
शोध के अनुसार, जिन महिलाओं ने घरेलू शोषण का अनुभव किया है, उनमें फाइब्रोमाइल्गिया और क्रोनिक थकान सिंड्रोम (सीएफएस) विकसित होने की संभावना ज्यादा है।
जर्नल ऑफ इंटरपर्सनल वायलेंस में प्रकाशित, एक शोध के अनुसार जिन महिलाओं ने घरेलू शोषण का अनुभव किया है, उनमें फाइब्रोमाइल्गिया और क्रोनिक थकान सिंड्रोम (सीएफएस) विकसित होने की संभावना लगभग दोगुनी है। ब्रिटेन में बर्मिंघम और वारविक के विश्वविद्यालयों के शोधकर्तोओं द्वारा किए गए इस शोध से पता चलता है कि घरेलू हिंसा महिलाओं को किस हद तक मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान करती है। इसके अलावा ऐसी महिलाओं में किसी भी बीमारी के लिए इलाज की गति भी कम हो जाती है।
बता दें कि फाइब्रोमाइल्जीया एक ऐसी बीमारी है, जो पूरे शरीर में दर्द का कारण बनता है। वहीं बात सीएफएस की करें तो ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें लक्षणों की एक विस्तृत श्रृंखला होती है, जिनमें से अधिकांश सामान्य थकान होती है। वे दोनों ही बीमारियां दीर्घकालिक स्थिति वाली हैं। वहीं हम सब ये भी जानते हैं कि घरेलू शोषण से पीड़ितों और उनके बच्चों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शोधकर्ता बताते हैं कि मजबूत पहले की तुलना में घरेलू शोषण और बढ़ता जा रहा है।
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इस अध्ययन को भारतीय मूल के शोधकर्ता और बर्मिंघम विश्वविद्यालय के सह-लेखक सिद्धार्थ बंद्योपाध्याय ने किया है। इस शोध के अनुसार बन्धोपाध्याय ने कहा कि लंबी अवधि की बीमारियों की अधिक घटना, जैसे कि क्रोनिक थकान सिंड्रोम, घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं में ज्यादा है। वहीं इसके असर को हमें बेहतर ढंग से समझने की जरूरत है। अध्ययन में 74,518 की तुलना में 18,547 महिलाओं का अध्ययन किया गया। इसकी तुलना में 1995 और 2017 के बीच हुई घटनाओं में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है।
बन्धोपाध्याय ने महिलाओं में फाइब्रोमाइल्गिया और सीएफएस विकसित के बढ़ने का जोखिम बढ़ गया है। जिन्होंने, घरेलू शोषण का अनुभव किया है उनमें ये बीमारी लगातार बढ़ रही है। ये बर्मिंघम विश्वविद्यालय के नेतृत्व में पिछले अध्ययन के बाद आया है कि ब्रिटेन के घरेलू दुरुपयोग के पीड़ितों को गंभीर मानसिक बीमारियों के विकास की संभावना तीन गुना अधिक है। वहीं शोधकर्ता जोहट सिंह चंदन के अनुसार हाल के यूके के अनुमानों से पता चलता है कि 27.1 प्रतिशत महिलाओं ने घरेलू शोषण बढ़ा है।
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घरेलू हिंसा के दुरुपयोग की व्यापकता को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ताओं को कहना ह कि फाइब्रोमायल्गिया और सीएफएस का अनुभव करने वाले रोगियों को अक्सर इलाज में भी देरी का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्शिति में इसकी सीमित समझ के कारण, चिकित्सकों के लिए यह ध्यान रखना आवश्यक है कि महिलाओं में घरेलु हिंसा को कम करना होगा। अध्ययन के अनुसार, घरेलू दुर्व्यवहार को झेल रहे लोग अत्यधिक शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव का अनुभव कर सकते हैं।
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