जानें, सरवाइकल कैंसर के कारण क्या है और ये कितना खतरनाक है।
भारत में महिलाओं की स्थिति चाहे कितनी भी बदल गयी हो लेकिन आज भी बहुत सी महिलाएं अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पातीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किए एक अध्ययन के अनुसार भारत में प्रति एक लाख में से करीब 31 महिलाओं में सरवाइकल कैंसर पाया जाता है। यह कैंसर का दूसरा सबसे ज़्यादा भयावह रूप है।
क्या है सरवाइकल कैंसर-
सरवाइकल कैंसर को बच्चादानी, गर्भाशय या फिर यूट्राइन सर्विक्स कैंसर भी कहा जाता है। सरवाइकल कैंसर में गर्भाशय ग्रीवा में असामान्य कैंसर कोशिकाओं का विकास होता है। सरविक्स महिला के गर्भाशय का मध्य भाग है, जो योनि के रूप में नीचे जारी रहता है। गर्भाशय में एक बार एचपीवी का संक्रमण होने के बाद यह पांच से दस साल तक सुप्तावस्ता में रहता है, इसे कार्सिनोमा इनसीटू कहा जाता है।
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सरवाइकल कैंसर के कारण-
• एक से अधिक पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाने वाली महिलाओं में सरवाइकल कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है। इसीलिए इस संक्रमण को एसटीडी यानी सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज भी कहते है।
• कई बार ये बीमारी जेनेटिक कारणों से भी होती है।
• गर्भनिरोधक गोलियों के अधिक इस्तेमाल से यह बीमारी हो सकती है।
• एल्कोहल और सिगरेट का सेवन भी इसका कारण हो सकता है।
• गांवों में अधिक प्रसव और बार-बार गर्भधारण के कारण एचपीवी संक्रमण होता है।
• जबकि शहरों में बीमारी की जानकारी होने पर भी जागरूकता की कमी इसका कारण बनती है।
क्या हैं बीमारी के लक्षण-
• इन्टरकोर्स के दौरान लगातार ब्लीडिंग या तेज दर्द।
• वज़न कम होना या भूख नहीं लगना।
• योनि से सफेद बदबूदार पानी का रिसाव।
• पेल्विक पेन होना।
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सर्वाइकल कैंसर से बचाव-
• सरवाइकल कैंसर की चिकित्सा दो तरीके से होती है मेडिकल ट्रीटमेंट और सर्जरी।
• युवावस्था में सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान रिस्क फैक्टर से बचें। सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान एचपीवी इन्फेक्शन से बचें।
• धूम्रपान व एल्कोहल के अधिक सेवन से दूर रहें।
• असुरक्षित यौन संबंधों से बचें।
• ताजा फलों और सब्जियों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें।
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