
दवा के कोर्स को अधूरा छोड़ देने का नतीजा यह होता है कि बच्चे फिर से बार-बार बीमार पड़ने लगते हैं। जानकारों का कहना है कि बच्चे को दवा की पूरी खुराक नहीं देना ही बच्चों के बार-बार बीमार पड़ने की वजह होती है।
बच्चों के बीमार पड़ने पर अभिभावक उन्हें डॉक्टर के पास ले जाते हैं। डॉक्टर बच्चों को दवा भी देता है। लेकिन, क्या आप उसे पूरी दवा खिलाते हैं। कई बार अभिभावक बच्चों को आराम आते ही दवा खिलाना बंद कर देते हैं। उनका तर्क होता है कि बच्चों की दवा पर अधिक निर्भरता नहीं होनी चाहिए। लेकिन, ऐसा करना कई बार ठीक नहीं होता। दवा के कोर्स को अधूरा छोड़ देने का नतीजा यह होता है कि बच्चे फिर से बार-बार बीमार पड़ने लगते हैं। जानकारों का कहना है कि बच्चे को दवा की पूरी खुराक नहीं देना ही बच्चों के बार-बार बीमार पड़ने की वजह होती है।
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मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना के शोधकर्ताओं का कहना है कि कुछ दिनों तक दवा लेने पर सेहत में सुधार आने लगता है इसलिए माता-पिता बच्चे को दवाई देना बंद कर देते हैं। लेकिन तब तक बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हुई होती। दवा का कोर्स बीच में ही छोड़ देने पर यह फिर से शरीर पर हमला बोल देती है। शोधकर्ताओं ने 17 हजार बच्चों को अध्ययन में शामिल किया और उन्होंने देखा कि इनमें से 22 फीसदी बच्चों को दवा की परूी खुराक नहीं दी गई जिसके चलते वे फिर बीमार पड़ गए। विशेषज्ञों ने हैरानी जताते हुए कहा कि यह आंकड़ा व्यस्कों के आंकड़े से मिलता-जुलता है। 16 से 24 फीसदी व्यस्क भी दवा का कोर्स पूरा नहीं करते।
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प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर रेशेल वेगोरेन ने बताया कि इस दिशा में कई अध्ययन हो चुके हैं जिनसे साबित हुआ है कि डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा की खुराक पूरी नहीं करने पर बीमारी जड़ से नहीं मिटती। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि कई मामलों में अभिभावक बच्चों को वह दवाई देने लगते हैं जो उनकी बीमारी के लिहाज से गैर जरूरी होती है। इसके चलते बच्चे ठीक होने की बजाए और बीमार हो जाते हैं।
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