
स्तन कैंसर महिलाओं के लिए एक गंभीर समस्या है। ऐसे में शोध में पता लगा है कि एस्पिरीन में ट्यूमर को खत्म करने का गुण होता है जो स्तन कैंसर की पुनरावृत्ति के जोखिम को कम करता है।
एस्पिरिन सिर दर्द व आम दर्दों में ली जाने वाली सामान्य दवाई है। इस दवा को एसिटाइलसैलिसाइलिक एसिड भी कहते हैं। यह एक सैलिसिलेट औषधि है। लेकिन अब यह महिलाओं में स्तन कैंसर की आशंका को भी कम करने में सहायक हो रही है।
एस्पिरिन और स्तन कैंसर पर किए गए कई शोधों में सामने आने वाले नतीजे काफी सुखद हैं। लेकिन रोगियों को यह दवा देने से पहले इस दिशा में अभी और अध्ययन करने की आवश्यकता है। एस्पिरिन कुछ विशेष प्रकार के ट्यूमर को बढ़ने से रोकती है और उन्हें प्रभावित करती है।
क्या कहते हैं शोध
एक नए शोध के मुताबिक एंटी इंफलेमेटरी दवाएं जैसे एस्पिरीन और ब्रूफेन कुच मोटी महिलाओं में स्तन कैंसर की पुनरावृत्ति को रोकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर स्थित कैंसर थेरेपी एंड रिसर्च सेंटर (सीटीआरसी) ने स्तन कैंसर के मरीजों के रक्त का परीक्षण किया। उन्होंने रक्त के नमूनों को वसा की कोशिकाओं के माहौल में रखा और फिर इन नमूनों को स्तर कैंसर की कोशिकाओं में रखा। उन्होंने पाया कि मोटापे से ग्रस्त महिलाओं के रक्त के नमूनों में स्तन कैंसर की कोशिकाएं अपेक्षाकृत बड़ी तेजी से वृद्धि करने लगीं। इस शोध के आधार पर शोधकर्ताओं ने सीटीआरसी के मरीजों पर एक अन्य शोध किया। उन्होंने सीओएक्स2 (एस्प्रिस, इब्रुप्रोफेन) लेने वाले और नहीं लेने वाले मरीजों को अलग कर लिया। शोधकर्ताओं ने पाया कि जो मरीज सीओएक्स2 का सेवन करते थे उनमें स्तन कैंसर के फिर से पनपने की दर कम थी।
शिकागो के लोया विश्वविद्यालय के स्तन विशेषज्ञ डॉ. शेरिल गाहरम के अनुसार- यह एक एतिहासिक अध्ययन है। अध्ययन में शामिल जिन महिलाओं ने कम से कम तीन माह तक एक हफ्ते में चार बार एस्पीरिन का इस्तेमाल किया उनमें सामान्य महिलाओं की तुलना में स्तन कैंसर की संभावना तीस फीसदी कम पायी गयी। यहीं नही एस्पीरिन के इस्तेमाल से अन्य तरह के ट्यूमर होने की आशंका भी घट गयी।
क्यों होता है कैंसर
यूं तो स्तन कैंसर के 100 में से 10 मामलों अनुवांशिकता के कारण होते हैं, लेकिन कैंसर होने में जीन के बदलाव का 100 फीसदी हाथ होता है। जींस, आसपास का माहौल और लाइफस्टाइल- ये तीन कारक मिलकर किसी के शरीर में कैंसर होने की आशंका को बढ़ाते हैं।
खुद करें पहचान
20 साल की उम्र से हर महिला को हर महीने पीरियड शुरू होने के 5-7 दिन बाद किसी दिन खुद ब्रेस्ट की जांच करनी चाहिए। ब्रा लाइन से लेकर ऊपर कॉलर बोन यानी गले के निचले सिरे तक और बगलों में भी अपनी तीन उंगलियां मिलाकर थोड़ा दबाकर देखें। उंगलियों का चलना नियमित स्पीड और दिशाओं में हो।
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