अटैक, ऑस्टियोपोरोसिस, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर आदि से बचाव के लिए एक रिमाइंडर होता है। कुछ आवश्यक टेस्ट मेनोपॉज से बाद होने वाली समस्याओं के बारे में आपको पहले से ही सावधान कर सकते हैं। पेल्विक एक्जाम्स, पैप स्मीअर्स और ब्रेस्ट कैंसर आदि टेस्ट के बारे में तो आप पहले से ही जानती होंगी। लेकिन अपनी और अपने परिवार की को डॉक्टर क साथ डिस्कस करने से आपको अन्य जरुरी टेस्ट की जानकारी भी मिल जायेगी। फिलहाल हम आपको कुछ जरुरी 5 टेस्ट के बारे बता रहें जो मेनोपॉज के बाद आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद रहेंगे।
दिल की देखभाल
महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हार्ट से संबंधित परेशानियों का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है। अनियंत्रित थॉयरॉयड, मोटापा, डायबिटीज, अधिक बीएमआई और बढ़े कोलस्ट्रॉल की वजह से अब महिलाओं का दिल भी कमजोर हो रहा है। मेनोपॉज के बाद हृदयघात बढ़ने की सम्भावना पहले जहां 70 प्रतिशत थी, वहीं अब 35 से 45 साल की उम्र में भी हृदयघात और सी.वी.डी या दिल की धमनियों से जुड़ी परेशानी देखी जा रही है। इसलिए समय समय पर दिल के सेहत की जांच कराते रहना चाहिए।
ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या
इस्ट्रोजेन हार्मोन की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या भी बढ़ जाती है। ऐसे में हड्डियां कमजोर होकर टूटने लगती हैं। कैल्शियम का नियमित सेवन करके इससे बचा जा सकता है। कैल्शियम के साथ-साथ दूध का सेवन भी जरूरी है। मासिक धर्म बंद होने की आयु 45 से 51 वर्ष है। इससे दस वर्ष पहले ही महिलाओं को सतर्क हो जाना चाहिए। जीवनशैली बदलें और नियमित रूप से व्यायाम करें।
ब्रेस्ट कैंसर का खतरा
मोटी औरतों के शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। मेनोपॉज के बाद, जब ओवरी हॉर्मोंस बनाना बंद कर देता है, तब मोटापा बढ़ाने वाले एस्ट्रोजन के मुख्य कारक बन जाते हैं। मोटापे के कारण औरतों में फैट टिश्यूज की संख्या बढ़ जाती है, जो ब्रेस्ट ट्यूमर को बढ़ाने में मदद करते हैं।
सर्वाइकल कैंसर की संभावना
मीनोपॉज के बाद सर्वाइकल कैंसर की सम्भावना बाद जाती है। इसके फैलने के बाद रक्त-सामान या मलिन योनिक स्राव उत्पन्न करता है जो कि संभोग या असामान्य रक्त स्राव के बाद नजर आता है। सर्वाइकल कैंसर की प्रारंभिक अवस्थाएं पीडा, भूख की कमी, वजन का गिरना और अनीमिया उत्पन्न करती हैं। कैंसर से बचने के लिए नियमित जांच जरूरी है। महिलाओं को समय-समय पर जांच कराते रह ना चाहिए।
कोलोन कैंसर की जांच
शुरुआती स्टेज में इस कैंसर का पता नहीं चलता। यह बड़ी आंत को प्रभावित करता है। उतकों के बढ़ने के कारण एनस में ट्यूमर बन जाता है। शौच के साथ यह ट्यूमर छिलने लगता है जिससे रक्त आता है और व्यक्ति में रक्त की भी कमी होने लगती है। कुछ लक्षण अल्सरेटिव कोलाइटिस से मिलते जुलते रहते हैं। कोलोनोस्कोपी कर इस बीमारी को जांचा जा सकता है। कोलोनोस्कोपी में कैमरे के साथ ट्यूब गुदा मार्ग के रास्ते ट्यूमर वाले स्थान पर पहुंचाई जाती है। टुकड़ा लेकर बायोप्सी की जाती है। सर्जरी से ट्यूमर हटाया जाता है। कुछ समय तक कीमोथेरेपी की जाती है।
अगर महिलाये मीनोपॉज के दौरान इन बीमारियों का टेस्ट भी नियमित तौर पर कराती रहेंगी तो जिंदगी ज्यादा स्वस्थ और बेहतर रहेगी।
ImageCourtesy@Gettyimages
Read More Article on Women Health in Hindi
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।