
बारिश और उमस भरी गर्मी में कंजक्टिवाइटिस का प्रकोप शुरू हो गया है। जिसके कारण आई फ्लू के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। सरकारी अस्पताल से लेकर निजी आंखों के अस्पतालों में आई फ्लू से ग्रसित मरीजों की संख्या प्रतिदिन दर्जनों में है।
सरकारी अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. विवेक गर्ग एवं आहूजा नेत्र अस्पताल के डा. हितेन्द्र आहूजा की माने तो गर्मी के मौसम में आंखें काफी ज्यादा प्रभावित होती है। जून से लेकर अक्टूबर तक कंजक्टिवाइटिस वायरस ज्यादा सक्रिय होते हैं। क्या है कंजक्टिवाइटिस? डा. हितेन्द्र आहूजा एवं डा. विवेक गर्ग बताते हैं कि कंजक्टिवाइटिस आंखों में होने वाली मौसमी बीमारी है।
आई फ्लू होने पर क्या लें इलाज?
- डा. आहूजा बताते हैं कि सबसे पहले तो इस रोग के होने पर बिना डाक्टर के सलाह लिए मेडिकल स्टोर से कोई दवा न लें।
- साफ रुई को उबाले गए ठंडे पानी से भिगो कर आंख के किचड़ को साफ करें।
- आंख पर ज्यादा से ज्यादा ठंडे पानी के छींटें लें।
- आंख में गुलाबजल डालने से भी फायदा पहुंचता है।
- चश्मा पहन कर रखें।
- इसके साथ-साथ डाक्टर के सलाह पर कोई दवा आंखों में डाले। ताकि संवेदनशील आंख पर किसी भी तरह का कोई दुष्प्रभाव न हो।
यह बीमारी बैक्टीरिया एवं वायरस दोनों के कारण होता है। इस बीमारी को आई फ्लू के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की आंखें लाल हो जाती है। जिसके कारण पढ़ने में परेशानी के अलावा आंखों में जलन होती है। अक्सर लोग इसे सामान्य बीमारी मानते हैं लेकिन यदि ज्यादा लापरवाही बरतने से कार्निया क्षतिग्रस्त हो जाती है और मरीज अंधेपन का शिकार हो जाता है।
क्या है आई फ्लू के लक्षण?
- डाक्टर बताते हैं कि आई फ्लू के चपेट में आने वाले व्यक्ति के आखों में काफी तकलीफ होती है।
- तेज धूप या रोशनी में देखने में काफी परेशानी होती है।
- आंखों में कीचड़ इतना ज्यादा होता है कि सुबह उठने पर आंखों की पलकें एक दूसरे से चिपक सी जाती है।
कैसे होता है आई फ्लू?
डाक्टर बताते हैं कि आंखों के बाहरी पर्दे सफेद भाग पर वायरस का संक्रमण होता है। जिसके कारण आंखों में लालीपन एवं अन्य परेशानी शुरू हो जाती है। यह आई फ्लू 35 फीसदी वायरस एवं 65 फीसदी बैक्टीरिया एवं अन्य कारणों से होती है। लेकिन वायरस के कारण होने वाले आई फ्लू का प्रसार तेजी से होता है। कैसे एक से दूसरे में फैलता है आई फ्लू? डाक्टर गर्ग व डा. आहूजा बताते हैं कि आई फ्लू के वायरस एवं बैक्टीरिया गंदे उंगलियां, धूल-धुंआ, तलाब एवं गंदे पानी में नहाने एवं मक्खियों के माध्यम से इसके वायरस फैलते हैं। इसके अलावा इसके वायरस हवा के माध्यम से भी फैलते हैं। यह संक्रमण इतना तेज होता है कि पीड़ित व्यक्ति के पास से आंखों में देखने पर भी दूसरा व्यक्ति इससे ग्रसित हो जाता है। पीड़ित व्यक्ति के तौलिए, कपड़े, रुमाल, चश्मा आदि के उपयोग से भी यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है। घर के किसी एक सदस्य के होने पर दूसरे सदस्य को आई फ्लू होने की संभावना ज्यादा होती है।
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