
नींद की कमी से बच्चों की सीखने और याद करने की क्षमता पर पड़ता है। विकसित देशों में यह समस्या काफी अधिक देखी जा रही है।
क्या आपके बच्चे को पूरी नींद मिल रही है। इस सवाल का जवाब जानना बेहद जरूरी है। आजकल बच्चों पर दबाव काफी बढ़ गया है, जिसका असर उनकी नींद पर भी पड़ रहा है। लेकिन, कम नींद के चलते उनका भविष्य खराब हो सकता है।
शोधकर्ता मानते हैं कि नींद न पूरी होने के कारण स्कूल में छात्रों का प्रदर्शन प्रभावित होता है।
यह बात भी सामने आई है कि विकसित देशों में इस तरह की समस्या काफी ज्यादा है। जानकार यह भी मानते हैं कि लगातार टीवी या मोबाइल पर चिपके रहने के कारण बच्चों की नींद के घंटे कम होते जा रहे हैं। यह बात तो सर्वविदित है कि नींद पूरी न होना एक गंभीर मामला है, जिसके कई गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
इसके साथ ही जो बच्चे में कक्षा में ऊंघते रहते हैं उनसे साथी छात्रों को भी परेशानी होती है। और इसका असर उनकी पढ़ाई पर भी पड़ता है। बॉस्टन कॉलेज ने इस संबंध में दुनियाभर से आंकड़े जुटाए और फिर इनकी आपस में तुलना की। इसमें पाया गया कि कम नींद लेने वाले छात्रों की सबसे बड़ी संख्या अमेरिका में है।
शिक्षकों के मुताबिक नौ और दस साल के 73 प्रतिशत तथा 13 और 14 साल के 80 प्रतिशत छात्र कम नींद की समस्या से जूझ रहे हैं। ये आंकड़ा डराने वाला है। क्योंकि यह संख्या अंतरराष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 47 प्रतिशत प्राथमिक छात्रों को और 57 प्रतिशत माध्यमिक छात्रों को और अधिक नींद की जरूरत है।
न्यूजीलैंड, सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, आयरलैंड और फ्रांस जैसे देशों में भी नींद से वंचित छात्रों का आंकड़ा अंतरराष्ट्रीय औसत से अधिक है। फिनलैंड भी उन देशों में भी शामिल है जहां बच्चे अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते।
दूसरी तरफ अजरबैजान, कजाकिस्तान, पुर्तगाल, चेक गणराज्य, जापान और माल्टा ऐसे देश हैं जिनका रिकॉर्ड इस मामले में बहुत अच्छा है। यानी इन देशों में बच्चे भरपूर नींद लेते हैं।
ये विश्लेषण वैश्विक शैक्षिक रैंकिंग के लिए जुटाए गए आंकड़े का एक हिस्सा है। इसके तहत 50 से भी अधिक देशों में नौ लाख से अधिक प्राथमिक और माध्यमिक छात्रों का टेस्ट लिया गया। नींद नहीं आने से आपके सीखने की प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं।
इंग्लैंड के सर्रे विश्वविद्यालय के निद्रा शोध केन्द्र के निदेशक डर्क जॉन डिज्क का कहना है कि नींद पूरी नहीं होने से सीखने, याद रखने और पढ़ने-लिखने की प्रक्रिया पर भी बुरा असर पड़ता है। नींद नहीं आने और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को लेकर हुए शोध से यह बात साबित हुई है कि याद्दाश्त के लिए नींद बेहद जरूरी है। उनींदी स्थिति में दिमाग को चीजों को ग्रहण करने और याद रखने में परेशानी होती है।
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