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भारत में आज भी कई हिस्सों में कम उम्र में ही लड़कियों की शादी कर दी जाती है। 18 साल की उम्र होती नहीं है कि लड़कियों की शादी कर दी जाती है, जो न सिर्फ उनके लिए सामाजिक, इमोशनल या शैक्षणिक नुकसान नहीं है, बल्कि उनके प्रजनन स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है। आज के समय में जहां कई महिलाएं प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के कारण परेशान रहती हैं, वहीं कम उम्र में शादी करने के कारण भी कई महिलाओं में फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। कम उम्र में लड़की का शरीर पूरी तरह विकसित नहीं होता है, ऐसे में विवाह और गर्भधारण और उसके बाद शारीरिक, मानसिक और इमोशनल स्वास्थ्य पर भी असर पड़ताहै। ऐसे में आइए मैक्योर हॉस्पिटल और आस्था हॉस्पिटल की को-फाउंडर, एचओडी- ऑब्स, गायनी और आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. गीता जैन से जानते हैं कि कम उम्र में शादी करने से प्रजनन स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है?
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कम उम्र में शादी करने का प्रजनन स्वास्थ्य पर असर
आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. गीता जैन के अनुसार,, कम उम्र में शादी करने और शारीरिक संबंध बनाने के कारण महिलाओं के शारीरिक, मानसिक और इमोशनल हेल्थ पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं ये उनके प्रजनन स्वास्थ्य पर कैसे असर डालता है?
1. कम उम्र में शरीर का विकास कम होता है
18 की उम्र में शादी करने से लड़की के शरीर में कई तरह के शारीरिक बदलाव होते हैं, जैसे पेल्विक संरचना पूरी तरह विकसित नहीं होती है, हार्मोनल सिस्टम स्थिर नहीं होता है, यूटरस और अन्य प्रजनन अंग पूरी तरह विकसित नहीं होता है। इसी अधूरे विकास के कारण अगर इतने कम उम्र में महिला कंसीव कर ले तो उसे स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह न सिर्फ मां बल्कि होने वाले बच्चे के लिए भी जोखिम भरा हो सकता है।
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2. जल्दी गर्भधारण से स्वास्थ्य जोखिम
जब शरीर कंसीव करने के लिए शारीरिक रूप से तैयार नहीं होता है, तब कंसीव करने के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कम उम्र मेंं कंसीव करने पर महिलाओं के शरीर में पोषण की कमी होती है, जो एनीमिया का कारण बनता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को आयरन की जरूरत ज्यादा होती है, ऐसे में एनीमिया होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, समय से पहले बच्चा पैदा होने की संभावना भी ज्यादा बढ़ जाती है। इसके साथ ही, शिशु का लो बर्थ वेट होने की संभावना भी ज्यादा होती है। ये सारी स्वास्थ्य समस्याएं इसलिए होती हैं क्योंकि कम उम्र में मां का शरीर कंसीव करने और डिलीवरी के दबाव को झेलने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं होता है।
3. मानसिक दबाव
कम उम्र में शादी का मतलब है कि कम उम्र में ही लड़कियों के ऊपर कई तरह की नई जिम्मेदारियां, सामाजिक अपेक्षाएं, मानसिक तनाव और घरेलू दबाव बढ़ जाता है। यह सब एक किशोर लड़की के लिए संभाल पाना मुश्किल होता है। मानसिक तनाव और इमोशनल अस्थिरता के कारण हार्मोनल असंतुलन की समस्या बढ़ जाती है, जिसका सीधा असर उनके पीरियड साइकिल, ओव्यूलेशन, प्रजनन क्षमता आदि पर पड़ता है।
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4. कुपोषण की समस्या
भारत में ज्यादातर लड़कियां अभी भी कुपोषण का सामना कर रही हैं, जिनमें आयरन, कैल्शियम, फोलिक एसिड और प्रोटीन की कमी देखने को मिल रही है। ऐसे में कंसीव करने से यह जोखिम कारक कई गुना बढ़ सकते हैं। कुपोषित मां स्वस्थ बच्चे को जन्म नहीं दे पाती है और इसका उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।
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5. STIs और इन्फर्टिलिटी का खतरा
कम उम्र में शादी करने वाली लड़कियों को पहले से यौन शिक्षा के बारे में सही जानकारी नहीं होती है। जानकारी की कमी के कारण असुरक्षित यौन संबंध, STIs, गर्भाशय में इंफेक्शन, PID, ट्यूबल ब्लॉकेज आदि जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती है, जो आगे चलकर इंफर्टिलिटी का कारण बन सकती है।
निष्कर्ष
कम उम्र में शादी और जल्दी कंसीव करने से महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। शरीर, मन और भावनाओं, तीनों पर इसका बुरा असर पड़ता है, जो न सिर्फ महिला के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि होने वाले बच्चे की सेहत पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है। इसलिए, यह बहुत जरूरी है कि लड़कियों की शादी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक मैच्योरिटी के बाद ही करनी चाहिए।
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Dec 07, 2025 12:12 IST
Published By : Katyayani Tiwari