
बच्चों के लिए जंक फूड खाने की आदत खतरनाक हो सकती है, जानिए कैसे।
बच्चों को जंक फूड बहुत पसंद होता है। और अक्सर मां बाप भी बच्चों की इस मांग के आगे झुक ही जाते हैं। और भी इसके नुकसानों से वाकिफ होने के बाद भी। यह तो हमें पता ही है कि जंक फूड बच्चों में मोटापे की सबसे बड़ी वजह है। लेकिन, हालिया शोध इस जंक फूड की और बड़ी कमी सामने लेकर आया है। यह शोध बताता है कि फास्ट फूड न सिर्फ बच्चों की शारीरिक सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि इसका असर बच्चों के मानसिक विकास पर भी पड़ता है। इस शोध में यह बात सामने आई है कि फास्ट फूड का अधिक सेवन बच्चों के आईक्यू लेवल को कम कर देता है।
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यह बात कई वैज्ञानिक प्रमाणों से स्पष्ट हो चुकी है कि बचपन में बच्चों को मिला पोषण उनके मानसिक विकास में बेहद अहम भूमिका निभाता है। यही पोषण उनके आई क्यू लेवल पर दूरगामी प्रभाव भी छोड़ता है। वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में इस बात पर जोर दिया कि जो खाना बच्चे रोज खाते हैं उसका उनकी संज्ञानात्मक क्षमता और विकास पर क्या असर पड़ता है। शोधकर्ताओं ने तीन से पांच साल के चार हजार स्काटिश बच्चों पर अध्ययन करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की। इस दौरान उन्होंने देखा कि बच्चे फास्ट फूड अधिक खाते हैं या पका हुआ खाना। गोल्डस्मिथ, यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं ने पाया कि अच्च सामाजिक-आर्थिक स्तर वाले अभिभावक अपने बच्चों को पका हुआ खाना खिलाने को तरजीह देते हैं, जिसका सकारात्मक असर बच्चों के आई क्यू लेवल पर नजर आता है। जबकि निम्न आर्थिक और सामाजिक स्तर वाले अभिभावक अपने बच्चों को फास्ट फूड अधिक खिलाते हैं। जिसका असर बच्चों की बौद्धिक क्षमता पर पड़ता है।
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गोल्डस्मिथ में डिपार्टमेंट ऑफ सायकोलॉजी के डॉ. सोफी वान स्टम का कहना है कि यह एक आम बात है कि जो भी हम खाते हैं उसका मस्तिष्क पर असर पड़ता है। पहले हुए शोध में जंक फूड का आई क्यू पर पड़ने वाले असर का अध्ययन नहीं किया गया। डॉ. स्टम यह भी कहते हैं कि यह शोध बच्चों के खाने में होने वाले अंतर की ओर भी इशारा करता है। व्यस्त अभिभावक आमतौर पर बच्चे के लिए इतना समय नहीं निकाल पाते कि वे बच्चों के लिए खाना तैयार कर सकें। इसलिए बच्चे बुद्धिमत्ता की परीक्षा में निचलते स्तर पर रहते हैं। और साथ ही उनकी पढ़ाई पर भी इसका असर पड़ता है। तीन साल की उम्र में जंक फूड खाने वाले बच्चों का आई क्यू लेवल कम रहता है।
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