बच्चों को पीलिया, युवाओं से अधिक गंभीर होता है, इसलिए बच्चों को पीलिया से बचाने के लिए खास ख्याल रखने की आवश्यकता होती है।
पीलिया एक संक्रामक रोग है, जो कि वायरस के कारण होता है। इसका पता वायरस के प्रभावित करने के दो से चार हफ्ते बाद लगता है।
आपका बच्चा अगर स्कूल जाता है तो आपको उसके खान-पान का, खास ख्याल रखने की आवश्यकता है। ऐसे में आप वो तरीके ढूंढें जिनसे आपका बच्चा पीलिया जैसी बीमारी से बच सके।
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पीलिया के शुरूवाती लक्षण
- खाने की इच्छा कम होना
- बुखार होना
- गंभीर थकान होना
इस प्रकार के सभी लक्षण बुखार के लक्षण जैसे ही होते हैं इसलिए पीलिया के मरीज़ को अधिक समय तक यह पता नहीं चल पाता कि उसे पीलिया है। इस अवधि में मरीज़ के आसपास वालों में इस बीमारी से संक्रमित होने का खतरा अधिक रहता हैं।
- पीलिया बीमारी संक्रमित खाने और पानी से होती है और यह लीवर से सम्बन्धित दूसरी बीमारियों को भी जन्म देती है।
- इन्फेक्टिव या वायरल हेपेटाइटिस भी एक इसी प्रकार की बीमारी है और इसके लक्षण भी पीलिया जैसे ही होते हैं जैसे खाना कम खाना, बुखार होना, उल्टी होना।
- बीमारी के ऐसे लक्षण होने के कारण बच्चों को इस बीमारी के संक्रमण से बचाना थोड़ा मुश्किल होता है।
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पीलिया से बचने के लिए क्या करें-
साफ पानी का इस्तेमाल: यह बहुत ही ज़रूरी है कि आपका बच्चा साफ पानी का इस्तेमाल करे। पुराने समय में पानी को उबालकर पीना ज़रूरी होता था। लेकिन आज बाज़ार में पानी को शुद्ध करने के लिए बहुत से ब्रांड की मशीनें आ रही हैं। चाहे स्कूल जाना हो या पिकनिक जाना हो ध्यान रखें कि आपका बच्चा घर से पानी की बोतल ले जाये। बच्चे को रेस्ट्रां या बाहर का पानी बिलकुल ना पीने दें।
खाना: बाहर का खाना विशेषतः वो खाना जो ठीक से पका ना हो उसे ना खाएं। गोल गप्पे, चाट, चुस्की में पीलिया फैलाने वाले वायरस होते हैं। बच्चे को इन विक्रेताओं से दूर रखने के लिए घर से बना हुआ स्नैक्स दें।
हाथ धुलें: एक साफ सुथरे रोटीन का पालन करने से पीलिया के साथ बहुत सी बीमारियां दूर रहती हैं। बच्चे को खाने से पहले और बाथरूम का प्रयोग करने के बाद डिसिन्फेक्टेंट साबुन से हाथ साफ करने की सलाह दें। ध्यान रखें कि बच्चा अपने साथ पेपर सोप या हैंड सैनिटाइज़र ज़रूर रखे।
बर्तन: रसोईघर और बर्तन साफ रखें। स्कूल के लिए लंच पैक करते समय ध्यान रखें कि खाने को ठीक प्रकार से आलमुनियम फाएल में पैक करें और चम्मच और फार्क देना ना भूलें।
बच्चे को हिदायत दें: बच्चे को कुछ ज़रूरी निर्देश देना ना भूलें। उन्हें सफाई के बारे में समझाएं और गंदगी से होने वाली बीमारियों के बारे में भी निर्देश दें।
बच्चे की निगरानी करें: मानसून का समय ही वो समय होता है जबकि पानी से होने वाली बीमारियां फैलती हैं। पीलिया की शुरूवात में आंखें, नाखुन और त्वचा पीली हो जाती हैं इसलिए ऐसे लक्षणों का ध्यान दें। बच्चे में खाने की कमी या कमज़ोरी को नज़रअंदाज़ ना करें।
बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए बचाव के तरीके अपनाना ज़रूरी है और स्वस्थ जीवनशैली से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
एक संतुलित आहार में कार्बोहाइड्रेट, कैल्शीयम, मिनेरल और प्रोटीन होना चाहिए जिससे शरीर में रोगों से लड़ने की ताकत बनी रहे। जैसे फलों का जूस, बेक्ड चिकन और दूध।
एक सक्रीय शरीर बहुत सी बीमारियों को दूर रखता है। बच्चे को स्पोर्टस और दूसरे खेलों में भाग लेने के लिए उत्साहित करें। कंप्यूटर गेम्स की तुलना में बैडमिंटन और बास्केटबाल बच्चों के लिए ज़्यादा अच्छा होता है।
आज वायरस से होने वाली बहुत सी बीमारियां फैल चुकी हैं ऐसे में स्वस्थ और सक्रीय जीवन शैली से बच्चों को बहुत सी बीमारियों से बचाया जा सकता है।
बच्चों में पीलिया, युवाओं से अधिक गंभीर होता है, इसलिए बच्चों को पीलिया से बचाने के लिए खास ख्याल रखना ज़रूरी है।
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