
फास्फोरस हमारी हड्डियों के घनत्व के लिए बहुत जरूरी होता है। अपने भोजन में थोडा़ बहुत बदलाव कर आप इस तत्व की आवश्यकता की पूर्ति कर सकते हैं।
फास्फोरस हमारे दांतों और हड्डियों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका अदा करता है। लीन मीट, मछली, साबुत अनाज और डेयरी उत्पादों, जैसे दूध और पनीर में यह तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
हड्डियों पर फास्फोरस का असर
फास्फोरस शरीर के लिए दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मिनरल है। यह साबित हुआ है कि फास्फोरस और आयरन कैल्शियम के साथ मिलकर आपकी हड्डियों की सेहत को मजबूती देने का काम करते हैं। अर्थराइटिस और कमजोर हड्डियों की समस्या को दूर करने के लिए आपको अपने भोजन में फास्फोरस का स्तर बढ़ाना चाहिये। फास्फोरस टूटी हड्डियों को जोड़ने और उन्हें सही प्रकार से काम करने की प्रक्रिया में मदद करता है। मसूड़ों और दांतों की बीमारी को दूर करने के लिए फास्फोरस का प्रयोग किया जाता है। यह दांतों के इनेमल और मसूड़ों को मजबूती प्रदान करता है। अर्थराइटिस के कारण होने वाले दर्द को दूर करने के लिए आपको अपने आहार में इस तत्व की मात्रा बढ़ाने के प्रयास करने चाहिये।
शरीर में भूमिका
सामान्य रूप से भी फास्फोरस को हड्डियों और दांतों की मजबूती और उनके रख-रखाव के लिए उपयोगी माना जाता है। इसके साथ ही मेटाबॉलिज्म में भी इसकी भूमिका अहम होती है। यह शरीर में जमा फैट को बर्न करने में मदद करता है। यह अधिक कैलोरी को बर्न करने मे भी सहायक होता है। भ्रूण के विकास के दौरान गुणसूत्रों के निर्माण में भी फास्फोरस की भूमिका होती है। इसके साथ ही यह कोशिकीय झिल्लियों और एंजाइम्स का भी निर्माण करता है।
कैसे प्राप्त करें फास्फोरस
रोजमर्रा के सामान्य आहार से आमतौर पर फास्फोरस की जरूरत पूरी नहीं होती। अधिक प्रोसेस्टड, ओवरकुक और अस्वास्थ्यकर भोजन से शरीर में फास्फोरस की कमी होने लगती है। इससे बचने के लिए आपको फास्फोरस युक्त आहार का सेवन करना चाहिये। ताजा फल-सब्जियां, डेयरी उत्पाद, अंडा, लीन मीट और साबुत अनाज आदि फास्फोरस के स्रोत माने जाते हैं।
पकाने का अंदाज भी रखता है मायने
अगर आप भोजन को सही प्रकार से नहीं पकाते तो फास्फोरस से भरपूर खाद्य पदार्थ भी अपनी पौष्टिकता खो देते हैं। ताजा सब्जियों को अधिक तापमान पर पकाने से उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। अगर आप फलों से संपूर्ण पौष्टिकता हासिल करना चाहते हैं, तो आपको चाहिये कि आप उनका जूस पीने के बजाय उन्हें कच्चा ही खायें। मछली, मीट या अंडे आदि बनाते समय उनमें बहुत ज्यादा तेल या घी इस्तेमाल करने से भी मिनरल के पोषक तत्वों का हृास होता है।
फास्फोरस की कमी का असर
अगर आपके शरीर में फास्फोरस की कमी हो जाए इससे आपकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इसके अलावा अर्थराइटिस, कमजोर दांत और मसूड़ों की बीमारियां भी फास्फोरस की कमी के कारण हो सकती हैं। इसके साथ ही फास्फोरस की कमी से आपको भूख में कमी और सामान्य संक्रमण भी हो सकते हैं।
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